बरेली: खुशनुमा चेहरा देखकर मां ने नाम रखा था मुस्कान, मगर वो चेहरा मुरझाया सा है। श्यामगंज ओवरब्रिज के नीचे करवा और दीयों के ढेर के बीच बैठी वो बिटिया हर शख्स को आस भरी नजरों से देखती है। बिना पूछे दाम बतानी लगाती है- करवा चौथ का सामान खरीद लीजिए.. लोग सुनते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। वो फिर भी सुबह नौ बजे से लेकर शाम छह बजे फटी हुई बोरी पर बैठी उन लोगों की राह तकती है, जो खरीदार बनकर आएंगे और बिक्री के जरिये उसे भी त्योहार की खुशियां मनाने का मौका देंगे।
मुस्कान के पिता रामपाल राजमिस्त्री हैं। जगतपुर में पूरा परिवार रहता है। पांच भाइयों में सबसे छोटी मुस्कान नौवीं क्लास में पढ़ती है, मगर इन दिनों मिट्टी के करवा, दीये बेच रही है। कहती है, 15 दिन के लिए स्कूल छोड़ देती हूं। नवाबगंज में रहने वाले मौसेरे भाई से करवा, दीये खरीदकर यहां बेचने के लिए बैठ जाती हूं। इस उम्मीद के साथ कि हजार-दो हजार रुपये बच जाएंगे तो दिवाली का त्योहार ठीक से मना लिया जाएगा। पिता भी आखिर कितना काम करें, उनका हाथ बंटाने के लिए बैठ जाती हूं। मासूम चेहरा के पीछे कई अनुभव समेटे इस बिटिया से पूछो कि दिनभर में कितने की बिक्री हो जाती है ़ ़ ़सवाल पर बस सुस्त चेहरा और गंभीर हो जाता है। कहती है, अभी बिक्री नहीं हो रही। उम्मीद है दीपावली के आसपास लोग दीयों की बिक्री ठीक हो जाएगी। यकीन मानिए, उसी उम्मीद पर इस बिटिया की त्योहार की खुशियां टिकी हैं।
दाम क्या बताऊं, कोई खरीदार तो आए
श्यामगंज चौराहा पर ही कुछ दूरी मीनाक्षी भी मिट्टी के करवा और दीये बेच रही है। पिता चंद्रपाल फेरी लगाकर गुजारा करते हैं। कस्तूरबा स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ती है, मगर इन दिनों स्कूल नहीं जा रही। वजह पूछो तो बताती है कि दीपावली तक दीये बेचूंगी। बहेड़ी में रहने वाले मामा ये दे गए, बिक जाएंगे तो उनकी लागत लौटा दूंगी। जो बचत होगी, उसे पिता को सौंप दूंगी। त्योहार मनाने के लिए पैसे भी तो चाहिए। चार साल से उसका यही क्रम है।
इन दोनों बेटियों से पूछा दाम पूछे तो बोली ़ ़ ़करवा 20 रुपये का बेच रही हूं। दीयों की कीमत क्या है, इस पर मीनाक्षी कहने लगी- दाम बताकर क्या करुं। अभी कोई खरीदने तक नहीं आ रहा। खरीदार आएं तो दाम भी कर लूंगी, अभी तो चिंता है कि यह कब बिकेंगे .
यहां से खरीदारी कर भेजें सेल्फी, हम करेंगे प्रकाशित
मिट्टी की कला को जीवित रखने वाले कारीगरों और मुस्कान जैसे जरूरतमंदों की मदद के लिए दैनिक जागरण ने पहल की है। हम रोज ऐसे लोगों की जानकारी आप तक पहुंचाएंगे। आप भी इन लोगों तक पहुंचिए। जरूरत की चीजें खरीदकर उनकी मदद व उत्साह बढ़ाएं। खरीदारी करते समय अपनी सेल्फी हमें शाम पांच बजे तक भेजें। नाम, पता दर्ज करना न भूलें।