• May 14, 2024 7:58 pm

स्वच्छता अभियान के लिए देश की 18 महिलाओं को अवार्ड, ताने सहकर भी हार न मानने की कहानी

04 मार्च 2023 | घर- नाली से कचरा उठाने पर ताने सहे, पड़ोसियों ने किनारा किया, अकेले पहल करती रहीं, लेकिन अपने गांवों को स्वच्छ दिखाने की ललक कम नहीं होने दी। ऐसी ही कहानी है, स्वच्छ भारत अभियान को लेकर गांवों में काम करने वाली 18 महिलाओं की, जिन्हें शनिवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के हाथों सम्मानित किया गया। कचरा बीनने के साथ अपने गांवों में सफाई को लेकर घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने वाली महिलाओं के संघर्ष और प्रयास की कहानी प्रेरित करने वाली है |

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के दौरान शनिवार को राष्ट्रपति के हाथों अलग-अलग राज्यों के गांवों में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बेहतर काम करने वाली 18 महिलाओं को सम्मानित किया गया। इनमें से कई ऐसी महिलाएं हैं, जो घर चलाने, अपने गांव को सुंदर दिखाने या अपने गांव की महिलाओं की परेशानी को देखते हुए इस स्वच्छता अभियान से जुड़ीं। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन क्षेत्रों में अपने समुदाय, गांव- पंचायत में परिवर्तनशील योगदान देने वाली महिलाओं को चुना और उन्हें सम्मानित किया गया है। इनमें से ऐसी कई महिलाएं हैं, जिन्होंने गांव में घर के पास टॉयलेट न बनाने की विकृत सोच को बदलने के लिए लंबा संघर्ष किया। प्लास्टिक कचरा कम करने के लिए जागरूकता फैलाई।

गोवा की सफाईकर्मी रसिका आर खांडेपारकर घर चलाने के लिए इस अभियान से जुड़ीं। पंचायत कर्मी बनकर सफाई को अपना मिशन बना लिया। आसपास के लोगों ने इनके काम को लेकर सवाल उठाये और ताने भी मारे, लेकिन इन्होंने अपना इरादा नहीं बदला। आज सफाई को लेकर उस गांव का सम्मान किया जाता है और इनकी पहचान उससे जुड़ी हुई है। इसी तरह ओडिशा की महिला सहायता समूह कर्मी सलिला जेना ने अपने गांव में सेप्टिक टैंक से फैलने वाली गंदगी और बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक किया। महिलाओं का संगठन बनाया सेप्टिक टैंक ओवरफ्लो और गंदगी को इधर-उधर फेंकने से होने वाली बीमारी से बचाने में अहम भूमिका निभाई। उत्तराखंड की सरपंच कविता देवी ने अपने गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया है। सफाई के प्रति लोगों की सोच बदलने के साथ महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और शराब को लेकर महिलाओं का संगठन बनाया और लोगों को जागरूक किया।

गांवों-घरों में स्वच्छता फैलाने वाली 18 महिलाओं को मिला अवार्ड

स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण के तहत बेहतर और सार्थक काम करने वाली 9 महिलाओं को राष्ट्रपति से सम्मान मिला। उत्तर प्रदेश के भरतपुर की सरपंच नीलम देवी, उत्तराखंड के पुरारा गांव की सरपंच कविता देवी, पंजाब पेरोशाह की सरपंच हरजिंदर कौर, अंडमान- निकोबार द्वीप समूह करमाटांग गांव की सफाईकर्मी दुलारी कुजूर, बिहार के सिहो गांव की बबीता गुप्ता, गोवा के पनशेम गांव की सफाईकर्मी रसिका आर खांडेपारकर, ओडिशा के अकरपाड़ा गांव की सलिला जेना, उत्तराखंड के मथेऊ ग्राम पंचायत की सरपंच निकिता चौहान और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डीबी ग्राम पंचायत की आशा कार्यकर्ता हेमलता मंडल को राष्ट्रपति के हाथों सम्मान मिला।

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के हाथों ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता को लेकर बेहतर काम करने वाली 9 महिलाओं को सम्मानित किया गया। इनमें उड़ीसा के सुजानपुर ग्राम पंचायत की सरपंच विष्णु प्रिया महाकुड, तेलंगाना के मुकरा के गांव की सरपंच गड़गे मीनाक्षी, मध्य प्रदेश के पूरा बनवार ग्राम पंचायत की सरपंच नीतू परिहार, गुजरात के अवधनगर की महिला सहायता समूह की राजीबाई मुरजी, जम्मू के पल्लनवाला की सरपंच गीता देवी, झारखंड के आरकोशा की वार्ड मेंबर पूजा देवी, छत्तीसगढ़ पिथौरा की सरपंच अंजीता गोपेश साहू, कर्नाटक के धूपतमहागायो की ग्राम पंचायत सदस्य गीता विनोद पवार और तमिलनाडु के मोडाचूर की असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजेश्वरी को अवार्ड मिला।

