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प्रशासनिक लापरवाही एवं राज्य सरकार की शोषणकारी गलत नीति के चलते किसान धान बेचने से रहे वंचित सता रही कर्ज चुकाने की चिंता कलेक्टर आफिस तक चक्कर लगाने के बाद भी नहीं मिला न्याय

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Feb 1, 2021
प्रशासनिक लापरवाही एवं राज्य सरकार की शोषणकारी गलत नीति के चलते किसान धान बेचने से रहे वंचित सता रही कर्ज चुकाने की चिंता कलेक्टर आफिस तक चक्कर लगाने के बाद भी नहीं मिला न्याय

कसडोल | प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही एवं छत्तीसगढ़ सरकार की शोषणकारी गलत नीति के चलते किसानों को अपनी पूरी फसल बेचने से वंचित होना पड़ा है वहीं कुछ किसान ऐसे हैं जो रकबा सुधार की आस में एक भी धान नहीं बेच पाया है। इसका प्रमुख कारण है रकबा कटौती। किसानों के रकबा में कटौती नहीं की जाती तो किसानों को अफिस दर आफिस चक्कर काटना नहीं पड़ता और पहले की भांति पूरी फसल आसानी से बेंच पाते। किन्तु राज्य सरकार के आदेश पर पहले गिरदावली की आड़ में अधिकाधिक किसानों का रकबा काटा गया, फिर नवंबर के बजाय दिसंबर से धान खरीदी प्रारंभ की गई जो 28 जनवरी के बाद बंद हो गया, उसके बावजूद भी बोरे की कमी से किसान जूझते रहे और 35 से 40 रुपए में बोरा खरीदना पड़ा जो कि बड़ी मुश्किल से मिलता था। इसी बीच कटे हुए रकबा को जोड़ने आवेदन लेने का दिखावा किया गया। यही कारण है कि किसान अपनी पूरी धान नहीं बेंच पाए और नुकसान उठाना पड़ा। कई किसान तो रकबा जुड़ने की आस में एक भी धान नहीं बेंच पाए और समय निकल गया। ऐसा ही एक किसान संतोष कुमार पिता स्व. धनीराम जाति रावत ग्राम सिनोधा तहसील कसडोल जिला बलौदाबाजार का निवासी है,जिनके नाम पर संयुक्त खाता की भूमि ग्राम सिनोधा प.ह. नं.14 तहसील कसडोल में खाता क्रमांक 1136 में कुल रकबा 2.933 हे. एवं ग्राम साबर में खाता क्र.8 में कुल रकबा 3.225 हे. कुल रकबा 6.158 हे. भूमि राजस्व अभिलेख में दर्ज है।  संतोष कुमार ने बताया कि खरीफ वर्ष 2019_20 में धान विक्रय हेतु पिसिद समिति में पंजीकृत था तथा उपज फसल को प्रतिवर्ष विक्रय करते आ रहा है। साथ ही उक्त समिति से कर्ज लिया है जिसे अदा किया जाना आवश्यक है, किन्तु उपरोक्त रकबा में से खरीफ वर्ष 2020_21 में अत्यधिक रकबा काटकर धान विक्रय हेतु पंजीकृत किया गया है जिससे उसका धान नहीं बिक पाएगा तथा उसे भारी आर्थिक नुकसानी होगी और ऋण अदा नहीं कर पाएगा आवेदक संतोष कुमार ने काटे गए रकबा सुधार हेतु अर्जी लेकर पटवारी, तहसीलदार एवं कलेक्टर कार्यालय का चक्कर काट चुका है किन्तु केवल आश्वासन ही मिलता रहा और अंत तक रकबा सुधार नहीं हुआ, जबकि पटवारी ने प्रतिवेदन में पूरा जानकारी दे चुका है। अधिकारियों से मिलते रहे आश्वासन के चलते आवेदक ने अंत तक धान नहीं बेंच सका। इससे आवेदक अत्यंत चिंतित है कि वह कर्ज कैसे अदा करेगा। उन्होंने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है कि पूर्व पंजीकृत रकबा को खरीफ वर्ष 2020_21 में धान विक्रय हेतु पंजीयन करने एवं धान बिक्री किए जाने की अनुमति मांगते हुए कहा है कि उनका पूरा धान किसी तरह खरीदा जाय जिससे वह कर्ज से मुक्ति पा सके।  इस संबंध में तहसीलदार इंदिरा मिश्रा से जानकारी लेने पर बताया कि रकबा सुधार हेतु आवेदन विलंब से मिला और अब धान खरीदी बंद हो गई है जिससे अब कुछ नहीं हो सकता।

Ashok kumar Tandan

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