दिनांक 20 मई 2022|श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते बढ़ती महंगाई और भुखमरी के कारण उत्तर भारतीय पलायन करने पर मजबूर हैं। नवंबर 2021 से ही कंगाली शुरू हुई। मंदी के कारण कंपनियों में छंटनी हाे रही है। अधिकतर कंपनियां बंदी के कगार पर हैं। ऐसे में भारी तादाद में बिहार-झारखंड के लाेग जहां वापस लौट आए हैं, वहीं बाकी लाेग भी कमाई राशि घर नहीं भेज पाने से परेशान होकर वापसी की तैयारी कर रहे हैं। श्रीलंका से लौटे मुजफ्फरपुर के राकेश कुमार सिंह और वापसी की तैयारी कर रहे हिमांशु किशोर ने दैनिक भास्कर से वहां की स्थिति और लाेगाें की परेशानी साझा की।
कंपनियां बंद होना चिंता का कारण
अलैरिस लंका प्राइवेट लिमिटेड में जनरल मैनेजर मुजफ्फरपुर के मालीघाट के राकेश कुमार सिंह ने कहा- नवंबर-दिसंबर 2021 में मंदी चरम पर पहुंचने के बाद कंपनी ने 30% कर्मचारियों की छंटनी कर दी। सैलरी की राशि श्रीलंकाई बैंक से भारतीय बैंक के जरिए घर भेजना मुश्किल हाे गया। राकेश कुमार कहते हैं- कंपनी ने दाे बार क्रेडिट पर मटेरियल मंगवा लिया था।
इसका भुगतान करना मुश्किल हाे रहा था। ऐसे में तीसरी बार सामान मंगाने पर ब्लैक लिस्टेड और बंद होना तय था। ऐसे में घर लौटने के अलावा काेई विकल्प नहीं बचा था। अगले दाे माह में अधिकतर कंपनियों का बंद होना तय है। लाेगाें काे 5-5 दिन इंतजार के बाद 400 रुपए किलो आलू, 200 रु. पैकेट ब्रेड, 485 रु. किलो दाल, 340 रु. किलो आटा, 920 रु. में 400 ग्राम का क्रीम मिल्क पाउडर, 560 रु. में 1.5 किलो दही, एक हजार रु.एक किलो टमाटर, 300 रु.प्याज और 500 रु. किलो गाजर मिल रहा है।
Source;दैनिक भास्कर