• May 17, 2024 7:01 am

विदेशों में भारत की ज्वेलरी से हो रहा मोह भंग, 52 हजार करोड़ का हुआ नुकसान

ByADMIN

Apr 30, 2024 ##Indian

भारत के आभूषणों का दुनिया में हर कोई दीवाना रहा है. इसी वजह से देश से दुनिया के हरेक कोने में आभूषण जाते रहे हैं. खास बात तो ये है कि भारत के एक्सपोर्ट बकेट में इन आभूषणों की हिस्सेदारी काफी रही है. लेकिन बीते कुछ सालों के आंकड़ों को देखें तो लगता है कि दुनिया का भारत की ज्वेलरी से मोह भंग सा होता जा रहा है.

बीते तीन सालों में वित्त वर्ष 2024 में भारत से जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट सबसे कम देखने को मिला है.ताज्जुब की बात तो ये है कि वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले 2024 में इस कैटेगिरी का एक्सपोर्ट करीब 52 हजार करोड़ रुपए कम हुआ है. जिसे एक तरह से नुकसान की कैटेगिरी में आराम से रखा जा सकता है. आइए जरा आंकड़ों के लिहाज से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर वित्त वर्ष 2024 में जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट कितने रुपए का हुआ है. साथ ही इसका प्रमुख कारण क्या है?

दो साल में 52 हजार करोड़ का नुकसान

कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 के दौरान रत्न और आभूषण का एक्सपोर्ट 32.71 अरब डॉलर देखने को मिला. जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 37.96 अरब डॉलर रहा जोकि 2024 के मुकाबले 5.25 अरब डॉलर ज्यादा था. इसका मतलब है कि बीते एक साल में जेम्स एंड ज्वेलरी के एक्सपोर्ट में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. वहीं दूसरी ओर वित्त वर्ष में जेम्स एंड ज्वेलरी के एक्सपोर्ट का आंकड़ा 38.94 अरब डॉलर था जो 2023 के मुकाबले करीब 1 बिलियन डॉलर ज्यादा था.

2024 के मुकाबले ये अंतर 6 अरब डॉलर से ज्यादा यानी करीब 52 हजार करोड़ रुपए का हो गया. इसका मतलब है कि एक्सपोर्ट में देश को इस कैटेगिरी में दो साल में काफी बड़ा नुकसान हो चुका है. वास्तव में कोविड महामारी के दौरान, दुनिया के कई देशों की ओर एहतियात बरतने की वजह से दूसरे प्रोडक्ट्स के साथ जेम्स एंड ज्वेलरी के एक्सपोर्ट के एक्सपोर्ट में भी गिरावट देखने को मिली है.

कितना था टारगेट

महामारी के कारण वित्त वर्ष 2019 में जेम्स एंड ज्वेलरी का एक्सपोर्ट गिरकर 3.86 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2020 में 4.32 बिलियन डॉलर हो गया था. जिसके बाद वित्त वर्ष 2021 में बढ़कर 26.02 बिलियन डॉलर हो गया. इसका मतलब है कि इसमें 2019 के मुकाबले करीब 6 गुना से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला. यही वजह रही कि सरकार समर्थित संस्था रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद यानी जीजेईपीसी ने यूएई में ज्यादा सेल्स कीवजह से वित्त वर्ष 2024 में 40 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट टारगेट रखा था. वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने मीडिया रिपोर्ट में नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मांग में गिरावट भारत के प्रमुख बाजारों चीन और अमेरिका दोनों में मंदी की चुनौतियों के कारण है.

ट्रेड डेफिसिट हुआ कम

पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट, जिसमें भारत के निर्यात के लिए एक प्रमुख बाजार संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल है, वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर 9 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष में 7 बिलियन डॉलर था. इस बीच, गुड्स एंड सर्विसेज सहित भारत का कुल व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2023 में 121.62 बिलियन डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 24 में 78.12 बिलियन डॉलर हो गया. विश्व व्यापार संगठन उम्मीद कर रहा है कि हाई एनर्जी प्राइसेस और महंगाई के कारण 2023 में मंदी के बाद, 2024 के दौरान ग्लोबल ट्रेड में सुधार देखने को मिलेगा.

क्या कहती है डब्ल्यूटीओ की रिपोर्ट

डब्ल्यूटीओ ने अप्रैल में अपने ग्लोबल ट्रेड आउटलुक और स्टैटिक्स रिपोर्ट में कहा कि जैसे-जैसे आर्थिक दबाव कम होगा और आय बढ़ेगी, ग्लोबल मर्चेंडाइज ट्रेड वॉल्यूम 2024 में 2.6 फीसदी और 2025 में 3.3 फीसदी बढ़ जाएगा. 2022 में 3 फीसदी ग्रोथ के बाद 2023 के दौरान, जियो पॉलिटिकल और आर्थिक उथल-पुथल के बीच ग्लोबल ट्रेड में 1.2 फीसदी की गिरावट आई थी. वैल्यू के हिसाब से देखें तो मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट निर्यात में गिरावट 2023 में अधिक स्पष्ट थी, जो 5 फीसदी घटकर 24.01 ट्रिलियन डॉलर रह गई थी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

source tv9 bharatvarsh

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