लखनऊ, -आइए आपको एक ऐसे चिल्लर कोष के बारे में बताते हैं जो गरीब कन्याओं की शादी के साथ ही असहाय का इलाज भी कराता है। जो खर्च आता है, वह उसकी वसूली भी नहीं करता। पर्वतीय महापरिषद की ओर से मकर संक्रांति से शुरू होने वाले उत्तरायणी कौथिग में यह चिल्लर कोष नजर आएगा।
सामाजिक मजबूती के पर्याय बन रहे आर्थिक तंत्र के साथ सामाजिक एकता और भाईचारा भी जरूरी है जिसे आर्थिक पैमाने से नहीं तौला जा सकता है। इसी मंशा के चलते पर्वतीय महापरिषद ने ‘चिल्लर कोष’ की कल्पना की और फिर उसे उत्तरायणी मेले में मूर्त रूप दे दिया। बदलते परिवेश में आने वाली पीढ़ियों को दिशा देने और सामाजिक एकता व भाईचारे को बढ़ावा देने की यह पहल बीते वर्षं 100 कोष से शुरू हुई और अब पांच हजार तक पहुंच गई है। चिल्लर कोष में एक रुपये रोज के हिसाब से जमा पैसे से गंभीर बीमारी का इलाज कराया जाएगा और गरीब कन्याओं की शादी भी कराई जाएगी।
पर्वतीय महापरिषद की ओर से पिछले वर्ष चिल्लर स्वयं सहायता समूह बनाया गया। समूह में उत्तराखंड के निवासियों व अन्य लोगों को सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया। किसी की मदद के लिए सरकार की ओर देखने के बजाय खुद सहायता के लिए आगे आने के संकल्प के साथ कोष बनाने का निर्णय लिया गया। कोष का सदस्य बनने के 60 रुपये जमा करके ‘चिल्लर कोष’ लेना होता है। लोहे की चादर से बने इस कोष में लगे ताले को हर छह महीने में खोलने और फिर इस पैसे को कोष में जमा करने का प्रावधान किया गया है।
उत्तराखंड से आए करीब चार लाख लोग राजधानी में रहते हैं। महापरिषद के अध्यक्ष गणेशचंद्र जोशी ने बताया कि 20 हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है। हर दिन के हिसाब से 20 हजार लोग एक रुपये प्रतिदिन कोष में जमा करेंगे। 30 रुपये महीने के हिसाब से एक साल में 72 लाख रुपये जमा होंगे। इस पैसे से समाज के गरीब तबके की बेटी की शादी और गंभीर बीमारी के एवज में पांच लाख तक की सहायता देने का प्रावधान है। सहायता के लिए महापरिषद को आवेदन करना होगा और फिर कमेटी इस पर निर्णय लेगी।
पर्वतीय महापरिषद की तरफ से प्रतिवर्ष बीरबल साहनी मार्ग उत्तरायणी कौथिग मेला लगता है। यहां आने वाले लोगों को एक-एक गुल्लक दिया जाता है। वर्ष भर तक लोग इसमें पैसा जमा करते हैं। एक साल बाद मेले में यह राशि एकत्र करके जरूरतमंदों को बांटी जाती है। 14 जनवरी से यह मेला आयोजित होगा। इस बार पांच हजार लोगों को यह गुल्लक देने का लक्ष्य है।