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वाराणसी के युवाओं ने 500 पशुओं के गले में बांधी वाटर प्रूफ रेडियम डिवाइस; खुद ही करते हैं तैयार

24  दिसंबर 2022 |  वाराणसी के कुछ युवाओं ने आवारा पशुओं को बचाने की एक अच्छी तरकीब लगाई है। रात में अब गाड़ी की हेडलाइट जानवरों पर पड़ते ही आप अलर्ट हो जाएंगे। दरअसल, इन्होंने लगभग आधे शहर के आवारा पशुओं के गले में वाटर प्रूफ रिफ्लेक्टिव कॉलर बांध दिए हैं।

इन कॉलरों या नेक बेल्ट पर रेडियम की कोटिंग की गई है, जिस पर रोशनी पड़ते ही तेजी से चमकने लगता है। रात में कार या बाइक से आते हैं तो दूर से ही दिख जाता है कि कोई जानवर सामने बैठा या चल रहा है।

जानवरों को रोड एक्सीडेंट से बचाने की वाली शानदार मुहिम का नाम ‘प्राेजेक्ट रोशनी’ रखा गया है। काशी के युवाओं का यह उपाय काफी काम आ रहा है। काशी के युवाओं ने खुद के पैसे जुटाकर घर पर ही रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए है।

प्राेजेक्ट रोशनी की शुरुआत करने वाले प्रकृति रक्षक एनिमल लवर के हेड और BHU के पूर्व छात्र शिवम प्रजापति ने कहा कि उनकी टीम में 40 युवा हैं। ये पूरे बनारस शहर में कुत्तों, बकरियों और दूसरे पशुओं यह रिफ्लेक्टिव कॉलर पहना रहे हैं। अभी तक 500 से ज्यादा जानवरों को कॉलर से लैस कर दिया गया है।

शिवम बताते हैं कि रिफ्लेक्टिव कॉलर उनकी टीम और परिवार के लोग खुद ही बनाते हैं। खुद से फंड जुटाकर काम करते हैं। हम लोग यूट्यूब से भी हेल्प लिए। यह कॉलर ऐसा नहीं है कि पानी से गीला होकर पशु को बीमार कर देगा। इस पर पानी न तो टिकता है या न ही यह सोखता है। टीम के वॉलंटियर राहुल कुमार ने कहा कि हम चाहते हैं कि लोग हम मुहिम से जुड़े, तभी जानवरों को एक्सीडेंटल केस से बड़े स्तर पर बचाया जा सकेगा।

जानवरों को देते हैं 360 डिग्री सुरक्षा
कॉलर के अलावा, युवाओं की यह टीम आवारों जानवरों को 360 डिग्री सुरक्षा भी देती है। यदि कोई जानवर घायल है, तो उनकी मरहम-पट्टी, इंजेक्शन-दवाई, पर्याप्त भोजन, रहने को घर और पर्याप्त रोशनी आदि की व्यवस्था तत्काल उनके ही इलाके में कर दी जाती है। कॉटन, बीटाडीन, स्प्रिट, हाइड्रोजन और पट्टी आदि सब साथ लेकर चलते हैं। जानवर को घायल अवस्था से बाहर निकालने के बाद उसे रिफ्लेक्टिव कॉलर पहना दिया जाता है। वहीं, यदि जानवर की मौत हो जाती है, तो उसकी कब्र के लिए दो गज जमीन भी मुहैया कराई जाती है।

3 साल से कर रहे बचा रहे जानवरों को

शिवम ने बताया कि इस काम की शुरुआत उन्होंने 3 साल पहले ही कर दी थी। वह वीगन यानी कि पूर्ण शाकाहरी हैं। उन्हें जानवरों से बेहद प्यार है।हम कभी चोटिल होते हैं तो हमारे माता-पिता और भाई बंधु चिंतित होते हैं। मगर, जब पशु-पक्षियों के साथ कोई दुर्घटना होती है तो बहुत कम लोग ही ध्यान देते हैं। आजकल सड़कों पर तेज स्पीड से गाड़ियां आती हैं और जानवर दबकर करते रहते हैं।

कुत्ते को बचाने तमाशबीनों के बीच उतरा कुएं में
एक बार की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि कुत्ते का एक बच्चा कुएं में गिर गया था। वह चिल्ला रहा था, लेकिन वहां मौजूद लोग तमाशबीन थे। इंसान का बच्चा होता, तो शायद ये लोग रेस्क्यू करते, मगर यहां एक श्वान कुएं में गिरा था। मैंने रस्सी मंगाकर सीढ़ी बांधी और कुछ लोगों को पकड़ाकर कुएं में उतर गया। कुत्ते के बच्चे को रेस्क्यू कर बाहर लाया।

टीम में शामिल रहे ये युवा
जानवरों को बचाने की मुहिम में राहुल कुमार, दीपक राय, अर्चना शर्मा, प्रगति, निलिशा गुप्ता, कृष्णा मोदनवाल, भावना टंडन, हरप्रीत कौर, प्रिया गुप्ता, रोशन मौर्य, मीना, श्रुति, सिद्धार्थ और सुप्रिया शामिल हैं।

सोर्स :- “दैनिक भास्कर”                      

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