• May 9, 2024 5:54 am

किन्नर से मिली थी बच्ची,7 साल तक पाला… कोर्ट बोला- यशोदा जैसी मां दे पाना मुश्किल

30जनवरी 2024
माता यशोदा ने भगवान कृष्ण को जन्म नहीं दिया था, लेकिन पालन-पोषण उन्होंने ही किया. कृष्ण को जन्म देने वाली मां देवकी थीं. द्वापर युग जैसी कथा कलयुग में भी दोहराई गई. उत्तर प्रदेश के आगरा में एक महिला ने एक ऐसी बच्ची को अपनी बेटी बनाया, जिसे उसकी वास्तविक मां ने खुले में फेंक दिया था. 7 साल से बच्ची का पालन-पोषण महिला ही कर रही थी. लेकिन परेशानी तब खड़ी हो गई, जब किसी दूसरे दंपति ने बच्ची पर अपना दावा ठोक दिया. मामला कोर्ट तक पहुंचा. आखिरकार पालनहार यशोदा की जीत हुई. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा की आठ साल की मासूम को उसका पालन करने वाली मां को ही देने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस मंजीव शुक्ला की खंडपीठ के सामने आगरा की एक महिला ने एक बच्ची की सुपुर्दगी लेने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि जुदा करना आसान है और यशोदा जैसी मां दे पाना मुश्किल. कोर्ट ने यशोदा मां को ही उसकी सर्वोत्तम संरक्षक मानते हुए उसके हाथ में फैसला दिया है. यशोदा मैया को बेटी गोद में देने की प्रक्रिया एक हफ्ते में पूरी करने का निर्देश भी प्रशासन को दिया है.कोर्ट ने कहा है कि कानूनी दांवपेच से बच्ची को उसको पालनहार मां से दूर करना आसान है, लेकिन यशोदा मैया जैसी मां दे पाना कानून के बस में नहीं.

क्या था पूरा मामला?

यह पूरा मामला आगरा का है, जहां आठ साल पहले सर्द रात में एक किन्नर ने टेढ़ी बगिया इलाके में रहने वाली महिला को नवजात बच्ची को सौंपा था, उसे कोई खुले में छोड़ गया था. अपने चार बच्चे होते हुए भी नवजात के लिए यही महिला यशोदा मां बन गई. न सिर्फ उसका तत्काल इलाज कराया, बल्कि सात साल तक पालन-पोषण में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. स्कूल में दाखिला भी कराया. इस बीच, किन्नर की नीयत खराब हो गई और वह मासूम को उठा ले गया.

जब बच्ची बरामद हुई तो बाल कल्याण समिति फर्रुखाबाद के यहां उसने यशोदा को ही अपनी मां बताते हुए उनके साथ जाना चाहा. मामले में नया मोड़ आया और मासूम बच्ची यशोदा को दे दी गई. अभी आठ महीने ही बीते थे कि कल्याण समिति आगरा ने कमजोर आर्थिक स्थिति का आधार बनाते हुए बच्ची को फिर बाल गृह भेज दिया था.

आगरा के रहने वाले युवक ने युवक ने पिता होने का किया दावा

मामले में नया मोड़ उस वक्त आया, जब आगरा के रहने वाले नितिन गर्ग ने हाईकोर्ट में दावा किया कि बच्ची के वह जैविक पिता हैं. उनका दावा है कि वर्ष 2015 में नवजात बच्ची उनके घर से अगवा की गई थी, जिसकी एत्मादपुर थाने में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. कोर्ट ने नितिन गर्ग को प्रतिवादी के रूप में जोड़ने को अनुमति देते हुए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया था. लेकिन बच्ची की डीएनए रिपोर्ट गर्ग परिवार से मैच नही हुई.

कोर्ट में पेश हुए विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा के उपनिदेशक अशोक कुमार ने अदालत को डीएनए रिपोर्ट सौंपी. डीएनए मैच नहीं होने से उसके जैविक माता-पिता होने का दावा करने वाले नितिन गर्ग और उसकी पली की दलीलों का दम निकल गया. और बच्ची यशोदा को देने का आदेश हो गया. हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति आगरा के इस रवैए को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए फटकार लगाई और कहा कि अधिकारियों ने इस मामले में संवेदनशीलता नहीं दिखाई जो उनसे अपेक्षित है.

स्रोत:- ” TV9 भारतवर्ष ”   

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *