• May 13, 2024 7:06 pm

श्री जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ का जिला सम्मेलन सम्पन्न

3 जनवरी2021 | श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ महातीर्थ में 15-16जनवरी को दो दिवसीय राष्ट्रीय महासम्मेलन

इन्दौर । श्री जैन श्वेताम्बर मालव महासंघ का जिला सम्मेलन रामबाग दादावाड़ी में साध्वीश्री विनीताश्रीजी महाराज साहेब की शिष्या श्री विमलप्रवाहश्रीजी  की निश्रा में एवं महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दिलसुखराजजी कटारिया की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । प्रारम्भ में साध्वीजी ने मांगलिक फरमाया और गच्छवाद से ऊपर उठकर संगठित होकर जिनशासन की सेवा करने की प्रेरणा दी ।

कार्यक्रम की शुरुआत में मालवा महासंघ के महासचिव राजेश मानव ने बताया कि तेरह वर्ष पूर्व उज्जैन में मालवानंदन आचार्य श्री नवरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराजा व आचार्य श्री अशोकसागर सूरीश्वरजी महाराज साहेब की पावन निश्रा में गठन हुआ, संस्थापक अध्यक्ष श्री समरथमलजी पटवा व कार्यकारी अध्यक्ष श्री प्रेमचंदजी डूंगरवाल व महासचिव श्री बाबूलालजी आंचलिया व सुभाषजी जैन को बनाया । तब से अब तक मालवा महासंघ ने संघ को लगातार संगठित करने का अहम् कार्य किया ।
 श्री मानव ने कहां कि  गुरूदेव की दूर की सोच थी कि उन्होंने श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के सभी सम्प्रदाय सभी आमनाओं को एक मंच पर लाने के लिये महासंघ के गठन की प्रेरणा दी व उन्हीं के कृपापात्र, युवाओं मार्गदर्शक आचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराज साहेब के सानिध्य में व उनके क्रांतिकारी विचार, विश्व कल्याण की प्रबल भावना ने मालवा, मेवाड़, वागड़ व हाड़ौती में सम्पूर्ण जैन धर्मावलंबियों को एक माला के रूप में पिरो दिया है । युवाओं के लिये नवरत्न परिवार का गठन किया व समाज के श्रेष्ठी, अग्रणी व जवाबदार श्रावकों के लिये श्री जैन श्वेतांबर मालवा महासंघ का सूत्र दिया । मालवा महासंघ व नवरत्न परिवार मिलकर जिनालय शुद्धिकरण का वार्षिक अनुष्ठान करते है, जिससे समाज में नई जाग्रति आई है । आज का जिला सम्मेलन समाज के सभी श्रीसंघों को जोड़ने का एक सुन्दर प्रकल्प है, आगामी 15 -16 जनवरी 2022 को श्री नागेश्वर पार्श्वनाथ महातीर्थ में युवाचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वरजी महाराज साहेब की पावन निश्रा में दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में अवश्य पधारकर जिनशासन की शोभा में अभिवृद्धि  करें ।

सभा को संबोधित करते हुए श्री शेखरजी गेलड़ा ने अपने स्वागत भाषण व महासंघ के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवा महासंघ के प्रमुख सात प्रकोष्ठ और उसके प्राथमिक कार्य है, जिसमें जिनालय और विहार धाम प्रकोष्ठ, जिनालय में प्रतिमाजी के चक्षु टीका सहित तिकड़ा और अन्य आवश्यक लगने वाली सामग्री, जिले में पुजारी की समस्या, जिनालय का रंग रोगन, शिखर से लेकर जिर्णोंद्धार, कानूनी सहायता और जिनालय से लगी ज़मीनों की सुरक्षा, जिनालयों व विहारधाम की सुरक्षा व्यवस्था और आवश्यक नवीन विहार धाम का निर्माण, विहार सेवा व वेयावच्छ प्रकोष्ठ, साधु-साध्वी भगवन्तों के विहार में सहयोग, सुरक्षा और आहार पानी की सम्पूर्ण व्यवस्था । इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा प्रकोष्ठ जहां
साधु-साध्वी भगवन्तों की दवाई, चिकित्सकों का प्रबंध व समाज के लोगों की प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था में सहभागी बनना  । श्री गेलड़ा ने कहा कि साधर्मिक भक्ति और अनुकम्पा दान प्रकोष्ठ में साधर्मिक का कठिनाइयों में सहयोग करना और पिड़ीतों को अनुकम्पा दान करना इसके बाद शिक्षा व्यवस्था जिसमें साधु-साध्वीजी की शिक्षा व्यवस्था, पाठशाला, समाज के स्कूल और उच्च शिक्षा में जाने वाले जरूरत मन्द छात्रों का मार्गदर्शन व सहयोग इसके उपरांत गोसेवा एवं जीव दया प्रकोष्ठ जिसमें गौशाला का निर्माण व संचालन आदि के साथ
प्रचार-प्रसार प्रकोष्ठ में
जिन शासन का कैसे अधिक से अधिक प्रचार-प्रचार हो इस पर भी कार्य करना है ।

मालवा महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री यशवंतजी जैन ने कहा कि मालवा महासंघ लगातार समाज को संगठित करने का प्रयास कर रहा है और इसमें सफलता भी मिली है, सबसे बड़ी बात इसमें सभी श्रीसंघों के सम्मानित सदस्यों की सहभागिता जुड़ी हुई हैं ।

