29-जुलाई-2021 | दुनियाभर में लोगों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान बने हैं. मगर शायद ही कोई कब्रिस्तान वादी-ए-सलाम (Wadi al-Salam cemetery) से बड़ा होगा. इराक के नजफ में स्थित वादी-ए-सलाम कब्रिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है. इसे ‘शांति की घाटी’ भी कहा जाता है. ये शिया समुदाय के पवित्र शहर नजफ में स्थित है.
वादी-ए-सलाम कब्रिस्तान 1,485.5 एकड़ या कहें 6 स्क्वायर किमी इलाके को कवर करता है. यहां पर 50 लाख से अधिक लोगों को दफन किया गया है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यहां दफन मुर्दों की संख्या इससे कई ज्यादा है.
नजफ में स्थित ये कब्रिस्तान हर साल लाखों श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर आकर्षित करता है. ये कब्रिस्तान इमाम अली इब्न अबी तालिब (Imam Ali ibn Abi Talib) चौथे सुन्नी खलीफा और पहले शिया इमाम की दरगाह के पास स्थित है.
इमाम अली इब्न अबी तालिब की दरगाह के पास स्थित होने की वजह से इराक में रहने वाले बहुत से शिया लोग खुद को वादी-ए-सलाम में दफन किए जाने का अनुरोध करते हैं. इसके अलावा, दुनियाभर में मौजूद शिया समुदाय के लोग भी यहां दफन होने की इच्छा रखते हैं.
हालांकि, कब्रिस्तान में दफनाने का मतलब है कि यहां मौजूद तहखानों में शवों का रखा जाना. कब्रिस्तान की देखभाल करने वाले एक व्यक्ति के अनुसार, हर तहखाने में 50 शवों को रखा जा सकता है.
1400 से अधिक सालों में दफन लाखों कब्रों की वजह से कब्रों को मापना लगभग असंभव है. यहां मौजूद कब्रों को ईंटों और प्लास्टर से बनाया जाता है. कई बार उनपर कुरान की आयतें भी लिखी हुई होती हैं.
Source;-“TV9 भारतवर्ष“