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मानवाधिकार दिवस पर हुई बैठक समाजसेवी संगठनों के लोग हुए शामिलशांति और न्याय के लिए निकालेंगे पदयात्रा सी एम के समक्ष रखेंगे प्रस्ताव

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Dec 11, 2020
शांति और न्याय के लिए निकालेंगे पदयात्रा सी एम के समक्ष रखेंगे प्रस्ताव

मानवाधिकार दिवस के अवसर पर तिल्दा स्थित प्रयोग आश्रम में समाजसेवी संगठनों की एक बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता एकता परिषद के प्रमुख राजगोपाल पीवी ने की। इस दौरान हुई चर्चा के बाद तय किया गया कि आगामी मार्च के महीने में एक पदयात्रा गरियाबंद से निकाली जाए और रायपुर पहुंचकर प्रदेश के मुखिया के समक्ष प्रदेश में शांति और न्याय की स्थापना का प्रस्ताव रखा जाए।
   एकता परिषद की सहयोगी संस्था प्रयोग के तिल्दा स्थित आश्रम में आयोजित इस बैठक में प्रदेश भर में काम करने वाले अनेक समाजसेवी संगठन के लोग शामिल हुए। चर्चा का विषय था “छत्तीसगढ़ में शांति और न्याय किस तरह स्थापित की जाए”। इस मौके पर आगामी 3 वर्षों की रूपरेखा भी तय की गई। इस दौरान छत्तीसगढ़ के अशांत इलाकों में शांति और न्याय व्यवस्था बनाए रखने के लिए संगठनों के लोगों द्वारा अलग अलग सुझाव दिए गए । आखिरकार यह तय किया गया कि राज्य में नए सिरे से मुहिम शुरू की जाए ।फिलहाल शांति मंत्रालय की स्थापना के लिए राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव पेश किया जाए। इसी के तहत यह तय किया गया कि आगामी  दो-तीन महीने पदयात्रा की तैयारी की जाए और यात्रा गरियाबंद के  गांव कुल्हाड़ी घाट  से शुरू की जाए । इस गांव से  मार्च के महीने में पदयात्रा निकालकर राजधानी रायपुर में सम्पन्न की जायेगी , जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर उनके समक्ष शांति मंत्रालय और न्याय के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जायेगा।
   एकता परिषद के समन्वयक रमेश शर्मा ने बताया की इस पदयात्रा में प्रदेशभर के समाजसेवी संगठनों के लोग शामिल होंगे। एकता परिषद का यह मानना है कि राज्य में शांति मंत्रालय की स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ के अशांत इलाकों में शांति के प्रयासों में तेजी आयेगी।  इसके लिए प्रयासरत संगठनों के लोग जेलों में बंद लोगों और कर्मचारियों से चर्चा करेंगे, साथ ही शांति कैसे स्थापित हो, इसके लिए सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
   रमेश शर्मा ने बताया कि राज्य भर बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हैं, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, ऐसे लोगों के लिए जिलों में भी पदयात्राएं निकाली जाएंगी, और प्रयास किया जायेगा कि जिला स्तर पर ही उनकी समस्याएं सुलझा ली जाएं। अगर वहां कोई पहल नहीं हुई तो राज्य सरकार के समक्ष मामले प्रस्तुत किए जायेंगे। फिलहाल राज्य भर के उन सामाजिक संगठनों की सक्रियता बढ़ेगी, जो आम लोगों और पिछड़ों के लिए कार्यरत हैं। 

भवदीय -मंतराम निषाद

Prayog Samaj Sevi Sanstha

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