दिल्ली की रहने वाली आशा के बेटे को बार-बार हाथ-पैर धोने की आदत थी. वो, कहीं से भी घर में आता तो पहले पूरे हाथ-पैर धोता. बैठे-बैठे अचानक हाथ-पैर धोने चला जाता. उन्होंने किसी तरह समझा कर उसकी ये आदत छुड़ाई थी लेकिन अब कोरोना वायरस के दौरा में उसमें फिर से ये लक्षण दिखने लगे हैं.
कोरोना वायरस के इस दौर में साफ-सफाई रखने और बार-बार हाथ धोने के लिए कहा जा रहा है ताकि वायरस आपके शरीर तक ना पहुंच पाए.
ऐसे में लोग बार-बार हाथ धो भी रहे हैं लेकिन, अगर आपको लगने लगे कि हर चीज़ में जर्म्स हैं, वायरस है, गंदगी जो आपको नुक़सान पहुंचा सकता है और आप बार-बार हाथ धो रहे हैं या सफाई कर रहे हैं तो ये एक बीमारी का लक्षण है. इसे कहते हैं ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी).
डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों में ओसीडी की समस्या पहले से ही मौजूद है उनमें कोरोना महामारी के दौरान दिक्कत और बढ़ गई हैं.
क्या होता है ओसीडी?
मैक्स अस्पताल, गुड़गांव में मेंटल हेल्थ विभाग के प्रमुख डॉ. समीर मल्होत्रा बताते हैं, “दिमाग के अंदर सिरोटोनिन नाम का एक रसायन होता है. जब दिमाग में ये रसायन कम हो जाता है तो कोई भी काम करते हुए अधूरा-सा अहसास रहता है. कई बार दिक्कत साफ-सफाई को लेकर होती है तो उसमें आदमी बहुत बच-बच कर चलता है.”
“उन्हें यकीन ही नहीं होता कि सफाई अच्छी तरह हो चुकी है. इसलिए वो घंटों उसमें लगे रहते हैं. जबकि हाथ तो कुछ सैकेंड में ही अच्छी तरह साफ हो जाते हैं. कोविड से बचाव के लिए भी 20 सैकेंड तक हाथ धोने के लिए कहा जा रहा है.”
ओसीडी में लोगों में इस तरह की आदतें नज़र आती हैं-
- बार-बार हाथ धोना
- नहाने में घंटों लगा देना
- पूरा दिन सफाई में लगे रहना
- अपने ऊपर भरोसा ना होने पर दूसरों से पुष्टि कराना कि हाथ अच्छे से धोए या नहीं. सफाई ठीक से हुई या नहीं.
हालात हो सकते हैं बदतर
डॉक्टर समीर बताते हैं कि इस डिसऑर्डर से लोगों की ज़िंदगी बुरी तरह प्रभावित होने लगती है. कई लोग डिटरजेंट के घोल या कपड़े धोने के साबुन से नहाने लगते हैं. उन्हें यक़ीन नहीं होता कि रोज़मर्रा वाले साबुन से ठीक से सफाई नहीं हुई. जब ये दिक्कत बहुत अधिक बढ़ जाए तो इसके शारीरिक और मानसिक दोनों नुक़सान होते हैं.
- जैसे बार-बार हाथ धोने या नहाने से त्वचा रुखी हो जाती है और फटने लगती है.
- दैनिक काम प्रभावित होते हैं. आप बाक़ी काम छोड़कर सिर्फ़ सफाई में व्यस्त रहते हैं.
- चिढ़चिढ़ापन, उदासी और हताशा रहने लगती है. संबंध ख़राब होने लगते हैं.
- सर्दी हो या गर्मी बच्चों को बाहर से आते ही बार-बार नहला देना. बच्चों की सेहत पर असर.
- लोगों को घर में आने नहीं देते. घर के हेल्पर से बार-बार सफाई करवाना.
डॉक्टर समीर की एक मरीज़ वॉशरूम नहीं जातीं क्योंकि उन्हें लगता है कि हाथ गंदे हो जाएंगे और फिर 7-8 घंटे तक धोने पड़ेंगे. उनके हाथ काले हो चुके हैं क्योंकि वो हाथों को डिटरजेंट से धोया करती थीं.
अगर समय पर इलाज़ ना मिले तो ये समस्या ज़ुनूनी स्तर तक जा सकती है. व्यक्ति ज़िंदगी के सारे काम छोड़कर सिर्फ़ सफ़ाई में लग सकता है.
क्या है इलाज?
डॉक्टर समीर के मुताबिक ओसीडी का इलाज ज़रूरी है. इसमें मरीज़ को दवाइयां जी जाती हैं.
साथ ही मरीज़ को काउंसलिंग और बिहेवियर थेरेपी दी जाती है. उन्हें जो काम बार-बार करने की आदत है उसे करने से रोका जाता है. इलाज़ से ये बीमारी ठीक हो सकती है.
क्या है जर्मोफोबिया?
कई बार लोग जर्मोफोबिया और ओसीडी को एक ही बीमारी समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं है.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में मेंटल हेल्थ विभाग की प्रमुख डॉ. कामना छिब्बर कहती हैं, “जर्मोफोबिया कोई बीमारी नहीं है जबकि ओसीडी को मेडिकली बीमारी माना जाता है. हालांकि, कई बार जर्मोफोबिया ओसीडी में तब्दील हो सकता है.”
किसी जर्म, बैक्टीरिया वायरस, माइक्रोब और इंफेक्शन आदि के डर को जर्मोफोबिया कहते हैं. ये ऐसा ही डर है जैसे कि कोई छिपकली या सांप से डरता है. कई लोग कीड़े- मौकड़ों, जानवरों या किसी खास स्थिति से डरते हैं.
इसमे ये डर होता है कि मुझे जर्म्स से कोई इंफेक्शन नहीं होना चाहिए. मुझे ये पसंद नहीं है और इनसे दूर रहने की ज़रूरत है.
डॉक्टर कामना के मुताबिक, “जर्मोफोबिया में व्यक्ति को किसी सामान में या किसी जगह पर जर्म होने का डर लग सकता है. जिससे वो उस जगह को नहीं छूता. लेकिन, अगर ये डर कभी-कभी सामने आता है. आपको ज़्यादा परेशान नहीं करता तब तक ये डर सामान्य होता है.”
“जब ये डर रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करने लगे. जैसे बार-बार हाथ धोना, किसी जगह की सफाई करते रहना और इससे आप खुद को रोक नहीं पाएं तो ये ओसीडी बन जाता है. लेकिन, ये ज़रूरी नहीं कि जर्मोफोबिया ओसीडी बन ही जाए.”
क्या महावारी में बढ़ रहे हैं मामले?
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण उन लोगों में समस्याएं ज़्यादा बढ़ गई हैं जो पहले से ओसीडी के मरीज़ थे. उनका डर और लक्षण और गंभीर हो गए हैं.
लेकिन, जैसा कि कोरोना वायरस के इस दौर में बार-बार हाथ धोने और सफाई की हिदायत दी जा रही है तो समझना होगा कि कितनी सफाई ज़रूरी है.
डॉक्टर कामना कहती हैं कि अगर आप कहीं बाहर से आ रहे हैं तो हाथ धोने में कोई समस्या नहीं. चाहे आप दिन में 10 बार बाहर से आएं और हाथ धोएं. लेकिन, एक बार हाथ धोने के बाद अगर आपको संतुष्टि नहीं हो रही है और बार-बार हाथ धोने का मन कर रहा है तो सामान्य बात नहीं है.
BBC