• April 29, 2024 7:41 am

भारत इसी साल लॉन्च करेगा ई-रुपया:डिजिटल करेंसी पर कॉन्सेप्ट पेपर जारी, ई-रुपी कागजी मुद्रा का इलेक्ट्रॉनिक रूप होगा

8 अक्टुबर 2022 |  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को डिजिटल करेंसी पर कॉन्सेप्ट पेपर जारी किया है। सेंट्रल बैंक ने कहा कि वह जल्द ही ई-रुपया लॉन्च करेगा। ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला बड़ा देश होगा। वैसे 11 देश डिजिटल करेंसी लॉन्च कर चुके हैं। लेकिन, ये छोटे देश हैं। जैसे बहामास, जमैका, नाइजीरिया और ईस्टर्न कैरिबियन के आठ देश। चीन में पिछले दो साल से डिजिटल करंसी पायलट प्रोजेक्ट के स्तर पर है और टेस्टिंग जारी है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में अभी रिसर्च चल रही है।

आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत में पायलट आधार पर डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) लॉन्च करेगा। पायलट प्रोजेक्ट में ई-रुपी का इस्तेमाल कुछ खास स्थितियों में किया जा सकेगा। बताया जा रहा है कि डिजिटल करेंसी को सबसे पहले थोक कारोबार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के लिए देश के 4 सरकारी बैंकों भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा को शामिल किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को पेश बजट के दौरान डिजिटल करेंसी जारी करने का ऐलान किया था।

मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी e₹ की वैल्यू
रिजर्व बैंक मोटे तौर पर CBDC को एक डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी लीगल टेंडर के रूप में परिभाषित करता है। यह सॉवरेन पेपर करेंसी के समान है, लेकिन इसका एक अलग रूप है। e₹ यानी डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी। इसको भी फिजिकल करेंसी की तरह ही एक्सेप्ट किया जाएगा। CBDC केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर लायबिलिटी के रूप में दिखाई देंगे।

ई-रूपी से जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे। अनजान व्यक्ति को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजता बरकरार रहेगी। सबसे पहले नगदी पर निर्भरता घटेगी। फिजिकल रुपए को छापने की लागत घटेगी। नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी। लेनदेन की लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।

सीबीडीसी को लाने की वजह?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की अधिक मांग है। RBI शुरू से इसका विरोध करता रहा है। क्रिप्टोकरेंसी के जवाब में ही ई-रुपी लॉन्च किया जा रहा है। यह रुपए के मौजूदा डिजिटल स्वरूप की जगह नहीं लेगा, बल्कि लेनदेन का एक और माध्यम उपलब्ध कराएगा। RBI का मानना है कि ई-रुपी डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देगा। पेमेंट सिस्टम अधिक प्रभावी बनेगा। यह जोखिम-मुक्त वर्चुअल करेंसी होगी। यह सुरक्षित डिजिटल करेंसी के सभी पैमानों पर खरी उतरेगी।

पीएम ने लॉन्च किया था ई-रुपी वाउचर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2021 में कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस भुगतान के नए टूल के रूप में ई-रुपी वाउचर लॉन्च किया था। यह मोबाइल पर एसएमएस या क्यूआर कोड के रूप में मिलता है। मसलन, सरकार कर्मचारी का इलाज का खर्च उठाना चाहती है, तो वह तय राशि के ई-रुपी वाउचर जारी करती है।

क्या CBDC अन्य डिजिटल पेमेंट्स से ज्यादा अच्छा है?
मान लीजिए आप एक UPI सिस्टम से अपने बैंक अकाउंट के बजाय CBDC से लेनदेन करते हैं। इसमें कैश को हैंड ओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाती। इससे पेमेंट्स सिस्टम से लेनदेन ज्यादा रियल टाइम में और कम लागत में होगा। इससे भारतीय आयातक बिना किसी बिचौलिए के अमेरिकी निर्यातक को रियल टाइम में डिजिटल डॉलर का भुगतान कर सकेंगे।

क्या डिजिटल करेंसी आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी?
डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। जैसे UAE में एक वर्कर को सैलरी का 50% हिस्सा डिजिटल मनी के रूप में मिलता है। इससे ये लोग अन्य देशों में मौजूद अपने रिश्तेदारों को आसानी से और बिना ज्यादा शुल्क दिए पैसे भेज सकते हैं।

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7% से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इसमें 2% तक की कमी आएगी। इससे लो इनकम वाले देशों को हर साल 16 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा पैसे मिलेंगे।

Source :- ” दैनिक भास्कर “

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