20 जनवरी 2023 | 19वीं सदी में शुरू हुए तुर्क साम्राज्य के ध्वस्त पड़े रेल नेटवर्क को एक बार फिर से बहाल करने के लिए जोर-शोर से काम हो रहा है. 8619 किलोमीटर लंबा ये नेटवर्क कभी यूरोप को अफ्रीका महाद्वीप और मिडिल ईस्ट के तीस से ज्यादा देशों को जोड़ता था. उस दौर के बेहतरीन रेल प्रोजेक्ट को पता नहीं किसकी नजर लग गई कि ये करीब 100 सालों से वीरान पड़ा था.
कई देशों ने शुरू की कोशिशें
पहले विश्वयुद्ध के दौरान इस रेलवे प्रोजेक्ट के बुरे दिन शुरू हुए. फिर 21वीं सदी आते-आते इजिप्ट, इजरायल समेत कई देशों की उदासीनता और आपसी दुश्मनी के चलते ये उस समय दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क तबाह हो गया. अब कई देशों के राजनयिक और कारोबारी पर्यटन के सहारे उस दौर के रेल नेटवर्क को बहाल करना चाहते हैं. इस सिलसिले में मोरक्को ने 2018 में पहले हाईस्पीड नेटवर्क की शुरुआत की थी जिसे 2038 तक पश्चिमी अफ्रीका से जोड़ने का प्लान बनाया गया था.
इन देशों में बढ़ेगी कनेक्टिविटी
‘द इकोनॉमिस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक इसी सिलसिले में इजरायल भी 4 रेलवे लाइन का निर्माण कर रहा है. इजरायल तो चीन की मदद से ईरान, सीरिया के पुराने सिल्क रूट को जोड़ते हुए दक्षिणी इराक तक रेल नेटवर्क में 32 किलोमीटर का गैप भरने को तैयार है. इसी तरह इजिप्ट भी अपने रेल नेटवर्क का विस्तार कर रहा है, जिसमें लीबिया, सूडान और सऊदी अरब के लिए नई रेल लाइनें शामिल हैं. इराक ने हाल ही में मोसुल के लिए रेल मार्ग शुरू किया है. ऐसे में कुल मिलाकर पुराने ऑटोमन अंपायर के रेल नेटवर्क के लगभग 2500 किलोमीटर के हिस्से को पहले की तरह आबाद और आज के युग की तकनीक से हाईटेक और हाईस्पीड रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. इस रूट पर काम खत्म होते ही अरब, अफ्रीका एक बार फिर से यूरोप से रेलवे नेटवर्क के जरिए जुड़ जाएंगे.
सोर्स :-“ZEE न्यूज़ हिंदी”