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बेरूत कैसे पहुंचा ‘बारूद’? अमोनियम नाइट्रेट की कहानी, कैप्‍टन की जुबानी

ByPrompt Times

Aug 10, 2020
बेरूत कैसे पहुंचा 'बारूद'? अमोनियम नाइट्रेट की कहानी, कैप्‍टन की जुबानी
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लेबनान की राजधानी बेरूत (Beirut) में मौत और तबाही की वजह बना केमिकल 7 साल पहले यहां पहुंचा था. आग और धुएं के आगोश में एक शहर को डुबो देने वाला अमोनियम नाइट्रेट एक रूसी कार्गो शिप के जरिए आया था, जिसे लाने वाले जहाज के कप्तान के मुताबिक इतने बड़े पैमाने पर एक जगह इतना केमिकल रखना सही फैसला नहीं था.

विनाश की खेप को 2013 में लाने वाले कैप्टेन बोरिस प्रोकोशेव ( Boris Prokoshev) के मुताबिक, कंसाइनमेंट मालिक ने उन्हे एक्स्ट्रा कार्गो को उठाने के नाम पर शिप को बिना तय शेड्यूल के लेबनान में रोकने को कहा था. उनके मुताबिक विनाश की एक वजह उस वक्त किसी के मन में आया लालच भी हो सकता है. प्रोकोशेव ने बताया कि शिप में 2750 टन बेहद ज्वलनशील केमिकल मौजूद था, जिसे जॉर्जिया (Georgia) से मोजांबिक (Mozambique) जाना था. लेकिन तभी उन्‍हें जहाज को बेरूत डॉयवर्ट करने का आदेश मिला. 

मोजांबिक की मिस्ट्री
जहाज में मौजूद क्रू को अफ्रीका की ओर रवानगी से पहले जॉर्डन के पोर्ट ऑफ अक़ाबा (Port of Aqaba) से सड़क बनाने के काम आने वाले भारी उपकरणों की लोडिंग करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया था. जबकि विनाश की वजह बने अमोनियन नाइट्रेट की ये खेप अफ्रीका के एक विस्फोटक बनाने वाले कारोबारी तक पहुंचाने के लिए जहाज में लाई गई थी. लेकिन बेरूत पहुंचने के बाद शिप फिर कहीं नहीं गया, जिसकी वजह एक्स्ट्रा कार्गो लोडिंग और पोर्ट फीस को लेकर शुरू हुआ कानूनी विवाद रही. 

70 साल के तत्कालीन इंचार्ज रहे प्रोकोशेव ने रॉयटर्स (Reuters) को उस दौरान के पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसमें एक्स्ट्रा कार्गो लाने का जिक्र भी शामिल था. काला सागर के तट स्थित रूसी रिसॉर्ट टाउन सोची स्थित घर से फोन पर चर्चा करने वाले अधिकारी से पहले ये भी पूछा गया था कि क्या इतना केमिकल पूरी शिप को बर्बाद करने के लिए काफी था. इस पूरे प्रकरण में उस समय शिप के मालिक समेत कई लोगों की कानूनी प्रकिया के तहत गिरफ्तारी हुई, और कई महीनों बाद इस अमोनियम नाइट्रेट को एक गोदाम में ले जाया गया.

मंगलवार को मातम
दुर्भाग्य से बीते मंगलवार को इसी मौत के सामान तक आग पहुंची तो ऐसा धमाका हुआ जो शायद इससे पहले किसी और रिहायशी शहर में नहीं हुआ होगा. धमाके में 145 की मौत हुई और 5 हजार से ज्यादा जख्मी हो गए. इमारतें जमींदोज हो गईं और लाखों लोग बेघर हो गए. अब कहा जा रहा है कि अगर उस दौरान शिप में अतिरिक्त कार्गो लोड हो जाता तो शायद वह बेरूत से आगे बढ़ने में कामयाब हो जाता. 

