- संयुक्त राष्ट्र की एक हाई-लेवल बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने दस साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्रों को जोड़ा है।
15 जून-2021 | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र (UN) की हाई लेवल बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सभी विकासशील देशों के सामने भू-क्षरण एक चुनौती बन कर उभरा है।मरुस्थलीकरण–भूमि क्षरण और सूखे पर आयोजित इस वर्चुअल संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भूमि क्षरण आज दुनिया के दो तिहाई हिस्से को प्रभावित करता है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो यह हमारी अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता की नींव को ही नष्ट कर देगा। भारत 2030 तक करीब 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को उपयोग के लायक बनाने की दिशा में काम कर रहा है।पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हमने हमेशा भूमि को महत्व दिया है और भारतीय पवित्र पृथ्वी को अपनी मां के रूप में मानते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने भूमि क्षरण, सूखे से निपटने के लिए नए तरीके अपनाए हैं। भारत में पिछले दस साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इसने संयुक्त वन क्षेत्र को देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 1/4 भाग तक बढ़ा दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि ये वनक्षेत्र 2.5 से 3 बिलियन टन सीओ2 (CO2) के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक को प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान करेगा।आप को बता दें कि संयुक्त राष्ट्र में पीएम नरेंद्र मोदी का यह संबोधन जी-7 शिखर सम्मेलन में तीन सत्रों के संबोधन के महज एक दिन बाद हो रहा था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोजकिर ने भूमि क्षरण से लड़ने में हुई प्रगति का आंकलन करने और स्वस्थ भूमि को पुनर्जीवित करने के वैश्विक प्रयासों पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन के समर्थन में ये बैठक बुलाई है।
Source : “Naiduniya”