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इंडिया गेट पर नहीं अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी अमर जवान ज्योति

21 जनवरी 2022 | 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट ब्रिटिश राज के दौरान प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में युद्ध (1919) में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में युद्ध स्मारक के रूप में बनाया गया था. इंडिया गेट पर भी सैनिकों के नाम खुदे हुए हैं.

राजधानी दिल्ली में अभी तक अमर जवान ज्योति इंडिया गेट की पहचान हुआ करती थी लेकिन अब यह इंडिया गेट की जगह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलेगी. शुक्रवार को इसका विलय कर दिया जाएगा.

इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का निर्माण 1972 में इंडिया गेट के नीचे 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों की याद में किया गया था.

भारत ने पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर अब इस अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शिफ्ट करने का फैसला किया गया है. इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के रूप में जलने वाली आग की लौ का गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलने वाली लौ में विलय कर दिया जाएगा.

अमर जवान ज्योति स्मारक के ऊपर एक उल्टी बंदूक और सैनिक का हेलमेट बना हुआ है जिसके बगल में एक शाश्वत ज्योति (कभी नहीं बुझने वाली आग की लौ) जल रही है.2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, तो यह निर्णय लिया गया था कि अमर जवान ज्योति की मूल लौ यहीं जलाई जाएगी.

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण से पहले गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र प्रमुख, सेना प्रमुख और अतिथि प्रतिनिधि अमर जवान ज्योति पर ही शहीद सैनिकों का सम्मान करते थे लेकिन बाद में इस पूरी प्रकिया को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में स्थानांतरित कर दिया गया.

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक नई अमर जवान ज्योति लौ जलाई गई है. अब सभी मौकों पर यहीं शहीदों के लिए श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि समारोह आयोजित किए जाते हैं

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों और गुमनाम नायकों की याद में बनाया गया था जिन्होंने आजादी के बाद से देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी. नया स्मारक इंडिया गेट परिसर में 40 एकड़ में फैला है, जिसकी दीवारों पर शहीद हुए सैनिकों के नाम हैं

Source;-“आज तक”

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