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दुश्मनों को चीटियों की तरह मसलने वाला तानाशाह, जिसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने बिल से ढूंढ निकाला था

ByADMIN

Dec 13, 2023 ##prompt times

13 दिसंबर 2023 ! वह एक बेहद मामूली परिवार में पैदा हुआ. जन्म से पहले पिता गायब हुए तो उनका पता नहीं चला. कई बार मां को खुदकुशी तो कई बार गर्भपात कराने के ख्याल भी आते रहे. फिर भी जैसे-तैसे वह दुनिया में आया. एक भाई की बेहद कम उम्र में कैंसर से मृत्यु हो गई. तीन साल तक वह ननिहाल में रहा. जैसे-जैसे बड़ा हुआ. स्कूल होते हुए कॉलेज पहुंचा और यहीं से उसने बड़े सपने देखने शुरू किए. महज 20 साल की उम्र में ही राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण कर ली और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. खूब तरक्की की उसने भी और उसके देश ने भी. अत्याचार भी खूब किए. दुश्मनों को मसलने के लिए वह जाना जाता.

राष्ट्राध्यक्ष के रूप में उसका अत्याचार बढ़ता गया. असर दूसरे देशों पर भी किसी न किसी रूप में होने लगा. तब अमेरिका सामने आया और उसे मिटाने के प्रयास शुरू कर दिए. राष्ट्रपति के रूप में वह अपनी जान बचाने को तहखाने में घुस गया. अमेरिकी सेना के जवानों ने उसे उस बिल से भी खोज निकाला. तारीख थी 13 दिसंबर और साल था 2003.

कुछ यही परिचय है इराक के राष्ट्रपति रहे तानाशाह सद्दाम हुसैन का, जिसे 30 दिसंबर साल 2006 को बगदाद में फांसी पर लटका दिया गया. उस पर इराकी शहर दुजैल में 148 शियाओं की हत्या का आरोप पुख्ता हुआ था. आइए सद्दाम हुसैन के जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्से जानते हैं.

सद्दाम हुसैन ने 42 वर्ष की उम्र में साल 1979 में इराक की सत्ता पर काबिज हुआ और खुद को राष्ट्रपति घोषित करते हुए देश के अनेक महत्वपूर्ण पद खुद के पास रख लिया. इसके लिए उसने जनरल अहमद हसन अल बक्र को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. इसी के साथ इराक एक नए युग में प्रवेश किया, जहां तरक्की की इबारत तो लिखी गई लेकिन अनेक ऐसी घटनाएं भी हुईं, जो मानवता को शर्मशार करती रहीं. इस दौरान जिस किसी ने सद्दाम की सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई, वह या तो गायब हो गया या मार दिया गया. धीरे-धीरे सद्दाम की छवि तानाशाह की बनने लगी.

बाथ पार्टी की सदस्यता लेते वक्त सद्दाम की उम्र 20 वर्ष ही थी, पर वह सपने ऊंचे देखता था. साल 1962 में इराक में विद्रोह हुआ तो ब्रिगेडियर अब्दुल करीम कासिम ने राजशाही को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया. राजशाही को ब्रिटेन का समर्थन था. इस विद्रोह में सद्दाम भी शामिल था. इस कामयाबी के बाद उसका मनोबल काफी बढ़ गया था.

साल 1968 में इराक ने फिर एकबार सत्ता का विद्रोह देखा. इस बार सद्दाम ने जनरल अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा किया. तब वह युवा था लेकिन सत्ता में उसका प्रभाव खूब था. करीब 11 साल तक बक्र की सत्ता चली फिर सद्दाम ने उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया. कारण खराब स्वास्थ्य का बताया गया. बक्र के इस्तीफे के साथ ही सद्दाम ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया और देश के सभी महत्वपूर्ण पद और अधिकार अपने पास रख लिए. इस तरह पहले से ही मनबढ़ सद्दाम अब निरंकुश भी हो गया.

सोर्स :- ” TV9 भारतवर्ष    

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