ताना सुना पर जिद नहीं छोड़ी, आज हर घर की क्यूआर कोड से ट्रैकिंग

नॉर्थ गोवा के पिस्सुरलम गांव की रसिका आर खांडेपारकर सफाई अभियान को लेकर एक मिसाल हैं। 7 साल पहले वे पंचायत में सफाई कर्मी के रूप में जुड़ी। पति के देहांत के बाद परिवार चलाने के लिए य़ह काम शुरू किया। उन्होंने कहा, कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। मुझे लगा कि मैं इस काम को पूरी लगन और समर्पण से कर सकती हूं। पहले महिला सफाई कर्मी के रूप में दो लोग ही जुड़े थे। घर- घर जाकर कचरा इकट्ठा करना, नाली से कचरा निकालना-छांटना पड़ता था। आस-पड़ोस के लोग ताना भी मारते थे, किनारा भी करने लगे कि ऐसा क्यों काम कर रही है, कुछ और काम करो। मैंने कहा यही काम करूंगी और नौकरी के साथ यह मेरे लिए एक मिशन बन गया। आज रोज 5 से 6 घंटे 70 घरों में जाकर कचरा इकट्ठा करती हूं। हर घर में लगे क्यूआर कोड से कचरा कलेक्शन के ट्रैकिंग होती है। इसका डाटा लाइव पंचायत के दफ्तरों में पहुंच जाता है। रसिका ने बताया कि प्लास्टिक कम इस्तेमाल करने को लेकर लोगों को लगातार जागरूक कर रही हूं। घरों से कचरा लेने के बाद उसे छांटती हूं। उसमें से प्लास्टिक व ई-कचरा अलग निकालकर पंचायत में जमा करती हूं। प्लास्टिक कचरा वे बेचते हैं और इससे पंचायत को आय होती है। जागरूकता का असर यह है कि प्लास्टिक कचरा कम हो गया है, लोग पॉलिथीन झिल्ली का उपयोग कम कर रहे हैं।

घर-घर में टॉयलेट बनवाया, नैपकीन मशीन लगा छात्राओं को पढ़ाई से जोड़ा

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कुरारा गांव ग्राम पंचायत की सरपंच कविता देवी ने हर घर में शौचालय की मुहिम चलाई। 2019 में सरपंच बनने के बाद गांव के 332 घरों और 1700 आबादी वाले पंचायत को खुले में शौच से मुक्त कराया। उन्होंने बताया कि यह सब शुरू में आसान नहीं था। लोग पुरानी सोच का होने के कारण घर के अंदर या आसपास टॉयलेट बनाने का विरोध करते थे। उन्होंने मिशन के रूप में इसे लेते हुए हर घर जाकर लोगों को बार-बार समझाया। महिलाओं को जोड़ा। खुले में शौच से होने वाली बीमारी व तकलीफों के बारे में चेताया। इतना ही नहीं, छात्राओं को मासिक धर्म की परेशानी के कारण स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता था, इसे रोकने के लिए उन्होंने स्कूल में नैपकिन वेंडिंग मशीन लगवाई। सफाई की निगरानी और महिलाओं पर होने वाले अत्याचार, छेड़छाड़ और शराब खोरी को रोकने के लिए गांव में नवयुवक मांग दल और महिला मंगल दल बनाया। इसके जरिए लोगों को सफाई के साथ शराबखोरी और अन्य महिला अपराध के खिलाफ जागरूक किया जाता है।

खुले में सेप्टिक टैंक की गंदगी फेंकने से होने वाली बीमारी से गांव को बचाया

ओडिशा के जाजपुर जिले के अकरपाड़ा ग्राम पंचायत के स्वयं सहायता समूह की सदस्य सलिला जेना 10 साल से स्वच्छता अभियान में लगी हुई हैं। पहले वे घर चलाने के लिए होटल में काम करती थी। आज महिला सहायता समूह के सदस्य के रूप में गांव में खुले में सेप्टिक टैंक की गंदगी फेंकने से होने वाली बीमारी को रोकने में अहम योगदान दे रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले गांव में लोग टैंक ओवरफ्लो होने पर बाहर से जेसीबी बुलाकर उसकी गंदगी गांव के खुले क्षेत्र या सूखे नाले में फिंकवा देते थे। इससे गांव में बदबू के साथ बीमारी होने लगी थी। जेसीबी वाला भी 4-5 हजार रुपए लेता था। उन्होंने इसके लिए एक संगठन बनाया और ग्राम पंचायत के माध्यम से सेप्टिक टैंक की सफाई कम लागत और मशीन द्वारा कराने लगीं। डोर टू डोर जाकर वे सेप्टिक टैंक की मॉनिटरिंग करती हैं। उनके साथ 12 महिलाओं की टीम है, जो कब सेप्टिक टैंक खाली करने के समय आ गया है, कब उसे नाली में ओवरफ्लो होने से रोकने के पहले खाली कराना है, इसकी जानकारी लेती है। इसकी जानकारी ब्लॉक कार्यालय में देती हैं। वहां से मशीन द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कराया जाता है। इसके अलावा लोगों को कचरा खुले में न फेंकने को लेकर लगातार जागरूक कर रही हैं। इसका ही असर है कि आज इस गांव में सफाई अभियान से हर घर की महिलाएं जुड़ी हुई हैं और वह खुद कचरे और सेफ्टी टैंक की गंदगी रोकने की मुहिम में साथ दे रही हैं।

