• May 13, 2024 9:06 am

बृजमोहन बोले- वो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र, वहां भव्य मंदिर बनेगा;वजूखाने में शिवलिंग होने का था दावा

14  सितंबर 2022 | छत्तीसगढ़ भाजपा के वरिष्ठ नेता और रायपुर के विधायक बृजमोहन अग्रवाल की चाहत है कि अब अयोध्या के राम मंदिर की तरह ज्ञानवापी में भी मंदिर बने। उन्होंने इस मसले पर अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि,आने वाले समय में वहां भव्य मंदिर बनेगा।

बृजमोहन का ये बयान तब सामने आया है जब वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी विवाद पर सुनवाई के आदेश दे दिए हैं। इस सुनवाई को रोके जाने की अपील को खारिज किया गया है। इस पर विधायक व पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा- वाराणसी की अदालत ने जो आदेश दिया वो देश के लिए अहम है। यहां पुरानी परंपराएं हैं, आस्था के केंद्र हैं उसको पुर्नजीवित करने के लिए, समाज विशेष की याचिका को निरस्त करके कहा है कि ये मामला सुनवाई के लायक है। वो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। ज्ञानवापी शिवलिंग का उल्लेख पुराने शास्त्रों में है,आने वाले सयम में ज्ञानवापी में भव्य मंदिर निर्माण होगा।

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद क्या है?

ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का कहना है कि विवादित ढांचे के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

क्या था आखिर मामला मामला ?
ज्ञानवापी मंदिर पर कब्जा करके मस्जिद बनाई गई और वहां के वजूखाने में शिवलिंग के दावे हाल ही में सामने आए थे। ये मामला कोर्ट चला गया। तब अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की आपत्ति थी कि सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत केस सुनवाई के योग्य नहीं है, क्योंकि ज्ञानवापी क्षेत्र पूजा स्थल एक्ट, वक्फ एक्ट और काशी विश्वनाथ एक्ट के प्रावधानों के तहत आता है। उनकी आपत्ति को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी। जिला अदालत ने हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुना दिया है। अदालत ने मामले को सुनने योग्य माना है और अब इस केस में ट्रायल शुरू होगा।

क्यों बनाया गया था पूजा स्थल कानून?

दरअसल, ये वो दौर था जब राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से रथयात्रा निकाली। इसे 29 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था, लेकिन 23 अक्टूबर को उन्हें बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार करने का आदेश दिया था जनता दल के मुख्यमंत्री लालू यादव ने। इस गिरफ्तारी का असर ये हुआ कि केंद्र में जनता दल की वीपी सिंह सरकार गिर गई, जो भाजपा के समर्थन से चल रही थी।

विवादित स्थल की वर्तमान स्थिति क्या है?

स्थानीय पत्रकार तरुण प्रताप सिंह का कहना है कि मंदिर परिसर में हमेशा 6-7 हजार भक्त उपस्थित रहते हैं। चूंकि ये जगह संवेदनशील मानी जाती है इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद में प्रशासन ने केवल कुछ ही लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे रखी है। ये वो लोग हैं जो हमेशा से यहां नमाज पढ़ते आए हैं। इन लोगों के अलावा यहां किसी को भी नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है।

Source:-“दैनिक भास्कर”

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