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बाजार में चला कोरबा के ब्लैक राइस का जादू- विदेशों से भी आ रही मांग

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Feb 24, 2021
बाजार में चला कोरबा के ब्लैक राइस का जादू- विदेशों से भी आ रही मांग

कोरबा। क्या आपने कभी ब्लैक राइस (काले चावल) के बारे में सुना है? यह जानकर जरूर आश्चर्य होगा, लेकिन चावल की कई प्रजातियों में यह भी एक प्रजाति है। इसे दीर्घायु के लिए जाना जाता है। सेहत के लिए लाभकारी इस राइस की डिमांड देश के साथ विदेश में भी बढ़ रही। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के किसान भी काले चावल की खेती की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे है। इस साल 112 किसान करीब 250 एकड़ में इसकी फसल ले रहे है। दो साल पहले मात्र दस एकड़ में इसकी शुरुआत की गई थी।

छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही परंपरागत धान की खेती की जगह अन्य फसलों की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। समाजसेवी संस्था बुखरी गांव विकास शिक्षण समिति ने इसकी शुरुआत दो साल पहले ही कर दी थी। इस संस्था की पहल पर जिले के करतला ब्लॉक में रहने वाले गिनती के किसानों ने दस एकड़ में ब्लैक राइस की फसल लगाई।

हाथों हाथ फसल सामान्य धान से दोगुने कीमत पर बिक गई। इससे प्रोत्साहित होकर बीते वर्ष सौ एकड़ में करीब 25 टन ब्लैक राइस का उत्पादन किया गया। इसे कोलकाता की एक ट्रेडिंग कंपनी ने खरीद लिया। लॉकडाउन की वजह से आपूर्ति नहीं हो पाई है। इस साल इस क्षेत्र के किसान बेहद उत्साहित हैं। लिहाजा, करीब 250 एकड़ में ब्लैक राइस की खेती की जा रही। इससे 50 टन ब्लैक राइस का उत्पादन होगा। समिति के अध्यक्ष सूर्यकांत सोलखे ने बताया कि नाबार्ड से मिली श्री पद्धति की ट्रेनिंग के बाद किसानों ने फसल लेना शुरू किया। किसानों की सोसाइटी पैकेट बनाकर भी बेच रही है। किसान 100 रुपये किलो तक लाभ कमा रहे है। पश्चिम बंगाल की एक ट्रेडिंग कंपनी ने 25 टन ब्लैक राइस का ऑर्डर किया है। दक्षिण भारत की ट्रेड कंपनियां भी ब्लैक राइस के लिए संपर्क कर रही हैं। बड़े शहरों में यह चावल 400 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है।

शुगर पेशेंट भी खा सकते हैं
कार्बोहाइड्रेट से मुक्त इस चावल को शुगर पेशेंट भी खा सकते हैं। हृदय के लिए भी फायदेमंद है। यह कोलेस्ट्राल के स्तर को भी नियंत्रित करता है। भरपूर मात्रा में फाइबर होने की वजह से अपच की समस्या को भी दूर करने में सहायक है। एंटी ऑक्सीडेंट तत्व की वजह से आंख के लिए भी फायदेमंद है। इस वजह से इस गुणकारी चावल की डिमांड महानगरों में अच्छी खासी है। स्थानीय बाजार में यह चावल भले ही 150 से 200 रुपये प्रति किग्रा बिक रहा, लेकिन फ्लिपकार्ट पर ऑनलाइन 399 रुपए प्रति किलो मूल्य है।

इंडोनेशिया समेत कई देशों में भी खपत
समिति के अध्यक्ष सोलखे ने बताया कि इंडोनेशिया समेत कई देशों में भी इस ब्लैक राइस की डिमांड तेजी से बढ़ रही। कोरोना काल की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह चिकित्सक दे रहे हैं। ब्लैक राइस स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है, इसलिए न केवल भारत में बल्कि विदेश में भी इस चावल की खपत बढ़ गई है।

इस प्रजाति का पुराना इतिहास
ब्लैक राइस को छत्तीसगढ़ में करियाझिनी के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रजाति काफी पुराना है। किवदंति है कि खोदाई के दौरान हंडी में धान मिला था। उसके बाद से इसकी फसल लेनी शुरू की गई। सैनिकों को यह चावल खिलाया जाता था, ताकि उनकी सेहत बेहतर रहे और युद्ध में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। सामान्य चावल के मुकाबले ब्लैक राइस को पकने में ज्यादा वक्त लगता है। करीब छह से सात घंटे पानी में भिगाकर रखा जाए, तो जल्दी पक जाता है।

बिस्किट का भी निर्माण
सामान्य धान की तरह ही इसकी खेती की जाती है। 90 से 110 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाता है। किसान अच्छे दानों को अलग कर बीज तैयार करते हैं और इसे अधिक मूल्य में बेचते हैं। यह एकमात्र चावल है, जिससे बिस्किट भी तैयार होता है। अलग-अलग चार से पांच प्रजाति के ब्लैक राइस किसान लगा रहे।


ब्लैक राइस के यह छह फायदे हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए करते हैं इनका इस्तेमाल फायदेमंद है। इसमें मौजूद फायटोकेमिकल कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करता हैं और बुरे कोलेस्ट्राल को घटाता हैं। साथ ही यह हृदय की धमनियों में अर्थोस्क्लेरोसिस प्लेक फर्मेशन की संभावना कम करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी कम होती है।

मोटापा कम करने के लिए लोग चावल खाना लगभग छोड़ देते हैं।, वहां काले चावल बेहद फायदेमंद है, क्योंकि काले चावल मोटापा कम करने के लिए लाभदायक हैं।

भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होने से कब्ज जैसी समस्याओं को समाप्त करता है। पेट फूलना या पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं में लाभ देता है। रोजाना भी इसका सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता।

काले चावल में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक है। यह प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करता है।

इन चावलों का गहरा रंग इनमें मौजूद विशेष एंटीऑक्सीडेंट तत्वों के कारण होता है जो आपकी त्वचा व आंखों के साथ ही दिमाग के लिए फायदेमंद होता है।

अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि काले चावल का सेवन शरीर से हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में कारगर साबित हुआ है।

किसानों का किया जा रहा सहयोग
ब्लैक राइस की पैदावार लेने वाले किसानों को विभाग की तरफ से सहयोग किया जा रहा। आने वाले समय में इसे बढ़ावा देने किसानों को और अधिक प्रेरित किया जाएगा, ताकि व्यावसायिक लाभ उठा सकें।

एमजी श्यामकुंवर,

सहायक उप संचालक, कृषि

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