प्लास्टिक कचरे को सजावट में बदल 200 महिलाओं को रोजगार से जोड़ा

बिहार के मुजफ्फरपुर के रूपन पट्टी मथुरापुर ग्राम पंचायत की महिला सहायता समूह कार्यकर्ता बबीता गुप्ता ने प्लास्टिक कचरे को सजावट और आय का जरिया बना दिया। लोगों को जागरूक करने के साथ 200 महिलाओं को जोड़कर उनकी जीविका चलाने का साधन भी उपलब्ध कराया। उन्होंने बताया कि उनके पति हरियाणा में मजदूरी करते थे और एक्सीडेंट होने से उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। घर चलाने के लिए उन्होंने गांव-गांव चूड़ी बेची। 2012 से प्लास्टिक कचरा, फेंके गए एक्सरे फिल्म- सीडी से सजावट के सामान बनाना शुरू किया। रंगीन सूती और ऊनी धागों के साथ मिलाकर प्लास्टिक और पॉलिथीन कचरा से वे पैरदान, गुलदस्ते, डलिया, झूला, पाउच बैग, पेंडेंट, कृत्रिम फूल जैसे उत्पाद बना रही हैं। सजावटी सामान बेचकर उससे ₹7000 महीना कमा रही हैं। अपने साथ उन्होंने गांव की 200 महिलाओं को इस मुहिम में जोड़ा और प्लास्टिक कचरे से सजावटी सामान बनाने की ट्रेनिंग दी। आज वे महिलाएं भी इससे अपना घर चला रही हैं। उन्होंने बताया कि इसके साथ लोगों को प्लास्टिक पॉलीथिन का उपयोग कम करने को लेकर जागरूक कर रही हैं। घरेलू कचरा के साथ मिलाकर प्लास्टिक कचरा न फेंके, इसे लेकर लगातार अभियान चलाती हैं। आज गांव में लोग प्लास्टिक कचरा को अलग रखकर इन महिलाओं को देते हैं और इससे वे सजावटी सामान बनाकर बेचती हैं।

समुद्र किनारे फेंकने वाले प्लास्टिक कचरा को रोका, मुहिम चलाई

अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के नॉर्थ मिडिल अंडमान के करमाटांग ग्राम पंचायत की स्वच्छता कर्मी दुलारी कुजूर पिछले 1 साल से स्वच्छ भारत अभियान में जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि समुद्री बीच से लगे उनके गांव में देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं। उनके द्वारा प्लास्टिक कचरा बड़ी मात्रा में वहां फेंक दिया जाता था। पंचायत की सफाई कर्मी के रूप में वे जुड़ी और रोड और बीच में एकत्र होने वाले प्लास्टिक कचरे को एकत्र करना शुरू किया। इस दौरान वहां आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों को कचरा सड़क या समुद्र किनारे न फेंकने को लेकर जागरूक किया। बीच किनारे डस्टबिन के साथ गंदगी न फैलाने के सूचना बोर्ड लगवाए। इतना ही नहीं वे और उनके साथ जुड़े लोग इसकी निगरानी करने के साथ स्कूली बच्चों और गांव में भी यह अभियान चला रहे हैं। रोज 3 महिलाओं की टीम सुबह 6:00 से दोपहर 2:00 बजे तक 800 मकानों में घर-घर जाकर लोगों से कचरा एकत्र करती है और उन्हें प्लास्टिक कचरा और सूखा-गीला कचरा अलग करने को लेकर जागरूक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पहले रिश्तेदार लोग बोलते थे कि यह काम क्यों करती हो, बंद कर दो। उन्होंने कहा कि सफाई अभियान से जुड़ना उन्हें पसंद है और इस माध्यम से लगता है कि वह अपने गांव के लिए कुछ योगदान दे पाईं।

दो लाख गांवों ने ओडीएफ प्लस घोषित किया-राष्ट्रपति

शनिवार को स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों में बेहतर काम करने वाली महिलाओं को सम्मान देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि करीब दो लाख गांवों ने स्वयं को ओडीएफ प्लस गांव घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि इन गांवों में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था है। मेरा मानना है कि घरों से निकले कचरे का उचित और पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन होना चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि घरों से निकला सॉलिड वेस्ट मेटेरियल किसी सार्वजनिक स्थान पर फेंक दिया जाता है और लिक्विड वेस्ट मटेरियल किसी जल स्रोत में चला जाता है जो कि पर्यावरण और जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक है। हमारे पास ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें अधिकांश वेस्ट मटेरियल रिसाइकिल हो, लिक्विड वेस्ट अंडरग्राउंड वाटर में न मिल सके और रि-साइकिल के बाद जो वेस्ट बचे उसे हम खाद के रूप में उपयोग कर सकें।

सोर्स :– ” जागरण ”   

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