22 नवंबर 2023 ! भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारतीय मूल के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर दो बार खुलकर चिंता ज़ाहिर की है.
इस बारे में वोंग ने कहा, “हमारे यहाँ बड़ी संख्या में भारतीय मौजूद हैं और विदेशी नागरिकों की दूसरी बड़ी संख्या भारतीयों की ही है. हमारे लिए हमारा बहु-सांस्कृतिक चरित्र बहुत मायने रखता है. हर दूसरा ऑस्ट्रेलियाई या तो विदेश में पैदा हुआ है या फिर उसके माता-पिता विदेश में पैदा हुए थे और मैं भी उनमें से एक हूं.”
वोंग ने कहा, “हम अपने लोकतंत्र की भी रक्षा करते हैं, इसलिए मानते हैं कि लोगों को असहमत होने का भी अधिकार है. उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने और अभिव्यक्ति की भी स्वतंत्रता है. हमने इन विषयों पर साफ़ किया है कि हम तोड़फोड़ और हिंसा स्वीकार नहीं करते. यह हमारे क़ानून और सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है.”
अख़बार के मुताबिक़, जब वोंग से पूछा गया कि क्या ऑस्ट्रेलिया ने भारत के कहने पर अपने यहां कुछ समूहों, जैसे कि ख़ालिस्तानी अलगाववादियों को लेकर कोई क़दम उठाए हैं, तो उन्होंने कहा, “इस संबंध में मैं कहना चाहूंगी कि हम आपकी संप्रभुता का सम्मान करते हैं और हमें शांतिपूर्ण प्रदर्शनों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और हिंसा व तोड़फोड़ के बीच का महीन फ़र्क़ मालूम है.”
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक, सैन्य और समुद्री साझीदारी बढ़ी है. वोंग ने इस दिशा में सहयोग और बढ़ाने की बात की.
उन्होने कहा, “हमें मालाबार अभ्यास की मेज़बानी करने की ख़ुशी है. भारतीय पनडुब्बी का ऑस्ट्रेलिया आना भी ख़ुशी की बात है. यह इस तरह की पहली यात्रा थी.”
ऑस्ट्रेलिया द्वारा हमास के हमले की निंदा करने, मगर इसराइल से युद्धविराम की अपील न करने को लेकर जुड़े सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलिया का रुख़ सैद्धांतिक है. हमने कहा कि ये (हमास के) हमले आम लोगों पर किए गए आतंकवादी हमले हैं. इसराइल ने इस मामले में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए क़दम उठाए हैं.”
वोंग ने कहा, “हमने शुरू से कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन होना चाहिए. हमने मानवीय पॉज़ (जंग में अस्थायी ठहराव) का समर्थन किया है. हम सभी चाहते हैं कि युद्धविराम हो, लेकिन यह एकतरफ़ा नहीं हो सकता. हम जानते हैं कि हमास क्या कर रहा है. उसके पास बंधक हैं और वह इसराइल पर हमले कर रहा है. मैं कहूंगी कि ग़ज़ा में मानवीय अपदा आन खड़ी हुई है.”
ब्रिक्स, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ़्रीका का एक समूह है.
इस बैठक में सऊदी अरब, अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल होंगे, जो अगले साल जनवरी में ब्रिक्स से जुड़ने वाले हैं.
दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी इस बैठक में जुड़ेंगे.
इस वर्चुअल बैठक में पांचों सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुख शामिल होंगे और उसके बाद ग़ज़ा के हालात पर एक संयुक्त बयान जारी किया जा सकता है.
सोर्स :-“BBC न्यूज़ हिंदी”