16 मई 2023 ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 मई को पापुआ न्यू गिनी में भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस दौरान वह विकास और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की शुरुआत करेंगे। प्रशांत क्षेत्र जिसे चीन अपना “पिछवाड़ा” मानता है, में भारत में अपने पदचिह्न का विस्तार करना चाहता है । यही वजह है कि चीन के ‘पिछवाड़े’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम कदम उठाने जा रहे हैं।
इस शिखर सम्मेलन में प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के 14 नेता भाग लेंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत क्षमता निर्माण और आपदा प्रबंधन के संबंध में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का इच्छुक है।
और यही वजह है कि 14 देश विशेष रूप से भारत के आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के मॉडल को अपनाने में रुचि रखते हैं। शिखर सम्मेलन कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नाउरू, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालु और वानुअतु के नेताओं को एक साथ लाएगा। चूंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रशांत समुद्री क्षेत्र भी शामिल है, इसलिए इस क्षेत्र के देशों ने बहुत प्रासंगिकता ग्रहण कर ली है। हाल के वर्षों में चीन ने अपनी “ब्रीफ़केस डिप्लोमेसी” शुरू की और वह प्रशांत द्वीप राष्ट्रों का समर्थन जीतने की कोशिश कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप चीन ने ऑस्ट्रेलिया के निकट स्थित सोलोमन द्वीप समूह के साथ सुरक्षा सहयोग समझौता किया है।
सोर्स :-” पंजाब केसरी”