शिप की कहानी क्रू की जुबानी
इसी जहाज में काम करने वाले यूक्रेन के एक कर्मचारी  बोरिस म्यूनिख (Boris Musinchak) ने बताया कि बाकी क्रू मेंबर्स ने खुदाई के काम आने वाले औजार, भारी रोड रोलर, शिप के दरवाजों के ऊपरी हिस्से में रखा, और उसी के नीचे बनी जगह में अमोनियम नाइट्रेट की खेप रखी गई थी . बोरिस ने भी फोन पर बताया कि जहाज काफी पुराना और एक ओर थोड़ा झुका था, इसलिए हमने कोई खतरा मोल नहीं लेने का फैसला किया. जहाज के कप्तान और 3 क्रू मेंबर्स उस समय शुरू हुई कानूनी लड़ाई की वजह से करीब 11 महीने वहीं रुके थे. इस दौरान न तो उन्हें कोई सेलरी मिली और जिंदा रहने भर का थोड़ा राशन और भोजन मिल जाता था. उन सभी के वहां से निकलने के बाद ही अमोनियम नाइट्रेट को शिप से उतारा गया होगा.  

प्रोकोशेव ने शिप मालिक की पहचान रूसी व्यवसाई आईगर ग्रेशुकिन (Igor Grechushkin) के तौर पर की , लेकिन उनसे संपर्क करने की कोशिशे नाकाम रहीं. 

कहां तक पहुंची जांच
एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक पुलिस ने गुरुवार को ग्रेशुकिन के साइप्रस स्थित घर में उनसे पूछताछ की थी. पुलिस के प्रवक्ता के मुताबिक इंटरपोल (Interpol ) के अनुरोध पर कार्गो से जुड़े इस मामले की पड़ताल की गई. अमोनियम नाइट्रेट को जॉर्जिया की उर्वरक निर्माता कंपनी रुस्तावी एजॉट एलएलसी (Rustavi Azot LLC) ने बेचा था , जिसकी डिलीवरी  मोजांबिक में विस्फोटक बनाने का कारोबार करने वाले व्यापारी को की जानी थी.

रुस्तावी की सफाई
वहीं विक्रेता कंपनी ने लिंक्डइन के जरिए पूछे गए सवाल पर फौरी प्रतिक्रिया नहीं दी. रुस्तावी के प्लांट डॉयरेक्टर लेवनबर्डिलेज़ ( Levan Burdiladze) ने  रॉयटर्स को कहा कि उनकी कंपनी कानूनी मानकों के तहत केमिकल निर्माण करती है, पिछले तीन सालों में काफी कुछ बदलाव हुआ है इसलिए वो उस लोकेशन की पुष्टि नहीं कर सकते कि अमोनियम नाइट्रेट की इस खेप को कहां बनाया गया था.

लेबनान के जांचकर्ता इस मामले से जुड़ी छोटी से छोटी कड़ी को जोड़ रहे हैं,  इसलिए एक साथ कई एंगल को ध्यान में रखते हुए जांच हो रही है. कल ही लेबनान की सरकार ने अपने जांच दल को 4 दिन में धमाके के दोषियों की पहचान सुनिश्चित करने को कहा था.

लेबनान सरकार के सूत्रों के मुताबिक देश की मंत्रिपरिषद ने बुधवार को 2014 से बेरूत पोर्ट में तैनात विदेशी कंसाइनमेंट और सिक्योरिटी अधिकारियों को हाउस एरेस्ट में रखने का फैसला किया था. बेरूट पोर्ट के हेड और कस्टम विभाग के मुताबिक कंसाइनमेंट को पोर्ट से हटाने से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए न्याय विभाग को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

हालांकि रॉयटर्स को इस मामले को लेकर लेबनान के कानून मंत्री की प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. क्योंकि देश में जारी राष्ट्रीय शोक के चलते कानून मंत्रालय का दफ्तर भी तीन दिन के लिए बंद है. जहाज के कप्तान के मुताबिक प्रोकोशेव शिप में लीकेज था लेकिन सितंबर 2013 में जब ये बेरूत पहुंचा तब तक उसमें किसी तरह का कोई खतरा या अनहोनी नहीं हुई थी.


















ZEE


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