1 जुलाई 2022 | साल 2011 बैच के IAS अफसर डॉ सर्वेश्वर भूरे अब रायपुर के कलेक्टर हैं। शुक्रवार को वो रायपुर में ज्वाइन कर सकते हैं। अब तक रायपुर के कलेक्टर का पद संभाल रहे सौरभ कुमार बिलासपुर कलेक्टर बनाए गए हैं। इससे पहले डॉ. भूरे दुर्ग के कलेक्टर थे। सर्वेश्वर भूरे प्रदेश के ऐसे अफसर हैं जिन्होंने कोविड काल में बतौर डॉक्टर भी लोगों की सेवा की। इनका साथ इनकी पत्नी डॉ. रश्मि भूरे ने भी दिया। राजधानी रायपुर का जिम्मा संभाल रहे नए कलेक्टर के बारे में जानिए कुछ दिलचस्प बातें
एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखने वाले डॉ भूरे के पिता पेशे से टीचर थे। अपने कुछ इंटरव्यू में डॉ भूरे मीडिया को बता चुके हैं कि उन्हें क्लास 10 तक UPSC, IIT,IIM जैसे संस्थानों इनकी परीक्षा से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी। वो गांव के मराठी मीडियम स्कूल में पढ़े। भंडारा जिले के निवासी भूरे, 11वीं की पढ़ाई के लिए शहर आए। तब जीवन, करियर और शिक्षा के बारे में बहुत कुछ जानने समझने को मिला। यहीं से उनकी जिंदगी बदलना शुरू हुई। डॉ भूरे बताते हैं, मैं पढ़ाई में अच्छा था तो यही था कि डॉक्टर बनना है। सिविल सर्विसेस के बारे में तो कॉलेज में पता लगा।
पुणे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई यहीं प्यार भी हुआ
IAS डॉ भूरे ने पुणे के एक मेडिकल कॉलेज से MBBS की पढ़ाई की। यहीं उन्हें उनकी सीनीयर्स से पता चला UPSC के बारे में। इसके बाद को तैयारी करने लगे। इसी कॉलेज से पास आउट एक सीनियर स्टूडेंट पुणे नगर निगम में कमिश्नर थे। उन्हें देखकर भी डॉ भूरे सिविल सर्विस में जाने को प्रेरित हुए। कॉलेज में इनके साथ पढ़ने वाली डॉ रश्मि से इनकी मुलाकात हुई। कुछ वक्त बाद दोस्ती, फिर प्यार और दोनों ने शादी कर ली। डॉ रश्मि भी एक प्रोफेशनल डॉक्टर हैं।
इंग्लिश बनती थी मुश्किल मगर हार्ड वर्क से मिली जीत
गांव के स्कूल में पढ़े डॉ भूरे को अंग्रेजी का विषय परेशान करता था। डॉ भूरे साइंस के स्टूडेंट थे काफी सारे शब्द अंग्रेजी में ही होते थे। एक वक्त तो उन्हें लगा कि वो स्ट्रीम ही बदल लें। मगर परिवार के लोगों ने हौसला बढ़ाया। डॉ भूरे कहते हैं कि जहां इस तरह की मुश्किलें सामने हों वहां हार्ड वर्क ही एक विकल्प होता है। मैंने वही किया जो नहीं आता था सीखने लगा और कामयाबी मिली। यही मैं आज भी स्टूडेंट्स को बताता हूं।
Source;- ‘’दैनिकभास्कर’’