विकासनगर: देश के पहला कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड क्षेत्र विदेशी परिदों के प्रवास के लिए मशहूर है। वेटलैंड में अक्टूबर से मार्च तक विदेशी और अप्रैल से सितंबर तक स्थानीय प्रजाति के परिदों का राज रहता है। बावजूद इसके पक्षी प्रेमियों के लिए यहां सुविधाओं का घनघोर टोटा है। इसी को देखते हुए क्षेत्र की ईको विकास समिति यहां पक्षी म्यूजियम बनाने की मांग उठा रही है।
444.40 हेक्टेयर में फैली आसन झील के इस पूरे क्षेत्र में हर साल 330 से अधिक प्रजाति के परिदे सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। 200 से अधिक प्रजाति के परिदे तो यहां बारह महीने डेरा डाले रहते हैं। क्षेत्र की ईको विकास समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि साइबेरिया, कनाडा व यूरोप के कई मुल्कों से बड़ी तादाद में पलायन करके हजारों परिदे हर साल यहां आते हैं। इस दौरान परिदों के अवलोकन को बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमियों का जमावड़ा भी आसन बैराज क्षेत्र में लगता है। लेकिन, सुविधाओं के अभाव में पर्यटक या पक्षी प्रेमी संतुष्टि के साथ इस सुंदरता का आनंद नहीं उठा पाते।
पक्षी विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना व वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अजय शर्मा कहते हैं कि क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति के चील, गिद्ध, पलाश फिश ईगल, यूरेशियन मार्कस एरियर, सिकरा, बसेरा आदि देखने को मिल जाते हैं। लोकल परिदे नेस्टिंग भी यहीं पर करते हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार यहां सुविधाएं जुटाने पर ध्यान नहीं दे रहे।
अक्टूबर पहले हफ्ते में आने लगेंगे प्रवासी परिदे
अक्टूबर पहले सप्ताह से आसन वेटलैंड में प्रवासी परिदों का आगमन होने लगेगा। इसके मद्देनजर चकराता वन प्रभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रवासी परिदों के लिए झील में अनुकूल वातावरण बनाने को मड टापू की सफाई का काम चल रहा है। रेंजर आसन राजेंद्र प्रसाद हिगवाण बताते हैं कि डीएफओ चकराता दीपचंद आर्य की देखरेख में प्रवासी परिदों की सुरक्षा के लिए टीम गठित की जा रही है।
‘आसन कंजरवेशन के विकास को वर्ष 2006 में एक वृहद योजना बनाई गई थी। इसमें आसन से लेकर डाकपत्थर तक सर्किट विकसित होना था। एडीबी के माध्यम से यह कार्य क्रमवार चल रहा है। इसके अलावा पक्षी अभयारण्य बनाने के मामले में सरकार से वार्ता कर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।’
-मुन्ना सिंह चौहान, विधायक विकासनगर