श्री अद्भुत गिरी पीपली बाज़ार श्रीसंघ के अध्यक्ष श्री पारसजी वोहरा ने कहा कि समाज में जाग्रति लाने के लिये साधुसंतों की प्रमुख भूमिका है, पिछले दिनों आचार्यश्री नरदेवसागर सूरीश्वरजी महाराज साहेब ने शेषकाल में पूरे इन्दौर लगभग सभी श्रीसंघों में पहुँच कर ऐसी अलख जगाई कि ऐसा लगा चार्तुमास जैसा माहौल बन गया । उन्होंने समाज की एकता के लिये सभी से प्रतिबद्धता के साथ आचरण करने पर ज़ोर दिया ।

मालवा महासंघ के इन्दौर महानगर संयोजक श्री अभयजी बांगरेचा ने कहा कि समाज की एकता को स्थापित करने के लिये ऐसे सम्मेलनों की महत्ति आवश्यकता है, शहर में जिनालय को बहुत है, लेकिन जिनालयों में श्रावक-श्राविकाओं को परमात्मा की पूजा-आरती आदि में सक्रियता से भागीदारी करना चाहिए, उन्होंने श्री नागेश्वर तीर्थ में दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने का पुरज़ोर ऑव्हान किया ।

मालवा के प्रमुख जिनशासन प्रेमी श्री प्रवीण गुरूजी ने कहाँ कि एक ही महत्वपूर्ण बात है कि सभी जीवों को जिनशासन से जोड़ना है, हमारे मालवा में गुजरात जैसा धर्म नहीं है, क्योंकि हमारे क्षैत्र में साधु संतों का विचरण कम है । ऐसा होना चाहिए कि जैसे ही हमारे प्रदेश में साधु-साध्वीजी का प्रवेश हो वहाँ से विहार सेवा प्रारम्भ हो, व गाँव-गाँव में उनके प्रवचनों का लाभ मिले ! उन्होंने कहा कि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता समाज से पहले परिवार को एकजुट करना है, परिवार एकजुट होगा तो समाज भी एकजुट हो ही जाएँगा । मनुष्य की चार अवस्था है – बुजुर्ग, प्रौढ़, युवा व बच्चा इनमें विचारों का समन्वय बहुत ज़रूरी है और इसके लिये प्रारंभ से ही संस्कारों की ज़रूरत है ।
श्री प्रवीण गुरुजी ने कहाँ कि  युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिये पाठशाला बहुत ज़रूरी है, हर श्रीसंघ में इस पर प्राथमिकता से कार्य करना चाहिए, गुरूजी ने कहाँ कि मालवा महासंघ पूरे एक साल केवल पाठशाला का काम करें, जहां पाठशाला चल रही है, वहाँ और कैसे अच्छे से चले, जहां नहीं है वहाँ सबसे पहले पाठशाला की स्थापना हो, समाज का प्रत्येक बच्चा पाठशाला में अवश्य जावें, वहाँ जो संस्कार मिलेंगे, वह पूरे जीवन के लिये माइल स्टोन का काम करेंगे ।
श्री प्रवीण गुरूजी ने जिनालय शुद्धिकरण की अनुमोदना करते हुए कहा कि समाज में ऐसे कार्य एकजुटता को प्रोत्साहित करते हैं, प्रेरणादायी है, इससे युवाओं में नये जोश का संचार  हुआ है ।

श्री जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दिलसुखराजजी कटारिया ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मालवा महासंघ का गठन जिनशासन को एकजुट करने के लिये प्रभावी भूमिका निभाने के लिये अतिआवश्यक है । उन्होंने कहाँ कि समाज के सभी श्रावकों को आगे आकर एकजुटता का परिचय देना चाहिए और अधिक से अधिक संख्या में नागेश्वर में दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेवें ।
आभार प्रदर्शन का दायित्व श्री प्रीतेशजी ओस्तवाल ने निभाया और कहाँ कि पिछले वर्ष 1200 जिनालयों का शुद्धिकरण किया, इस वर्ष 1500 जिनालयों का शुद्धिकरण का लक्ष्य रखा गया है ।

कार्यक्रम में मालवा महासंघ के संगठन मंत्री सर्वश्री सुजानमलजी चौपड़ा,  
राजकुमारजी सुराणा, शांतिलालजी पालरेचा, मनोहरलालजी जैन, दीपकजी भंडारी, आर.सी.जैन सा., रमणीकलालजी ओरा, नरेंद्रजी बोथरा,  सुनीलजी पटवा, महेन्द्रजी शाह, राजेन्द्रजी गुगलिया, पुखराजजी पामेचा, रजत बागरेचा, प्रमोदजी चोरड़िया, प्रियेशजी कोठारी, सुभाषजी कांग्रेसा, मनोहरलालजी गोखरू, महेंद्र गुरुजी, अभय गुरुजी, पुंडरीक पालरेचा, सोमिलजी कोठारी,  संदीपजी पोरवाल, विजयजी जैन, जिनेन्द्रजी मारू, सुरेशजी बोधरा, सुधीरजी जैन आदि महानुभाव उपस्थित थे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *