पुराने वृक्षों का अस्तित्व बचाने के लिए वन विभाग ने मुहिम शुरू की है। सौ साल से पुराने वृक्षों की खास देखभाल होगी। उन्हें विरासत का दर्जा दिया जाएगा। वन विभाग ऐसे वृक्षों का संरक्षण करेगा। चबूतरा बनाने के साथ ही आसपास सुंदरीकरण होगा।
लखनऊ से आई टीम पुराने वृक्षों का चयन कर शासन को रिपोर्ट देगी।
जिले में सौ साल से पुराने से कई वृक्ष हैं। कई वृक्ष ऐतिहासिक और धार्मिक आस्था से भी जुड़े हुए हैं।
इनमें से कुछ अंग्रेजों के जमाने की याद दिलाते हैं। देखरेख न होने से जिलेभर में पुराने वृक्षों का अस्तित्व संकट में हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो मिटने की कगार पर हैं। शासन ऐसे वृक्षों को संरक्षित करने को लेकर गंभीर है। शासन ने पुराने वृक्षों को विरासत में शामिल करने का निर्देश दिया है। शहरी व ग्रामीण इलाकों में ऐसे वृक्षों को विरासत वृक्ष का दर्जा दिया जाएगा।
ग्राम स्तर पर प्रधान, ग्राम पंचायत, खंड विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, शहरी क्षेत्र में नगर पालिका को ऐसे वृक्षों की सूची तैयार करने को कहा गया है। ऐसे वृक्षों की देखभाल की जाएगी। आसपास चबूतरा बनाकर सुंदरीकरण किया जाएगा। लखनऊ से आई टीम ने पहले चरण में भ्रमण कर पुराने वृक्षों की सूची तैयार की है। डीएफओ वरुण सिंह ने बताया कि पुराने वृक्षों को विरासत वृक्ष का दर्जा देकर उन्हें संजोया जाएगा। लखनऊ से आई टीम ने ऐसे वृक्षों की पहली सूची तैयार कर शासन को रिपोर्ट दी है।
वृक्षों के सरंक्षण को मिलेगा बजट
प्रदेश जैव विविधता बोर्ड पुराने वृक्षों की पड़ताल कर उन्हें विरासत वृक्ष घोषित करेगा। विरासत वृक्षों के संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए शासन से बजट मिलेगा। इससे जिले के लोग पुराने वृक्षों की ऐतिहासिकता से रूबरू हो सकेंगे।