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भारत के खिलाफ साजिश-हमारे K-9 वज्र से मुकाबले के लिए चीन ने पाकिस्तान को माउंटेड हॉवित्जर टैंक दिए, मल्टी बैरल रॉकेट भी देने की तैयारी

ByPrompt Times

Jan 27, 2022 ##China

27 जनवरी 2022 | चीन और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। चीन चाहता है कि पाकिस्तान भारत के साथ संघर्ष में उलझा रहे। यही वजह है कि वो उसे नए हथियार दे रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने हाल ही में पाकिस्तान को चीन में बने माउंटेड हॉवित्जर टैंक दिए हैं। इसके अलावा चीन पाकिस्तान को AR-1 300 mm मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर भी दे रहा है। इन कॉन्ट्रैक्ट की कीमत करीब 51.2 करोड़ डॉलर बताई जा रही है।

ताकि भारत के सामने कमजोर न पड़े पाकिस्तान
‘द हिंदुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अब पाकिस्तान को फाइटर एयरक्राफ्ट, डेस्ट्रॉयर्स और DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइलें भी देने का मंसूबा बना रहा है। ये मिलिट्री इक्युपमेंट्स चीन इसलिए दे रहा है ताकि पाकिस्तानी सेना जंग के हालात में भारत के सामने कमजोर न पड़े और भारत के एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का भी मुकाबला किया जा सके। चीन की कोशिश है कि भारत दो मोर्चों पर जूझता रहे। चीन की नजर में पाकिस्तान का एटमी ताकत होना उसके लिए भी फायदेमंद है और वो कन्वेंशनल वॉर फेयर यानी पारंपरिक युद्ध के लिए 1990 से ही उसे हथियार दे रहा है।

तीन साल पहले हुआ समझौता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन ने 2019 में चीन की हथियार कंपनी नोरिन्को के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत उसे 236 SH-15 155 mm माउंटेड हॉवित्जर टैंक मिलने हैं। इसके अलावा एआर-1 हैवी रॉकेट लॉन्चर भी पाकिस्तान को दिए जाने वाले हैं। इनकी रेंज 53 किलोमीटर तक हो सकती है। इनके गोले भी पाकिस्तान को सप्लाई किए जाते रहेंगे। चीन चाहता है कि पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान और भारत के बीच कश्मीर में तनाव जारी रहे ताकि वो एलएसी पर दबाव बनाए रख सके। पाकिस्तान को हाइपरसोनिक मिसाइल DF-17 इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि वो भारत के एस-400 को चकमा दे सके। चीन ने 2014 से अब तक 9 बार इस मिसाइल का टेस्ट किया है। माना जाता है कि इसकी रेंज 1950 किलोमीटर है। इसकी रफ्तार आवाज के मुकाबले 5 गुना ज्यादा है।

भारत भी तैयार
चीन की मिसाइलें अपनी जगह हैं, लेकिन भारत के पास इससे कहीं ज्यादा ताकतवर हाइपरसोनिक मिसाइल मौजूद हैं। सितंबर 2020 में भारत ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का कामयाब टेस्ट किया था। अब DRDO को स्वदेशी प्रोजेक्ट को और तेज करना होगा ताकि चीन और पाकिस्तान का मुकाबला किया जा सके।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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