• April 29, 2024 6:01 am

हिंद-प्रशांत में चीन से निपटने के लिए भारत-जापान ने श्रीलंका से मिलाया हाथ

01 अप्रैल 2023 |  हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन से निपटने के लिए भारत-जापान ने श्रीलंका से  हाथ मिलाया  है। भारत और जापान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करने के लिए श्रीलंका के साथ सहयोग पर संयुक्त तौर पर सहमति जताई है। संसाधन संपन्न इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य दबदबे के बीच शुक्रवार को एक खबर में यह जानकारी दी गयी। अमेरिका, भारत और कई अन्य वैश्विक महाशक्तियां एक स्वतंत्र, खुले और उन्नत हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत के बारे में बात कर रही हैं। चीन दक्षिण और पूर्वी चीन महासागरों में क्षेत्रीय विवादों में घिरा है। चीन ने पिछले कुछ साल में अपने मानव निर्मित द्वीपों पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाने में अच्छी प्रगति की है |

‘डेली मिरर लंका’ की खबर के अनुसार भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कहा कि भारत और जापान शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक हित साझा करते हैं। उन्होंने जापान के राजदूत मिजुकोशी हिदेआकी की मौजूदगी में यहां एक समारोह में यह बात कही। खबर के अनुसार श्रीलंका को इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (आईआरओए) देशों का महत्वपूर्ण सदस्य बताते हुए बागले ने कहा कि भारत, जापान और श्रीलंका के पास यहां जनता की समृद्धि के वास्ते काम करने तथा सभी पक्षों को लाभ पहुंचाने का बड़ा अवसर है। उन्होंने कहा, ‘‘श्रीलंका की प्राथमिकताओं के अनुरूप यह होना चाहिए।

श्रीलंका भारत की विदेश नीति के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों के सुखद संगम पर है।” जापान के राजदूत हिदेआकी ने कहा कि जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की हालिया भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने श्रीलंका के साथ सहयोग पर विचारों का आदान-प्रदान किया और मिलकर काम करने पर सहमति जताई। खबर में उनके हवाले से कहा गया, ‘‘मेरा मानना है कि दोनों देश श्रीलंका समेत पूरे क्षेत्र के दीर्घकालिक लाभ के लिए कैसे काम कर सकते हैं, इसे दिखाने के लिए सर्वश्रेष्ठ क्षेत्र कनेक्टिविटी का है। इसके लिए, क्षेत्र के देशों के दृष्टिकोण और अंतर्दृष्टि महत्वपूर्ण हैं, और यह रिपोर्ट सटीक रूप से इसे संबोधित करती है।” श्रीलंका, चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव (बीआरआई) का प्रमुख हिस्सा है। लेकिन श्रीलंका में हम्बनटोटा बंदरगाह समेत चीन की निष्फल परियोजनाओं की काफी आलोचना हुई है।

सोर्स :-” पंजाब केसरी”                  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *