• May 17, 2024 8:07 pm

काठमांडू में भी सजने जा रहा करौली शंकर महादेव का दरबार, गुरुदेव ने स्वीकारी नेपाली शिष्यों की मांग

चैत्र पूर्णिमा के पावन दिवस पर उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित करौली शंकर महादेव धाम में दीक्षा कार्यक्रम का विशेष आयोजन किया गया. इस दौरान करीब 2250 भक्तों ने दीक्षा हासिल की. इसमें बड़ी संख्या में नेपाल से आए शिष्य भी थे. इन सभी ने सनातन धर्म के वैज्ञानिक तथ्यों को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने, भारत को रोग मुक्त और शोक मुक्त बनाने का प्रण लिया. प्रत्येक पूर्णिमा को इस आयोजन में देश-विदेश से श्री राधारमण शिष्य संप्रदाय के भक्त और शिष्य आते हैं, वे इसे बड़े धूम धाम और उत्साह के साथ मनाते हैं.

चैत्र मास की पूर्णिमा को इन भक्तों ने दरबार आकर बाबा मां से अपने कष्ट मुक्ति, सुख-सम्पदा के लिए अर्जी लगाई. भंडारे से प्रसाद ग्रहण करने के बाद फिर गुरुवर के दर्शन की प्रतीक्षा की. संध्या काल से पूर्व, गुरुदेव के किए गए पंचमहाभूत शुद्धि हवन की झांकी भी देखने को मिली.

भक्तों को बताया चैत्र पूर्णिमा का महत्व

सनातन धर्म में पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व है लेकिन चैत्र मास की पूर्णिमा का एक विशेष स्थान है. यह दिन हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन हिंदू धर्म के अनुयायी अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए श्री सत्यनारायण का व्रत भी रखते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जिस दिन चंद्रमा पूरी तरह दिखाई देता है उसे पूर्णिमा कहते हैं क्यूंकि इस दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते हैं.

शुद्धि और सिद्धि के बाद बही ज्ञान की धारा

हवन के कुछ घंटे बाद दीक्षा कार्यक्रम आरंभ हुआ, जिसमें गुरुवर ने भक्तों की शुद्धि और सिद्धि की, भक्तों और शिष्यों ने करौली शंकर गुरुदेव के प्रवचन का आनंद उठाया. गुरुदेव ने इस दौरान कई आध्यात्मिक पहलुओं को प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि सही मायने में मोक्ष क्या है? उन्होंने बताया कि दुःख से, मोह से, प्रश्नों से और जो भी दिख रहा है उन सब की आसक्ति से मोह से मुक्ति ही मोक्ष है.

कुंडलिनी जागरण और गणेश द्वार के रहस्य

इसी कड़ी को जारी रखते हुए कुंडलिनी जागरण में गणेश द्वार की महिमा का वर्णन किया. गुरुदेव के अनुसार गणेश द्वार सबसे पहले जागृत होता है उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु, महेश ग्रंथियां और उसके बाद अन्य ग्रंथियां खुलती हैं. कुंडलिनी जागरण में यदि गणेश द्वार बंद है तो व्यक्ति कुंडलिनी यात्रा का प्रारंभ कभी नहीं कर सकता.

शुद्धि और सिद्धि के बाद बही ज्ञान की धारा

हवन के कुछ घंटे बाद दीक्षा कार्यक्रम आरंभ हुआ, जिसमें गुरुवर ने भक्तों की शुद्धि और सिद्धि की, भक्तों और शिष्यों ने करौली शंकर गुरुदेव के प्रवचन का आनंद उठाया. गुरुदेव ने इस दौरान कई आध्यात्मिक पहलुओं को प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि सही मायने में मोक्ष क्या है? उन्होंने बताया कि दुःख से, मोह से, प्रश्नों से और जो भी दिख रहा है उन सब की आसक्ति से मोह से मुक्ति ही मोक्ष है.

