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ओमिक्रॉन की पहचान के लिए पैसे नहीं-38 में से 5 जीनोम सीक्वेंसिंग लैब फंड न होने के चलते बंद, पिछले महीने के मुकाबले सीक्वेंसिंग 40% घटी

ByPrompt Times

Jan 20, 2022 ##40%, ##Omicron

20 जनवरी 2022 | भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एक परेशान करने वाली खबर सामने आई है। देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग करने में रुकावट आ रही है। द इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्शियम (INSACOG) की 38 लैब में से 5 लैब बंद हो गई हैं। इससे पिछले महीने की तुलना में इस महीने जीनोम सीक्वेंसिंग में करीब 40% की गिरावट आई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि इन लैब के पास जीनोम सीक्वेंसिंग में काम आने वाले रीएजेंट की कमी हो गई है। यह समस्या पर्याप्त फंड न मिलने के कारण हो रही है।

क्या होती है जीनोम सीक्वेंसिंग?
जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह का टेस्ट होता है। इस टेस्ट में किसी पॉजिटिव सैंपल में मौजूद कोरोना के सही वैरिएंट का पता लगता है। इसके लिए वायरस के अंदर मौजूद DNA या RNA की सीक्वेंसिंग की जाती है। किसी DNA या RNA में जितने म्यूटेशन होते हैं, वे सब स्टेप बाई स्टेप DNA या RNA में प्रिंट होते हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए इस RNA प्रिंट की जांच की जाती है। इससे यह जानकारी मिल जाती है कि यह वायरस कैसे बना है और इसमें क्या अलग है, यह कैसा दिखता है।

इस सीक्वेंसिंग के दौरान पुराने वायरस से तुलना की जाती है और पता लगाया जाता है कि यह कितना बदल गया यानी म्यूटेट हुआ। ऐसा नहीं है कि जीनोम सीक्वेंसिंग सिर्फ कोरोना महामारी के लिए की जा रही है। इससे पहले भी सभी वायरस की जांच इसी तरीके से होती रही है और उसमें हुए बदलाव के बारे में पता लगाया जाता रहा है।

PM मोदी कर चुके हैं इस विषय पर बैठक
जनवरी की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना की स्थिति की समीक्षा के लिए हुई एक बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मांडविया और वरिष्‍ठ अधिकारियों से कहा था कि कोरोना वायरस के लगातार म्यूटेट होने के कारण देश में जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने की जरूरत है। उनका कहना था, “वायरस लगातार डेवलप हो रहा है, ऐसे में हमें जीनोम सीक्‍वेंसिंग सहित लगातार साइंटिफिक रिसर्च करने की जरूरत है।”

ओमिक्रॉन आने के बाद केवल 25,000 जीनोम सीक्वेंसिंग
देश में ओमिक्रॉन लहर आने के बाद से केवल 25,000 जीनोम को ही सीक्वेंस किया गया है। फिलहाल एक्सपर्ट्स इस नए वैरिएंट को ही भारत में आई कोरोना की तीसरी लहर की प्रमुख वजह मान रहे हैं। इसका पहला केस दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को डिटेक्ट किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 26 नवंबर को एक वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया था।

भारत में 24 घंटे में आए 3.17 लाख नए कोरोना केस
देश में बुधवार को 3.17 लाख नए केस मिले। इस दौरान 2.23 लाख लोग ठीक हुए, जबकि 491 लोगों की मौत हुई है। वहीं, पिछले दिन के मुकाबले नए संक्रमितों में 34,562 की बढ़ोतरी देखने को मिली है। इससे पहले 18 जनवरी को 2.82 लाख लोग संक्रमित मिले थे। ऐसा 8 महीने बाद हुआ है कि भारत में नए संक्रमितों का आंकड़ा 3 लाख के पार पहुंचा है।

Source;-“दैनिक भास्कर”

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