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कोरोना के बीच बर्ड फ़्लू की दस्तक, कैसे बचें इससे

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Jan 9, 2021
कोरोना के बीच बर्ड फ़्लू की दस्तक, कैसे बचें इससे
  • नए प्रकार के कोरोना वायरस के बीच अब बीते कुछ दिनों से बर्ड फ़्लू की ख़बरें भी आने लगी हैं.
  • मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और केरल से समाचार हैं कि वहां बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई है.
  • मरने वाले पक्षियों में विदेशी पक्षी भी शामिल हैं और जानकार कह रहे हैं कि इनकी मौत की वजह बर्ड फ़्लू है.

राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें संस्थान ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में पक्षियों की अचानक हुई मौत की वजह ‘बर्ड फ़्लू’ यानी ‘एवियन इन्फ़्लूएंज़ा’ है.
इन सभी राज्यों में फ़िलहाल मरे हुए पक्षियों को हटाने का काम चल रहा है, ताकि यह फ़्लू इंसानों में ना फैल जाये.
केरल के कुछ ज़िलों में, जहाँ पक्षियों में बर्ड फ़्लू पाया गया है, वहाँ मुर्ग़ियों, बत्तख़ों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने के आदेश दिये गये हैं. केरल सरकार ने आश्वासन दिया है कि वो इस नुक़सान की भरपाई करेगी.

मध्य प्रदेश में भी पक्षियों को मारकर ज़मीन में दबाया जा रहा है. वहीं महाराष्ट्र में अब तक बर्ड फ़्लू के किसी मामले की पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकिन राज्य सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है. सरकार ने ज़िला स्तर पर रैपिड एक्शन फ़ोर्स गठित करने के आदेश भी दिये हैं और सोलापुर, नागपुर और नासिक जैसे इलाक़ों में विशेष रूप से नज़र रखी जा रही है.

प्रदेश सरकार ने सभी किसानों को बर्ड फ़्लू के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिये हैं. पशु विभाग से सभी बाज़ारों का सर्वे करने को कहा गया है. साथ ही निर्देश हैं कि पक्षियों को एक जगह से दूसरी जगह ना ले जाया जाये.

जिन भी राज्यों में पक्षियों की अचानक मौत हुई है, वहाँ प्रशासन को यह निर्देश हैं कि पक्षियों की अगर अप्राकृतिक रूप से मृत्यु होती है, तो उसे तुरंत दर्ज किया जाये.

बर्ड फ़्लू है क्या?
बर्ड फ़्लू एच5एन1 वायरस की वजह से होता है. इसे एवियन इन्फ़्लूएंज़ा कहा जाता है. यह मुख्य रूप से बत्तख़ों, मुर्ग़ियों और प्रवासी पक्षियों को होता है और यह फ़्लू संक्रामक है.

प्रवासी पक्षियों में होने के कारण इस फ़्लू के एक बड़े इलाक़े में फैल जाने की आशंका होती है और यह फ़्लू इंसानों में भी फैल सकता है.

इंसानों में बर्ड फ़्लू का पहला मामला 1947 में दर्ज किया गया था. तब यह संक्रमण हॉन्गकॉन्ग के एक पक्षी बाज़ार से फैलना शुरू हुआ और जिन लोगों को यह संक्रमण हुआ, उनमें से 60 फ़ीसद की मौत हो गई. लेकिन यह संक्रमण इंसानों से इंसानों में आसानी से नहीं होता.

लेकिन इस फ़्लू को लेकर कुछ भ्रम भी हैं. जैसे, क्या बर्ड फ़्लू फैलने पर हमें अंडे और मुर्ग़ी खाना बंद कर देना चाहिए?

विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते. उनका कहना है कि अगर माँस और अंडे, ठीक तरह से उबालकर खाये जायें, तो उन्हें खाया जा सकता है और वो सुरक्षित हैं.

किन्हें इससे ज़्यादा ख़तरा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी एक प्रेस नोट जारी कर इसे स्पष्ट किया है. संगठन का कहना है कि जिन इलाक़ों में बर्ड फ़्लू फैलने का कोई संकेत ना हो, वहाँ मुर्ग़ी पालन से जुड़े उत्पाद इस्तेमाल करने में कोई ख़तरा नहीं है.

लोगों में बर्ड फ़्लू के लक्षणों को लेकर भी तरह-तरह के सवाल हैं. हालांकि, भारत में अब तक बर्ड फ़्लू का कोई केस दर्ज नहीं किया गया है. लेकिन जब यह संक्रमण होता है, तो सबसे पहले साँस में तकलीफ़ होने लगती है. इस संक्रमण के होने पर निमोनिया जैसे लक्षण देखे जाते हैं. इस संक्रमण में बुख़ार, सर्दी, गले में ख़राश और पेट दर्द सामान्य लक्षण हैं.

वो लोग जो मुर्ग़ी-पालक हैं, किसी पॉल्ट्री फ़ार्म में काम करते हैं, मुर्ग़ी या पक्षियों का माँस बेचते हैं, उनमें यह संक्रमण होने की सबसे अधिक आशंका होती है. ऐसे सभी लोगों को इससे बचाव के लिए हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए और चेहरे पर मास्क लगाना चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, इतना करने से काफ़ी बचाव संभव है.

जानकार यह भी कहते हैं कि जो सावधानियाँ कोरोना के समय में बरती गईं, वही सावधानियाँ बर्ड फ़्लू से बचाव में भी कारगर हैं. जल्दी-जल्दी हाथ धोना, सेनेटाइज़र का इस्तेमाल, चेहरे को कम से कम छूना – कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस संक्रमण को फैलने से रोक सकते हैं.

साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि अगर आपके आसपास पक्षियों की अचानक अप्राकृतिक रूप से मृत्यु होती है, तो इसके बारे में स्थानीय प्रशासन को तुरंत सूचना दें.

BBC

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