21 मार्च 2023 | आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर एक बार फिर कांग्रेस व भाजपा में वार पलटवार प्रारंभ हो गया है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा की अगुवाई में राज्यपाल बिश्वभूषण हरिचंदन से मिलने पहुंचे कांग्रेसी विधायक निराश लौटे। विधायकों ने राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि राज्यपाल से उम्मीदों के अनुरूप जवाब नहीं मिला। आरक्षण संशोधन विधेयक में जब तक हस्ताक्षर नहीं होता लड़ाई जारी रहेगी।
भाजपा ने कहा- नौटंकी कर रही कांग्रेस
कवासी लखमा ने कहा कि नए राज्यपाल से पहली बार इस विषय पर मुलाकात हुई। उन्होंने कहा विधेयक की समीक्षा करेंगे। हमें उम्मीद थी सकारात्मक जबाव मिलेगा। लगता है नए राज्यपाल भी राजनीतिक दबाव में हैं। वे ज्यादातर अंग्रेजी में बात करते हैं। राज्यपाल से मिलने के लिए आदिवासी समाज के प्रतिनिधि, अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग के विधायकों सहित 20 सदस्यीय दल राजभवन गया था।
इसमें मंत्री कवासी लखमा, विधायक डा. विनय जायसवाल, डा. प्रीतम राय, यूडी मिंज, सत्यनारायण शर्मा, डा. लक्ष्मी ध्रुव, शिशुपाल सोरी, सावित्री मंडावी आदि शामिल थे। सिहावा विधायक डा. लक्ष्मी ध्रुव ने कहा कि हम पर जनता का दबाव है। हम संविधान में उल्लेखित प्रविधानों के अंतर्गत आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर की मांग कर रहे हैं।
राज्य में आदिवासी समुदाय को 58 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था जिसे हाई कोर्ट ने रद कर दिया था। दो दिसंबर 2022 को राज्य सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया है। तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इसपर हस्ताक्षर नहीं किया था। अब नए राज्यपाल ने भी समीक्षा करने की बात कही है। कांग्रेस इसे भाजपा की साजिश बता रही है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कहा है कि आरक्षण के नाम पर कांग्रेस आखिर कब तक नौटंकी करती रहेगी। पहले 58 प्रतिशत आरक्षण रद करवाया। अब 76 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पेश किया है लेकिन क्वांटीफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट पेश नहीं कर पा रहे हैं। कांग्रेस पूर्ववर्ती आरक्षण को क्यों लागू नहीं कर पा रही है।
सोर्स :-“नईदुनिया”