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केंद्र ने सुनी पुकार, अब नमामी गंगे योजना के तहत राजस्थान में चंबल नदी का होगा उद्धार

ByPrompt Times

Sep 15, 2020
केंद्र ने सुनी पुकार, अब नमामी गंगे योजना के तहत राजस्थान में चंबल नदी का होगा उद्धार

जयपुर. गंगा (Ganga) की तर्ज पर राजस्थान (Rajasthan) में पहली बार किसी नदी में जलीय जीवों को बचाने के लिए योजना शुरू की जाएगी. नमामी गंगे योजना के तहत राजस्थान की चंबल (Chambal River) नदी में बेहद दुर्लभ गंगा डॉल्फिन, घडियाल, ऊदबिलाव समेत विलुप्ती के कगार पर पहुंची प्रजातियों को बचाने की कवायद की जाएगी. यह राजस्थान की अब तक की पहली मरीन वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन स्कीम होगी. इस योजना में गंगा की तर्ज पर चंबल नदी को फिर से जीवनदान देने का बुनियादी काम किया जाएगा.

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद से राजस्थान की सालभर बहने वाली एक मात्र नदी चंगल को बचाने के लिए सरकार ने योजना बनाई है. किसी भी नदी को बचाने के लिए सबसे पहले उसके ईको सिस्टम को बचाया जाता है. लिहाजा यहां भारतीय वन्य जीव संस्थान और राजस्थान के वन विभाग मिलकर चंबल में संकटकाल से जूझ रहे गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और ऊदबिलाव को बचाया जाएगा.

हालांकि यहां गंगा डॉल्फिन और ऊदबिलाव पहले एक लंबे अंतराल तक लुप्त रही हैं, उसके बाद इन दानों जीवों की चंबल में वापसी से इनके संरक्षण की कुछ उम्मीद जगी है. अवैध बजरी खनन और नदी में बढ़ती कैमिकल युक्त और इंसानी गंदगी से यहां जलीय जीव लगातार संकट में आ रहे हैं.  मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान अरविंद तोमर ने बताया कि मछलियों की प्रजातियां और तादाद कम हो रही हैं. घड़ियाल जैसे जीव संकट के दौर से गुजर रहे हैं, जबकि इसका असर अब सर्ववाइवल में सबसे माहिर माने जाने वाले मगरमच्छों पर भी पढ़ने लगा है. अब तक जल में रहने वाले इन सभी जीवों की किसी ने सुध नहीं ली थी, न कोई गिनती हुई न बचाने की कोशिश. अब वन विभाग इन्हें बचाने के लिए एक विशेष अभियान चलाकर पहले इनकी संख्या का एक ऐस्टीमेशन करेगा और उसके बाद इन्हें बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएगा.

गंगा नदी की तर्ज पर नमामी गंगे योजना में चंबल शामिल
चंबल नदी प्रदूषण कम करने की कोशिश पर मजबूती से ध्यान दिया जाएगा. ऐसे इलाकों में जहां ये जलीय जीव ज्यादा पाए जाते हैं, वहां अवैध खनन से लेकर मछली शिकार पर शिकंजा कसा जाएगा. चंबल नदी अलग-अलग स्थानों पर इन जीवों के लिए खास रेस्क्यू सेंटर स्थापित किये जाएंगे. जहां पर उनके लिए जरूरत पड़ने पर इलाज और रख- रखाव या निगरानी की व्वयस्था हो सके. इसके साथ ही चुनिंदा जगहों पर वन विभाग की ओर से कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर बनाये जाएंगे, ताकि ऐसे संकटग्रस्त जीवों के प्रजनन को बढ़ावा देकर उनकी तादाद में इजाफा किया जा सके.

हालांकि वन विभाग की ओर से किये गए कार्यों की वजह से घड़ियाल की इस साल अच्छी ब्रीडिंग हुई है. ऐसे में ऊदबिलाव और सबसे खास गंगा डॉल्फिन की अगर ब्रीडिंग अच्छी होती है तो इससे उनकी तादाद भी राजस्थान में चंबल में बढ़ सकेगी.

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