कुंडलिनी जागरण और गणेश द्वार के रहस्य

इसी कड़ी को जारी रखते हुए कुंडलिनी जागरण में गणेश द्वार की महिमा का वर्णन किया. गुरुदेव के अनुसार गणेश द्वार सबसे पहले जागृत होता है उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु, महेश ग्रंथियां और उसके बाद अन्य ग्रंथियां खुलती हैं. कुंडलिनी जागरण में यदि गणेश द्वार बंद है तो व्यक्ति कुंडलिनी यात्रा का प्रारंभ कभी नहीं कर सकता.

दीक्षा में चयनित हुए हजारों भक्त

पूर्णिमा के दूसरे दिन दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसमें करीब 2250 भक्तों ने दीक्षा लेकर अपने जीवन के नये आयाम की शुरुआत की. फिर रात में दीक्षा पात्रता चयन का भी आयोजन हुआ. कुल 1580 लोगों में से 1541 लोगों को दरबार की ओर से चयनित किया गया. जिसमें से प्रथम चरण के लिए 577 में 547, द्वितीय चरण के लिए 291 में से 290, तृतीय चरण में 208 में 208, चतुर्थ के लिए 171 में 168 और अंत में पंचम चरण के लिए 332 में से 328 लोगों को तंत्र दीक्षा की यात्रा में शामिल होने के लिए चयन किया.

तीसरे दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे रुद्राभिषेक से हुई. 7 बजे मां बाबा की आरती, फिर शुरुआत हुई दीक्षा साधना कार्यक्रम की. कार्यक्रम के दौरान गुरुजी ने बताया की पंचम स्तर दीक्षित शिष्यों के लिए विशेष है और घोषणा की है पंचम स्तर का अर्थ है मंत्र जपने की बाध्यता समाप्त.

पूर्ण होना ही मानव जीवन का लक्ष्य है

गुरुदेव ने कहा कि मंत्र आपको तंत्र तक पहुंचाने का साधन है. ये तभी संभव है जब आपके पास शरीर रूपी यंत्र होगा. मानव जीवन का जो स्वयं को समझने का लक्ष्य है या स्वयं को ही समझना है, उन्हें यह भी समझना होगा कि बात यही खत्म नहीं होती बल्कि यहां से शुरू होती है. पूर्ण वही है जो समझ चुके हैं और आगे लोगों को समझा सकते है, यही पूर्णता है, जैसे भगवान बुद्ध.

गुरुनानक देव जी के जीवन का एक अद्भुत किस्सा

करौली शंकर गुरुदेव ने गुरु नानक जी की भी एक कहानी सुनाई. गुरुनानक जी एक गांव में रुके और उस गांव में उनकी अच्छी तरह देखभाल और खातिरदारी हुई लेकिन सुबह जाते वक्त उन्होंने कहा कि आप सब बिखर जाओ. उनके भक्त हैरान थे, इसके बाद वह दूसरे गांव गए जहां उनका अनादर हुआ, जहां पर गुरु नानक जी ने कहा कि आप यहीं आबाद रहो.

उनके शिष्यों ने पूछा- गुरुजी ऐसा क्यों ? इस पर गुरु नानक जी ने कहा, ऐसा है कि यह दुष्ट प्रवृत्ति के लोग हैं और ये फैल कर गंदगी फैलाएंगे और अच्छे लोग देश में फैल कर अच्छाई बिखेरेंगे.

प्रकृति की व्यवस्था को समझने का सरल तरीका

उन्होंने कहा कि यही बात जब हम विदेशी लोगों से कहते हैं तो वह पूछते हैं कि ये कैसे होता है, हम जानना चाहते हैं. गुरुदेव कहते है जिसके अंदर कूड़ा कर्कट पहले से भरा है, उसके अंदर हीरे जवाहरात भरने की जगह नहीं बची होती. विदेश के लोग खाली घड़े को लेकर खड़े हैं, उनके अंदर उत्सुकता है वो समझ रहे हैं. इसी तरह दीक्षा प्राप्त शिष्यों को संबोधित करते हुए कहते है कि दीक्षा इसका सबसे सरल तरीका है. दीक्षा का अर्थ है आपने सहजता और सरलता को स्वीकार कर लिया.

 

 

 

 

 

 

 

 

source tv9 bharatvasrh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *