• June 29, 2024 11:54 am

चिंता (एंग्जायटी) नहीं, बल्कि इस पर हमारी प्रतिक्रिया असल समस्या है।

08 मई 2022 | शनिवार की रात क्या आप क्या पार्टी में थे? क्या आप ऐसे ‘हेलिकॉप्टर पेरेंट’ की तरह व्यवहार कर रहे थे, जो बच्चों के आस-पास मंडराकर उन्हें बताते हैं कि क्या करना है, क्या नहीं? क्या पार्टी में आपको लगातार चिंता होती रही कि बच्चा कुछ गलत तो नहीं कर रहा? किसी सामाजिक समारोह में शामिल होने पर चिंता आम है, खासतौर पर कोविड के दौरान दो साल घर में रहने के बाद, जिससे बच्चों की मिलने-जुलने की आदतें खो गई हैं।

हालिया शोध बताता है कि समाज को ‘हेलिकॉप्टर पेरेंट्स’ की नहीं, बल्कि ‘स्नोप्लाउ (बर्फ हटाने वाली गाड़ी) पेरेंट्स’ की चिंता करनी चाहिए, जो उत्पाती की तरह व्यवहार करते हैं। जी हां, उन्हें ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि वे बच्चे के रास्ते में आने वाली हर बाधा हटाते रहते हैं। मसलन, अगर आप किसी बड़े कॉलेज में बच्चे के एडमिशन के लिए रिश्वत देते हैं तो आप निश्चित तौर पर ‘स्नोप्लाउ पेरेंट’ हैं।

शोधकर्ता इस नई श्रेणी को लेकर चिंतित हैं। सायकोलॉजी और न्यूरोसाइंस की प्रोफ़ेसर और इमोशन रेगुलेशन लैबोरेटरी की निदेशक डेनीस तिवारी का हालिया शोध बताता है कि चिंता (एंग्जायटी) नहीं, बल्कि इसपर हमारी प्रतिक्रिया असल समस्या है।

डेनीस कहती हैं, ‘कई लोग मानते हैं कि एंग्जायटी बीमारी है। लेकिन वास्तव में यह एक साधन है, जिसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसकी बात सुनें, यह दोस्त है।’ उनके मुताबिक एंग्जायटी को हमने प्राचीन रूप से क्रमिक विकास के तौर पर अपनाया है, जिसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है। एक और स्थिति देखें।

शनिवार सुबह आपने स्टोर रूम की अटारी साफ़ करने का फैसला लिया। एक डिब्बे में हाथ डाला। वहां कुछ रोएंदार महसूस हुआ। आपके दिमाग ने कहा, यह चूहा है। आप तुरंत सीढ़ी से कूदकर नीचे आ गए, हाथ धोए और घर में छिड़काव करने वाली कंपनी को फ़ोन कर आने के लिए कह दिया। इस मामले में पहली प्रतिक्रिया डर थी, जो स्वाभाविक है। लेकिन चिंता अलग है।

इसमें आशंका होती है कि कुछ बुरा हो सकता है, लेकिन चिंता यह भी मानती है कि सकारात्मक नजीते भी हो सकते हैं। हार्वर्ड के प्रयोगात्मक टेस्ट से पहले कुछ प्रतिभागियों को बताया गया कि टेस्ट के दौरान उनकी दिल की धड़कन बढ़ सकती है और हथेलियों में पसीना आ सकता है, लेकिन इससे उनका प्रदर्शन सुधरेगा। बाकी प्रतिभागियों को टेस्ट के पहले एंग्जायटी के लक्षण नहीं बताए गए।

जब लोगों ने समझा कि एंग्जायटी प्रदर्शन सुधारने के लिए शारीरिक-मानसिक तैयारी का प्राचीन तरीका है, तो वे सहज हुए और उनमें तत्परता दिखी। उन्होंने उन लोगों की तुलना में बेहतर नतीजे दिए, जिन्हें एंग्जायटी के बारे में नहीं बताया गया था। फिर ‘हेलिकॉप्टर’ और ‘स्नोप्लाउ’ पेरेंट्स पर आते हैं।

डेनीस कहती हैं, ‘अगर आपका बच्चा कहे कि उसे स्कूल जाने के बारे में चिंता हो रही है, तो उसे घर पर रोकने की कोशिश न करें। बल्कि कहें कि आप उसकी मुश्किल भावनाएं समझते हैं और उनका सामना करने में उनकी मदद करेंगे।

ज़रूरत हो तो ऐसा धीरे-धीरे करें, लेकिन सुनिश्चित करें कि वे स्कूल जाएं।’ ‘हेलिकॉप्टर’ पेरेंट्स के काम बताते हैं कि खुशी और दुःख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और जिंदगी का हिस्सा हैं। लेकिन बच्चों को घर में रखकर उनके सामने आने वाली बाधाओं को हटाना, न सिर्फ आपको ‘स्नोप्लाउ’ पैरेंट बनाएगा, बल्कि बच्चों को यह संदेश भी देगा कि जिंदगी हमेशा खुशनुमा होनी चाहिए, जो कि वास्तव में गलत है।

फंडा यह है कि चिंता आपकी दोस्त है। उसकी बात सुनें। लेकिन याद रखें, आपकी नकारात्मक प्रतिक्रिया इसे बीमारी बना सकती है।

Source;- ‘’दैनिक भास्कर’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *