10 जून 2023 ! बीजेपी प्रवक्ता एमजी महेश ने बीबीसी से कहा है, “हमारा विरोध प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य सरकार किस तरह काम करती है.”
बीजेपी के शासन के दौरान राज्य में इस क़ानून में बदलाव किया गया था. इसके तहत गोहत्या पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी, साथ ही कहा गया था कि भैंस और सांड को उनके 13 साल का होने के बाद मारा जा सकता है.
क़ानून में बदलाव करते वक्त इसमें कड़ी सज़ा का भी प्रावधान किया गया. दोषी पाए जाने पर इसके तहत तीन से सात साल की सज़ा और पांच हज़ार से लेकर पांच लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया. दोबारा उसी मामले में दोषी पाए जाने पर सात साल की सज़ा और एक लाख से लेकर दस लाख तक के जुर्माने का प्रावधान था.
ये मुद्दा उस वक्त सुर्खियों में आया जब एक रिपोर्टर ने राज्य के पशुधन मंत्री के. वेन्कटेश से सवाल किया कि क्या उनकी सरकार गोहत्या की रोकथाम के लिए क़ानून में बदलाव के बारे में विचार कर रही है.
रिपोर्टर का कहना था कि राज्य में खेती से जुड़े लोगों के लिए बूढ़े हो रहे मवेशियों को पालना और मरे पशुओं का निपटारा करना मुश्किल हो रहा है.
अपने जवाब में पशुधन मंत्री के. वेन्केटश ने कहा कि गोहत्या पर लगे बैन का बुरा असर किसानों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा, “अगर बांझ हो गए भैंसों और सांडों को काटा जा सकत है तो गायों को काटने में क्या समस्या है?”
इस दौरान वेन्कटेश ने अपना निजी अनुभव भी साझा किया. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी मरी गायों के शव उठाने के लिए बुलडोज़र किराए पर लेना पड़ा था.
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस क़ानून में ऐसा बदलाव लाने की योजना बना रही है, जो किसानों के हित में होगा. लेकिन अपने इस बयान के बाद वो विवादों में फंस गए और बीजेपी के कई नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की.
बीजेपी प्रवक्ता एमजी महेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी, “अपने वोटबैंक को खुश करने की कोशिश कर रही है. गाय की अपनी उपयोगिता है. ये केवल धार्मिक भावना की बात नहीं है कि गाय को काफी सम्मान की नज़र से देखा जाता है. लेकिन हमारे देश में कोडागु जिले के कुशालनगर और हसन रोड पर बस हादसे में लोगों की जान जाने से बचाने वाले पत्थर के कलवर्ट (पहाड़ी नालों पर बने पुल) को भी लोग पूजते हैं.”
उन्होंने कहा कि “ये दलील कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आएगा. ये एकमात्र दलील नहीं है, इससे जुड़ी कई और दलीलें भी हो सकती हैं. ये भी एक अपवाद है कि हिंदुओं में भी कई लोग हैं जो बीफ़ खाना पसंद करते हैं. लेकिन हमें एक आदर्शवादी रुख़ अपनाने की ज़रूरत है और गोहत्या रोकना है.”
उन्होंने कहा कि जिस दौर में मैसूर की राजशाही का विलय भारत में हुआ था उस वक्त भी गोहत्या का विरोध होता था. उन्होंने कहा, “मैसूर के महाराज ने केंद्र सरकार के सामने एक ही शर्त रखी थी, वो ये थी कि राज्य में कहीं गोहत्या नहीं होगी.”
हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या ने सवाल उठाने वाली बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि नैतिक तौर पर इस मुद्दे पर सवाल उठाने का उसे हक नहीं है.
बुधवार को बेंगलुरु में होने वाले बीजेपी के विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक सवाल के उत्तर में सिद्धारमैय्या ने कहा कि कैबिनेट में अब तक इस मुद्दे पर चर्चा तक नहीं हुई है.
सोर्स :-“BBC न्यूज़ हिंदी”