• May 9, 2024 10:58 am

अखिलेश ने बदला PDA फॉर्मूला, सपा को अल्पसंख्यकों के साथ अगड़े और आदिवासी क्यों जोड़ना पड़ा?

अक्टूबर 31 2023 ! उत्तर प्रदेश की सियासत में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को दोबारा से हासिल करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक के बाद एक दांव चल रहे हैं. सपा की नई सोशल इंजीनियरिंग गढ़ने के लिए अखिलेश यादव ने PDA का फॉर्मूला दिया था, जिसमें P से पिछड़ा, D से दलित और A से अल्पसंख्यक था. लेकिन उन्होंने अब पीडीए की नई परिभाषा देने का काम किया है. उन्होंने ‘पीडीए’ में ए का मतलब अल्पसंख्यक के साथ अगड़े और आदिवासी को जोड़ दिया है.

उत्तर प्रदेश की सियासत में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को दोबारा से हासिल करने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक के बाद एक दांव चल रहे हैं. सपा की नई सोशल इंजीनियरिंग गढ़ने के लिए अखिलेश यादव ने PDA का फॉर्मूला दिया था, जिसमें P से पिछड़ा, D से दलित और A से अल्पसंख्यक था. लेकिन उन्होंने अब पीडीए की नई परिभाषा देने का काम किया है. उन्होंने ‘पीडीए’ में ए का मतलब अल्पसंख्यक के साथ अगड़े और आदिवासी को जोड़ दिया है.

हालांकि, इससे पहले तक अखिलेश पीडीए का मतलब पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक बता रहे थे, लेकिन अब अखिलेश यादव जिस तरह से पीडीए के एक में अगड़े और आदिवासी को जोड़ने का काम किया है. उससे एक बात तो साफ है कि सपा अब सबको साथ लेते हुए आगे बढ़ने की नीति अपनाना के संदेश दे रही, लेकिन सवाल यह है कि अखिलेश यादव को पीडीए का फॉर्मूला क्यों बदलना पड़ा और क्या अगड़े और आदिवासी को जोड़ने में वो सफल हो पाएंगे.

दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के जवाब में अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा दिया था, जिसमें पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक शामिल थे. पीडीए के जरिए अखिलेश 2024 में बीजेपी को हराने का दम भर रहे थे, लेकिन उनके पीडीए समावेशी नहीं था. इस फॉर्मूले में पिछड़े-दलित-अल्पसंख्यक शामिल थे, लेकिन अगड़े और आदिवासी को जगह नहीं मिली थी. इसके चलते सवर्णों के एक बड़े तबके को सपा को अलग-थलग करने का आरोप लगने लगा था.

सपा के एक तबके को और खासकर रणनीतिकारों को यह लगने लगा था कि पीडीए फायदा से कहीं ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकता है, क्योंकि पीडीए समावेशी नहीं है, इसमें पिछड़े दलितों और मुसलमानों की बात की गई है जबकि अगड़े और आदिवासी शामिल नहीं है. इतना ही नहीं सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य सहित पार्टी के दूसरे नेता जिस तरह से ‘ब्राह्मणवाद’ के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे और रामचरित मानस पर सवाल खड़े कर रहे थे.

सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दे को सपा आक्रमक तरीके से उठा रही थी, उसके चलते सपा पर सवर्ण विरोधी होने का आरोप लगने लगे थे. यही वजह है कि अखिलेश यादव ने अखिलेश यादव ने पीडीए के ए में सभी को समाहित किया, उससे संदेश साफ है कि सपा सबको साथ लेते हुए आगे बढ़ने की नीति अपनाएगी. इसके साथ ही आजम खान और मुसलमानों के पक्ष में भी सपा खुलकर स्टैंड लेना शुरू कर दिया है.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

 

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