13 मई 2023 ! कहा जा रहा है कि खाड़ी के देशों में अमेरिका अपनी रणनीति में भारत को ख़ासा तवज्जो दे रहा है.
अरब वर्ल्ड में भारत की नई संभावनाओं की बात कही जा रही है. थिंक टैंक द विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कगलमैन ने अमेरिकी पत्रिका में लिखा है कि सऊदी अरब में तीनों देशों के एनएसए ने मिलकर जो प्रस्ताव रखा है, उससे यह संकेत मिलता है कि भारत और यूएई इंडो पैसिफिक के अलावा मध्य-पूर्व में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए मिलकर काम करने की ओर बढ़ रहे हैं.
माइकल कगलमैन ने लिखा है, ”बाइडन प्रशासन का मानना है कि कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के ज़रिए ही मध्य-पूर्व में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सकता है.”
ईरान और सऊदी क़रीब आ रहे हैं तो सीरिया को फिर से अरब लीग में शामिल कर लिया गया है.
सऊदी अरब के किंग ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को अरब लीग समिट में शामिल होने के लिए रियाद बुलाया है.
दूसरी तरफ़ ईरान, तुर्की और सीरिया के विदेश मंत्री रूस पहुँचे हैं.
साल 2011 में सीरिया में शुरू हुए गृह युद्ध के बाद इस तरह की पहली उच्चस्तरीय बैठक है.
कहा जा रहा है कि रूस तुर्की और सीरिया के बीच संबंध सामान्य कराने की कोशिश कर रहा है.
ऐसे में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का अमेरिका और यूएई के एनएसए के साथ सऊदी अरब में मिलना मायने रखता है.
एशिया सोसाइटी पॉलिसी इस्ंटीट्यूट के सीनियर फ़ेलो सी राजा मोहन ने है कि खाड़ी के देशों में भारत और अमेरिका की गर्मजोशी भारत की पारंपरिक नीति से बिल्कुल अलग है.
उन्होंने लिखा है कि मध्य-पूर्व में नेहरू की नीति रही थी कि भारत यहाँ अमेरिका का विरोध करे या उससे दूरी बनाकर रखे.
सोर्स :-“BBC न्यूज़ हिंदी”