• May 9, 2024 5:38 pm

किसान महापंचायत आज- कृषि कानूनों की वापसी पर 24 को लगेगी मुहर, किसान बोले- बाकी मुद्दे निपटाएं, हम चले जाएंगे

22  नवम्बर2021 | केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयकों को बुधवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे सकती है। इसके बाद इन कृषि कानूनों को वापस लेने वाले विधेयकों  को 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीत सत्र में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। सरकार के सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।

सरकार जल्द ही किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया भी शुरू कर सकती है। केंद्र के इस रुख को देखते हुए किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी आगे की रणनीति पर फैसला 27 नवंबर तक टाल दिया है। मोर्चा ने कहा है कि उसके पहले से तय कार्यक्रम अपने निर्धारित समय पर आयोजित किए जाएंगे।  

अपनी अन्य मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम को लिखा खुला पत्र 
संयुुक्त किसान मोर्चा की दिल्ली की सिंघु सीमा पर रविवार को बैठक हुई, जिसमें फिलहाल आंदोलन जारी रखते हुए पांच अन्य मांगों पर केंद्र सरकार से बात करने का फैसला किया गया।  इसके बाद संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा। पत्र में आंदोलनरत किसानों की छह मांगों को उठाया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम को खुले पत्र में लिखा कि सरकार को तुरंत किसानों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए। 

किसानों ने अपने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय वार्ता के बजाय एकतरफा फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के एलान का स्वागत किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि तीनों कानूनों को वापस लेने का वादा आपकी सरकार जल्द से जल्द पूरा करे। मोर्चा ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द कराना किसानों की एकमात्र मांग नहीं है। हमारी छह लंबित मांगों के पूरा होने के बाद किसान अपने गांव और खेतों में वापस चले जाएंगे। सरकार को जल्द बातचीत करनी चाहिए। मांगें नहीं पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। 

मोर्चा के पहले से तय कार्यक्रम के तहत 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर किसानों का जुटान और 29 नवंबर को संसद कूच शामिल हैं। उन्होंने कहा, आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए हम 27 नवंबर को फिर से बैठक करेंगे। 

किसानों की ये हैं छह मांगें

  • संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में सभी किसानों व कृषि उपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का कानून बनाने की मांग उठाई है।  
  • सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021 का ड्रॉप्ट वापस लिया जाए। किसानों का कहना है कि वार्ता के दौरान सरकार ने इसे वापस लेने का वादा किया था लेकिन बाद में वादाखिलाफी कर सरकार ने इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया था। 
  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम 2021 में किसानों को सजा के प्रावधान को हटाया जाए।
  • दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में उठाई है।
  • पत्र में किसान मोर्चा ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त व गिरफ्तार करने की मांग की। 
  • आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 किसानों के परिजनों को मुआवजा व पुनर्वास की मांग। शहीद किसानों की याद में सिंघु बॉर्डर पर स्मारक बनाने के लिए जमीन भी मांगी। 

बयानवीर बढ़ा रहे सरकार की मुश्किल…विपक्ष ने उठाए सवाल
मोदीजी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने बड़ा दिल दिखाया और विधेयक के बजाय राष्ट्र को चुना…विधेयक तो बनते-बिगड़ते रहते हैं, फिर वापस आ जाएंगे, दोबारा बन जाएंगे, कोई देर नहीं लगती।  -साक्षी महाराज, भाजपा सांसद

कानून किसानों के हित में थे। सरकार ने समझाने की लगातार कोशिश की। फिर भी किसान आंदोलित थे, अड़े थे कि कानून वापस लिए जाएं। सरकार को लगा कि वापस ले लिया जाए। आगे इस बारे में कानून बनाने की जरूरत पड़ी तो दोबारा बनाया जाएगा। -कलराज मिश्र, राज्यपाल, राजस्थान

कैसे करें विश्वास
झूठे जुमले झेल चुकी जनता पीएम की बात पर विश्वास को तैयार नहीं। किसान सत्याग्रह जारी है। -राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
साफ नहीं इनका दिल, चुनाव बाद फिर लाएंगे बिल। झूठी माफी मांगने वालों की ये सच्चाई है। किसान लाएंगे 22 में बदलाव। -समाजवादी पार्टी
सरकार में एमएसपी पर कानूनी गारंटी और मुआवजा मामले पर भी माथापच्ची
इस बीच, सरकार में उच्च स्तर पर एमएसपी तथा आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने के मसले पर माथापच्ची शुरू हो गई है। तीनों कानूनों की पीएम नरेंद्र मोदी की ओर ओर से वापसी की घोषणा के बाद अब सरकार और भाजपा की चिंता किसानों की नाराजगी दूर करने को लेकर है।

इसके लिए किसानों की अन्य मांगों पर विचार हो रहा है। मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजे के मुद्दे पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने केंद्र सरकार की उलझन बढ़ा दी है। उन्होंने शनिवार को ऐसे सात सौ किसानों के परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये की मुआवजा की घोषणा की है, जिसके कारण अब केंद्र पर भी मुआवजा घोषित करने का दबाव बढ़ गया है।

संयुक्त मोर्चा भी दो कदम पीछे हटे : नरेश टिकैत
भाकियू सुप्रीमो चौधरी नरेश टिकैत ने किसान आंदोलन में नरमी दिखाने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार तीन कृषि कानूनों को लेकर दो कदम पीछे हटी है तो, अब संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को भी दो कदम पीछे हटना चाहिए। रविवार को गोहरपुर गांव में आयोजित भाईचारा सम्मेलन में उन्होंने यह बात कही। हालांकि उन्होंने यह भी कहा, पिछले दो दिनों से संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हो रही है और इसमें लिए फैसले पर ही किसान आगे बढ़ेंगे। 

लखनऊ में किसान महापंचायत आज
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले सोमवार को यहां किसान महापंचायत का आयोजन कर किसान शक्ति प्रदर्शन करेंगे। महापंचायत शहर के ईको गार्डन में आयोजित होने वाला है। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस बारे में ट्वीट किया, एमएसपी अधिकार किसान महापंचायत के लिए चलो लखनऊ। उन्होंने कहा कि कृषि सुधारों की बात फर्जी है। सिर्फ एमएसपी की गारंटी ही किसानों की स्थिति सुधार सकती है। 
खेती-किसानी पर कई अहम घोषणाएं संभव
सूत्रों के मुताबिक, कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद सरकार और भाजपा की योजना किसानों को साधने के साथ-साथ विपक्ष को अलग-थलग करने की है। पार्टी के स्तर पर हरियाणा और यूपी सरकारों को आंदोलन खत्म कराने की दिशा में प्रयास करने का निर्देश दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार को गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत देने का रास्ता तलाशने के लिए कहा गया है। कैबिनेट की बैठक और 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीत सत्र के दौरान कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए कई बड़ी घोषणाओं की तैयारी है।

किसान संगठनों के अंतिम रुख के बाद फैसला
सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, कृषि कानूनों की वापसी के बाद नजरें अब किसान संगठनों पर है। सरकार आंदोलन खत्म करने के लिए किसान संगठनों की ओर से अपना रुख स्पष्ट करने के बाद भावी रणनीति बनाएगी। दरअसल सरकार को उम्मीद थी कि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद आंदोलन में नरमी आएगी। हालांकि किसान संगठन पहले की तरह एमएसपी पर कानूनी गारंटी के साथ किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और मृत किसानों के परिजनों को मुआवजे की मांग पर अड़े हुए हैं।

Source :-“अमर उजाला”

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