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झारखंड में पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने पर राज्यों के अध्ययन के बाद निर्णय- सीएम

ByPrompt Times

Mar 8, 2022 ##study

08 मार्च 2022 | झारखंड में पिछड़े वर्ग के आरक्षण का सवाल जोर पकड़ने लगा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हम प्रयास करते हैं कि आरक्षण बढ़े। सबको समान अधिकार मिले। उन्होंने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार तमिलनाडु और महाराष्ट्र के साथ ही अन्य राज्यों का अध्ययन कर राज्य की स्थिति को ध्यान में  रखते हुए विधिसम्मत निर्णय लेगी।

उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की सरकारों ने आरक्षण पर क्या नियम और प्रावधान बनाया है, इसका अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सुझाव को भी समाहित किया जाएगा। सीएम ने कहा कि पिछड़ों का आरक्षण 27 से घटाकर 14 फीसदी पूर्व में किसने किया, इससे सभी अवगत हैं। पूर्व के सदन के नेता ने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं देने की बात कही थी, लेकिन उनकी सरकार इतनी क्रूर नहीं है। इस विषय पर अध्ययन किया जा रहा है। आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र और तमिलनाडु का उदाहरण अक्सर ही हम सभी सदन एवं अन्य स्थानों पर सुनते आ रहे हैं।

तो एससी,एसटी को यूक्रेन भेजना पड़ेगा

सदन में विपक्ष पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लगता है विपक्षी दलों ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर राजनीति करने की पूरी भूमिका तैयार कर ली है।आजसू से गोमिया विधायक लंबोदर महतो के मुख्यमंत्री प्रश्नकाल के दौरान राज्य के पिछड़े वर्गों का आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 36 से 50 प्रतिशत तक करने का सवाल सदन में उठाया। इस पर मुख्यमंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था बनी तो एसटी, एससी को यूक्रेन भेजना पड़ेगा। 

सूबे में कृषि क्षेत्र में विकास की दर 26 फीसदी रही

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कृषि मंत्री बादल को विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी किसानों के ऋण माफी और बैंक लोन एनपीए होने के मामले में घेरा। बहस पर चर्चा के दौरान कृषि मंत्री के जवाब के दौरान भाजपा व आजसू के विधायकों ने किसानों के ऋण के एनपीए होने के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। इसके बाद भाजपा व आजसू विधायक सदन से वॉकआउट कर गए।

विपक्ष के वॉकआउट के बाद कृषि विभाग की 4091.37 करोड़ की अनुमान मांग को मंजूरी मिली। सोमवार को भोजनावकाश के बाद सदन में कृषि की अनुदान मांगों पर चर्चा के पूर्व विधायक अनंत कुमार ओझा कटौती प्रस्ताव रखा, जो ध्वनिमत से खारिज हो गया। बजट चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कृषि सेक्टर का ग्रोथ 26 फीसदी रहा है। ऋण माफी योजना को लेकर गलत परसेप्शन बनाया जा रहा है। दो साल में 3 लाख 80 हजार 150 किसानों के 50 हजार तक के ऋण की माफी की बात कृषि मंत्री ने कही।

Source;-“हिंदुस्तान”  

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