27 जुलाई 2023 ! जलवायु परिवर्तन के चरम प्रकोप नजर आने के साथ ही दुनिया में इसके अन्य प्रभाव भी दिखने लगे हैं. दुनिया ज्यादा गर्म होती जा रही है. इससे मच्छरों का भी भौगोलिक दायरा भी बढ़ता जा रहा है वे नई ऊंचाई वाले इलाकों में फैलने लगे हैं जिससे वहां भी मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां फैलने लगी हैं. इस तरह की परिघटना दक्षिण अमेरिका की उच्च भूमि से लेकर पूर्वी अफ्रीका के घनी आबादी वाले इलकों में देखने को मिल रही है. यानि अब नए इलाकों लोगों को मलेरिया जैसी बीमारियों का संक्रमण झेलने पड़ेगा.
ओटावा विश्वविद्यालय में उप सहारा के क्षेत्र में मलेरिया पर अध्ययन करने वाली प्रोफेसर और शोधकर्ता मनीषा कुलकर्णी सहित वैज्ञानिकों ने इस बात पर चिंता जताई है. कुलकर्णी की अगुआई में हुए 2016 एक अध्ययन में पाया गया था कि एक ही दशक में मलेरिया संक्रमण करने वाले मच्छरों का आवास किलिमंजारो पर्वत की ऊंचाइयों में सैकड़ों वर्ग किलोमिटर के दायरे मेंइस तरह के बदलाव दूसरे कई इलाकों में भी देखने को मिले थे जिसमे हवाई द्वीप भी शामिल हैं जहां मलेरिया मच्छरों के ऊंचाइयों में जाने से स्थानीय पक्षियों की जनसंख्या निचले इलाकों में सिमट गई है. इस चलन पर अधिकांश शोध अफ्रीकी इलाकों पर केंद्रित था जहां साल 2021 में 96 फीसद मौतें मलेरिया से ही हुई थीं.
2002 से 2021 के बीच में मलेरिया के कारण हुई वैश्विक मौतौं में 29 फीसद की गिरावट देखने को मिली हैं. फिर भी अफ्रीका के इलाकों में यह संख्या बहुत ही ज्यादा रही जहां 5 साल से कम उम्र के बच्चों में 80 फीसद मौतों की वजह से मलेरिया की बीमारी रही. 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 24.7 करोड़ मौतों के मामले दर्ज किए गए जिनमें नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, यूगांडा औरमोजाम्बीक में इनमें से करीब करीब आधे मामले थे.
जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मच्छर विशेषज्ञ डोग नोरिस ने जलवायु परिवर्तन और मच्छरों के वितरण में फैलाव या बदलाव के बीच संबंध की पुष्टि की है. लेकिन उन्होंने भविष्य में मलेरिया से प्रभावित होने लोगों की संख्या का अनुमान लगाने में हो रही मुश्किल को भी रेखांकित किया है
सोर्स :-“न्यूज़ 18 हिंदी|”