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शाजापुर मंडी में किसान से खरीदा प्याज, भाड़ा लग गया 280 रुपए

ByADMIN

Sep 27, 2022 ##Farmer, ##Mandi, ##Onion, #A
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27  सितम्बर 2022 | मध्यप्रदेश में प्याज के कम रेट किसानों की आंखों में आंसू ला रहे हैं। दाम इतना कम मिल रहा है कि खेती की लागत तो दूर ट्रांसपोर्ट का खर्च तक नहीं निकल रहा। शाजापुर की मंडी में तो किसान से 300 किलो प्याज सिर्फ 2 रुपए में खरीदा गया। इस पर कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा, शिवराज जी, जरा किसानों का सोचिए..।

देवास जिले के ग्राम भुदानी का किसान जयराम 22 सितंबर को 6 कट्‌टे प्याज बेचने पहुंचा था। इन कट्‌टों में 300 किलो प्याज था। इसे 80 पैसे से सवा रुपए प्रति किलो तक खरीदा गया। इस तरह कुल कीमत 330 रुपए बनी, लेकिन ट्रांसपोर्ट और हम्माली/तुलाई का खर्च निकालने के बाद किसान जयराम को सिर्फ 2 रुपए का ही भुगतान किया गया।

2 रु. भुगतान का व्यापारी का तर्क भी जान लीजिए
शाजापुर के प्याज व्यापारी शहादत खान से बात की गई। उसने बताया, किसान जयराम जो प्याज लेकर आया, उसकी क्वॉलिटी ठीक नहीं थी। बावजूद उसे 80 पैसे से सवा रुपए किलो तक खरीदा। अगर प्याज अच्छी क्वालिटी का होता तो 11 रुपए किलो तक खरीदा जाता। जयराम छह कट्‌टों में 300 किलो प्याज लेकर आया था। उसने एडवांस में 280 रुपए भाड़े के ले लिए थे। हम्माली और तुलाई का खर्च निकालकर बाकी पेमेंट जयराम को दिया है।

प्याज के किसानों को रेट कम मिल रहे तो लोगों को महंगा क्यों बेचा जा रहा?
मध्यप्रदेश की मंडियों में किसानों को अच्छी क्वॉलिटी के प्याज के अधिकतम रेट 11 से 12 रुपए मिल रहे हैं, जबकि मीडियम क्वॉलिटी का प्याज 5 से 10 और सबसे खराब क्वॉलिटी का प्याज 4 रुपए किलो से कम में खरीदा जा रहा है। दूसरी ओर, आम लोगों को प्याज 20 से 25 रुपए प्रतिकिलो तक खाने को मिल रहा है। इसे लेकर भारतीय किसान संघ के नेता मुकेश पाटीदार ने बताया, मंडियों में मनमाने रेट दिए जा रहे हैं। व्यापारी मंडी टैक्स, कमीशन, हम्माली और तुलाई का खर्च किसान से लेते हैं। वहीं, बिचौलिये भी मंडियों में सक्रिय हैं। इस कारण किसानों को रेट कम मिलते हैं और आम लोगों को महंगा खाने को मिल रहा है। इस पर लगाम लगाई जानी चाहिए।

कृषि मंत्री बोले थे-ऐसी फसल उगाई क्यों, जिसके रेट कम मिलें
इसी महीने 8 सितंबर को शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल और धार जिले के सुनील पाटीदार नाम किसान का ऑडियो वायरल हो चुका है। जिसमें कृषि मंत्री बोले थे कि ऐसी फसल उगाई क्यों, जिसके रेट कम मिलें।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                         


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