• July 1, 2024 2:08 am

अब और तेजी से बढ़ेगी गांव वालों की आमदनी, सरकार ने लिया यह फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कल यानी बुधवार की शाम केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई है। इसमें राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) कुछ और संशोधन को मंजूरी दी गई। बताया जा रहा है कि इससे गांवों में रहने वाले लोगों की आमदनी में और इजाफा हो सकेगा। हम आपको यहां बता रहे हैं कि क्या है राष्ट्रीय पशुधन मिशन और इसमें किन-किन गतिविधियों को शामिल किया गया है

  1. क्या है राष्ट्रीय पशुधन मिशन?
    राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम) की शुरुआत साल 2014-15 के दौरान की गई थी। इसके शुरू करने का उद्देश्य सतत, सुरक्षित और न्यायसंगत पशुधन विकास के माध्यम से पशु पालकों और किसानों, विशेष रूप से छोटे किसानों के पोषण और जीवन स्तर में सुधार करना था। यह व्यापक रूप से पशुधन उत्पादन प्रणालियों में मात्रात्मक और गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सभी कार्यकलापों और सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण को कवर करता है। मिशन के प्रमुख परिणाम आहार और चारे की मांग और उपलब्धता में अंतर को कम करना, स्वदेशी नस्लों का संरक्षण और सुधार करना, सतत् और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से उच्च उत्पादकता और उत्पादन, विशेष रूप से वर्षा वाले क्षेत्रों में और भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के लिए आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना, जागरूकता में वृद्धि करना, जोखिम कवरेज में सुधार करना और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बेहतर पशु उत्पाद उपलब्ध कराना, पशु पालकों का समग्र सामाजिक-आर्थिक उत्थान करना है।
  2. अब क्या हुआ है बदलाव?
    सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन में अब कुछ अतिरिक्त गतिविधियों को शामिल करने का फैसला किया है। इसके साथ ही राष्ट्रीय पशुधन मिशन में और संशोधन को भी मंजूरी दे दी है। योजना में नई गतिविधियों में व्यक्तियों, एफपीओ, एसएचजी, जेएलजी, एफसीओ और धारा 8 कंपनियों को प्रदान की जाने वाली 50 लाख रुपये तक की 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी के साथ घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट के लिए उद्यमिता (Entrepreneurship) की स्थापना शामिल है।
  3. राज्य सरकारों को भी अब मिलेगी सहायता?
    इसके साथ ही घोड़े, गधे और ऊंट के नस्ल संरक्षण के लिए राज्य सरकारों को भी सहायता दी जाएगी। केंद्र सरकार घोड़े, गधे और ऊंट के लिए वीर्य स्टेशन और न्यूक्लियस प्रजनन फार्म की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये देगी। यह राशि निजी कंपनियों, स्टार्टअप/एसएचजी/एफपीओ/एफसीओ/जेएलजी/किसान सहकारी समितियों (एफसीओ) को 50 लाख रुपये तक 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी के साथ चारा बीज प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे (प्रसंस्करण और ग्रेडिंग इकाई/चारा भंडारण गोदाम) के लिए उद्यमियों की स्थापना, धारा 8 कंपनियां, ग्रेडिंग संयंत्रों के साथ-साथ बीज भंडारण गोदामों सहित भवन निर्माण, रिसीविंग शेड, सुखाने का प्लेटफार्म और मशीनरी जैसे बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए है। केबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद बताया गया कि परियोजना की शेष लागत की व्यवस्था लाभार्थी द्वारा बैंक वित्त या स्व-वित्तपोषण के माध्यम से की जानी चाहिए।
  4. चारे की खेती के क्षेत्र में भी होगा इजाफा?
    बताया गया कि अब चारे की खेती के क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को गैर-वन भूमि, बंजर भूमि/रेंज भूमि/गैर-कृषि योग्य भूमि के साथ-साथ वन भूमि में चारे की खेती और वन भूमि के साथ-साथ वनों से चारा उत्पादन के लिए सहायता दी जाएगी। इससे देश में चारे की उपलब्धता बढ़ेगी।
  5. पशुधन बीमा कार्यक्रम में क्या हुआ बदलाव?
    पशुधन बीमा कार्यक्रम को भी सरल बनाया गया है। किसानों के लिए प्रीमियम में लाभार्थी का हिस्सा कम कर दिया गया है और यह 15 प्रतिशत होगा, जबकि मौजूदा लाभार्थी हिस्सा 20 प्रतिशत, 30 प्रतिशत, 40 प्रतिशत और 50 प्रतिशत है। प्रीमियम की शेष राशि केंद्र और राज्य द्वारा सभी राज्यों के लिए 60:40 के अनुपात में साझा की जाएगी। बीमा किए जाने वाले पशुओं की संख्या भी भेड़ और बकरी के लिए 5 मवेशी इकाई के बजाय 10 मवेशी इकाई तक बढ़ा दी गई है। इससे पशुपालकों को न्यूनतम राशि चुकाकर अपने पशुओं का बीमा कराने में सुविधा होगी।

सोर्स :- “ NBT नवभारत टाइम्स”

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