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किसानों के लिए कृषि कानून लाभकारी साबित होंगे

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Dec 15, 2020
किसानों के लिए कृषि कानून लाभकारी साबित होंगे

पालमपुर : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने विश्वास जताया कि कृषि कानूनों के कल्याणकारी निर्णय को लागू करने में सरकार पीछे नहीं हटेगी। आज भले ही इसका विरोध किया जा रहा हो, लेकिन और भविष्य में यह निर्णय भारत के किसानों के लिए अत्यन्त लाभदायक रहेगा।

इस संबंध में उन्होंने 1990 का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि उस समय सरकार ने बिजली उत्पादन में निजी क्षेत्र को लाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। इसी पर बिजली कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। कुछ दिन बाद सभी सरकारी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को हिमाचल में 21 हजार मेगावाट बिजली क्षमता के दोहन को लेकर समझाया गया और इसके लिए सरकार के पास पैसा नहीं होने की बात बताई गई। लेकिन कर्मचारियों पर कोई असर नहीं हुआ। गंभीर विचार विमर्श के बाद सरकार ने ऐतिहासिक ‘काम नहीं तो दाम नहींÓ का निर्णय लिया। इससे आंदोलन अधिक उग्र होने लगा और पड़ोस के कुछ प्रदेशों के सरकारी कर्मचारी भी मदद में आगे आने लगे।

शांता ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हेंं दिल्ली बुलाया। कर्मचारियों से समझौता करने को लेकर सभी तरफ से दबाव था। उन्होंने केंद्रीय नेताओं के सामने विस्तार से सारी बात रखी। अंत में सलाह मिली कि जैसे भी हो हड़ताल समाप्त करवाई जाए। क्योंकि हिमाचल की राजनीति सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना नहीं चल सकती है। लेकिन इसके बीच स्व. अरुण जेटली ने सलाह दी कि यद्धपि शांता कुमार का निर्णय सुशासन का है, परंतु राजनीति की दृष्टि से यह गलत है। गुड गवर्नेंस बट बैड पॉलिसी,। तब मैंने कहा था कि मेरे लिए सुशासन राजनीति से ऊपर है। प्रदेश में भी अधिकतर दबाव निर्णय वापिस लेने का था। इस ऐतिहासिक परंतु कठोर निर्णय पर अधिकतर लोग हमारे विरुद्ध थे। पार्टी को भी लगा कि निर्णय भले ही अच्छा हो परंतु इससे राजनीतिक नुकसान अधिक होगा। उन्होंने कहा कि 29 दिनों तक हड़ताल चली। सरकार बिजली उत्पादन में निजी क्षेत्र लाने को लेकर प्रदेश में प्रचार करती रही और डटी रही। आखिरकार सरकार के निर्णय के सामने कर्मचारियों को झुकना पड़ा।

शांता कुमार ने कहा कि देश की निजी क्षेत्र की सबसे पहली 300 मेगावाट की परियोजना बास्पा हिमाचल प्रदेश में लगी। आज पूरे देश में बिजली उत्पादन ही नहीं, सभी क्षेत्रों में निजी क्षेत्र काम कर रहा है। हिमाचल प्रदेश में ही बिजली की 400 मेगावाट की 200 परियोजनाएं निजी क्षेत्र में चल रही है।

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