07 अप्रैल 2022 | पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रायसेन के ताले में बंद उसी शिव मंदिर में जलाभिषेक करने की घोषणा की है, जिसका जिक्र हाल ही में कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने किया था। मिश्रा ने कहा था कि शिव के राज में ‘शंकर कैद’ में हैं। उमा ने ट्वीट कर 11 अप्रैल को मंदिर में जलाभिषेक करने की बात कही है।
उमा भारती ने ट्वीट के जरिए बताया- मान्यता है कि नवरात्रि के बाद के पहले सोमवार को शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। 11 अप्रैल को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से रायसेन के सोमेश्वर धाम में गंगाजल चढ़ाऊंगी। राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, दोनों बेटे व बेटी और सैनिकों का तर्पण करूंगी। अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।
उमा भारती ने ट्वीट के जरिए बताया- मान्यता है कि नवरात्रि के बाद के पहले सोमवार को शिवजी का अभिषेक करना चाहिए। 11 अप्रैल को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से रायसेन के सोमेश्वर धाम में गंगाजल चढ़ाऊंगी। राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, दोनों बेटे व बेटी और सैनिकों का तर्पण करूंगी। अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।
रायसेन के किले के नाम से ही हूक उठती है
उमा भारती ने एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए लिखा- मैं शिव जी के किसी सिद्ध स्थान को तलाश ही रही थी कि नवरात्रि के बाद के 11 अप्रैल सोमवार को गंगोत्री से लाए हुए गंगाजल से अभिषेक करूं। अचानक कल मध्य प्रदेश के एक प्रतिष्ठित अखबार से रायसेन में कथा कर रहे प्रतिष्ठित कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी के हवाले से यह जानकारी मिली कि रायसेन के किले में एक ऐसा सिद्ध शिवलिंग है।
रायसेन के किले के नाम से ही मेरे अंतः में हूक उठती है। विश्व प्रसिद्ध प्रामाणिक इतिहासकार Abraham Eraly ने अपनी पुस्तक Emperors of the Peacock Throne में लिखा है कि किस तरह से रायसेन के राजा पूरणमल शेरशाह सूरी के विश्वासघात के शिकार हुए।
बताई राजा पूरणमल संग हुई क्रूरता की कहानी
किले के चारों तरफ घेरा डालकर शेरशाह सूरी ने राजा पूरणमल से संधि कर ली, फिर उनके परिवार और उनके सहायकों के टेंट को शेरशाह सूरी ने अपने अफगान सैनिकों के साथ घेर लिया। रात में राजा पूरणमल को घेर कर मार डाला। राजा पूरणमल बहुत बहादुरी से लड़े, मरने से पहले उन्होंने पत्नी रानी रत्नावली के अनुरोध पर उनकी गर्दन काट दी, ताकि वह वहशियों के शिकंजे में न आ पाएं, लेकिन दो मासूम बेटे और अबोध कन्या टेंट में एक कोने में दुबक गए, जहां से उनको इन वहशियों ने खींचकर निकाला।
दोनों मासूम बेटे वहीं काट दिए गए। राजा पूरणमल की अबोध कन्या वैश्यालय को सौंप दी। वहां वह दुर्दशा का शिकार होकर मर गई। जब भी मैं रायसेन के किले के आसपास से गुजरी, यह प्रसंग मुझे याद आता था। बहुत दुखी और शर्मिंदा होती थी।
बोलीं- प्राचीन सिद्ध शिवलिंग की नहीं थी जानकारी
पूर्व CM ने आगे लिखा- जब डॉ. प्रभुराम चौधरी के चुनाव प्रचार में मैंने और शिवराज जी ने रायसेन में एक साथ सभा की थी, तब मैंने रायसेन के किले की ओर देखते हुए यह बात कही थी कि इस किले को देखकर मुझे बहुत कष्ट होता है। आज जब हमारा भाजपा का झंडा इसके सामने फहरा रहा है, तो कुछ शांति होती है। राजा पूरणमल के साथ हुई घटना नीचता, विश्वासघात और वहशीपन की याद दिलाती है। मुझे अपने इस अज्ञानता पर शर्मिंदगी है कि मुझे उस प्राचीन किले में सिद्ध शिवलिंग होने की जानकारी नहीं थी।
मैंने अपने कार्यालय से कल कहा था कि रायसेन जिला प्रशासन को 11 अप्रैल, सोमवार को मेरे वहां जल चढ़ाने की सूचना दें। जब मैं 11 अप्रैल, सोमवार को उस सिद्ध शिवलिंग पर गंगोत्री से लाया हुआ गंगाजल चढ़ाऊंगी तब राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, उनके मार डाले गए दोनों मासूम बेटे एवं वहशी दुर्दशा की शिकार होकर मर गई अबोध कन्या एवं उन सब के साथ मारे गए राजा पूरणमल के सैनिक उन सबका मैं तर्पण करूंगी एवं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।
![पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यालय ने रायसेन प्रशासन को लेटर लिखा है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/04/07/_1649315874.jpg)
Source :- ‘दैनिक भास्कर”