10 नवम्बर 2021 | हमीदिया अस्पताल में सोमवार रात पीडियाट्रिक वार्ड में आग लगने की घटना के पीछे एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। वेंटिलेटर का प्लग इडस्ट्रियल शाकेट (ज्यादा क्षमता वाला) में लगाया जाना चाहिए था, लेकिन जिस वेंटीलेटर में फाल्ट हुआ है उसे साधारण शाकेट में एक्सटेंशन लगाकर लगाया गया था। राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) ने इस संबंध में हमीदिया अस्पताल प्रबंधन को पहले पत्र भी लिखा था, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। यहां एसी व अन्य उपकरण भी इसी तरह से जुगाड़ से चलाए जा रहे थे।
दूसरी बड़ी लापरवाही यह कि हमीदिया अस्पताल में पिछले छह महीने के भीतर आग लगने की तीन घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने सबक नहीं लिया। कमला नेहरू अस्पताल गैस राहत अस्पताल में हमीदिया का शिशु रोग, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी और नेत्र विभाग संचालित होता है। गैस राहत विभाग ने फायर एनओसी नहीं ली, क्योंकि इस अस्पताल का उपयोग हमीदिया प्रबंधन कर रहा है। उधर, हमीदिया अस्पताल प्रबंधन ने अभी तक इसलिए फायर एनओसी नहीं ली कि अस्पताल भवन गैस राहत विभाग का है। नगर निगम के फायर अधिकारी रामेश्वर नील ने फायर एनओसी नहीं होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि वार्ड में आग बुझाने के उपकरण भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
हमीदिया में कब-कब हुए हादसे
– जुलाई में शिशु रोग विभाग में ही बिजली के पैनल स्पार्किंग हुई थी।
– सितंबर में बच्चा वार्ड में ही दीवाल में लगने वाले पंखे में आग लग गई थी। तब भी बहुत ज्यादा धुआं निकला था, लेकिन जूनियर डाक्टरों ने अग्निशमन यंत्र से आग पर काबू पा लिया था।
– 10 अक्टूबर को दो हजार बिस्तर वाले नए अस्पताल भवन में एसी के सामान में आग लगी थी।
इस तरह की लापरवाही भी
– हमीदिया अस्पताल के शिशु रोग विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि एसएनसीयू में फाल्स सीलिंग नहीं होनी चाहिए।
– उपकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन बिजली के लोड का मूल्यांकन नहीं किया जाता और न ही लोड बढ़ाया जाता।
-पीएम केयर्स फंड से आए वेंटिलेटर्स के पहले भी खराब होने की शिकायतें आ चुकी हैं।
Source :-“नई दुनिया”