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भारत के उठाए नौ मुद्दों को जी-20 घोषणा पत्र में मिली जगह, कारपोरेट टैक्स की न्यूनतम सीमा को 15 प्रतिशत करने की मांग भी शामिल

ByPrompt Times

Nov 6, 2021
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06-11-2021 | दुनिया में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे मजबूत 20 देशों के संगठन जी-20 की बैठक समाप्त हो चुकी है। बीते रविवार को इसकी तरफ से जारी घोषणा पत्र में कम से कम नौ ऐसे मुद्दे हैं जिनकी भारत लंबे समय से मजबूती के साथ पैरोकारी करता रहा है। दुनिया में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे मजबूत 20 देशों के संगठन जी-20 की बैठक समाप्त हो चुकी है। बीते रविवार को इसकी तरफ से जारी घोषणा पत्र को विश्व की मौजूदा कई चुनौतियों के समाधान के तौर पर देखा जा रहा है। इस घोषणा पत्र में कम से कम नौ ऐसे मुद्दे हैं, जिनकी भारत लंबे समय से मजबूती के साथ पैरोकारी करता रहा है, जिसमें पूरी दुनिया में कारपोरेट टैक्स की न्यूनतम दर 15 प्रतिशत करना प्रमुख है।

पीएम मोदी ने इनमें से कई मुद्दों को शीर्ष नेताओं के साथ व्यक्तिगत मुलाकातों में उठाया था

सूत्रों का कहना है कि घोषणा पत्र में शामिल कई मुद्दे हैं जिसको लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी ने समूह के देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अलग अलग मुलाकात में उठाया था। पीएम मोदी ने कई बार कोरोना की विभीषिका को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की तरफ से दूसरे देशों के टीकाकरण को मंजूरी देने की अपील की थी। इसको जी-20 की घोषणा पत्र में जगह दी गई और इसके तीसरे दिन ही डब्ल्यूएचओ ने भारत की स्वदेशी कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है।

भारत का मानना है कि एक समान फार्मूले के आधार पर ही हर देश की वैक्सीन की गुणवत्ता जांची जानी चाहिए। जी-20 की घोषणा पत्र के बाद भारत तेजी से दूसरे देशों के साथ हवाई मार्ग व पर्यटन को खोलने का समझौता कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक दूसरा मुद्दा जिसकी भारत लगातार वकालत करता रहा है और जिसे घोषणा पत्र में मंजूुरी दी गई है वह है पूरी दुनिया में बढ़ते उपभोक्तावाद को संतुलित करना।

जी-20 की बैठक में भी भारत ने इसे शामिल करने पर खास जोर दिया। इसके बगैर पर्यावरण सुरक्षा की बात अधूरी है। इसी तरह से वर्ष 2014 सम्मेलन में पहली बार हिस्सा लेते हुए न्यूनतम कारपोरेट टैक्स की अवधारणा को लागू करने का प्रस्ताव किया था। शुरुआत में कई देशों ने इसका विरोध किया था लेकिन अब इस पर सहमति भी बनी है और रोम घोषणा पत्र में इसे शामिल भी किया गया है। भारत ने डाटा के इस्तेमाल को लेकर जो शंकाएं जताई थी, रोम घोषणा पत्र में उसका समाधान किया गया है। इसमें विकासशील देशों की आशंकाओं के समाधान की खास तौर पर ध्यान रखा गया है।

मोटे तौर पर इसका मतलब यह है कि डाटा का विश्वसनीय तरीके से इस्तेमाल होगा।ब्याज देनदारी को स्थगित करने के प्रस्ताव को मिली जगह इसी तरह से विकासशील देशों पर बकाये कर्ज पर ब्याज देनदारी को कुछ समय तक और स्थगित करने का प्रस्ताव भी जी-20 देशों ने स्वीकार किया है। पिछले वर्ष भारत के सुझाव पर ही इसे एक वर्ष के लिए टाला गया था। इससे दर्जनों को देशों को वित्तीय राहत मिलेगी।

कोयले के उपयोग पर भी भारत की बात मानी गई

कोयला से चलने वाले बिजली संयंत्रों को लेकर भी विश्व समुदाय ने भारत की मांग को स्वीकार किया है। विकसित देशों का दबाव था कि सभी ताप बिजली संयंत्रों को बंद करने का लक्ष्य तय होगा लेकिन भारत का कहना था कि पहले चरण में ताप बिजली संयंत्रों को किसी तरह की वित्तीय मदद नहीं देने शुरुआत होनी चाहिए। रोम घोषणा पत्र में इसे स्वीकार किया गया है।

SOURCE :- ” JAGRAN “


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