29 जनवरी 2022 | स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने नए कर्मचारियों व प्रमोट होने वाली महिला उम्मीदवारों के लिए मेडिकल फिटनेस गाइडलाइंस में बदलाव किया था।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) ने महिला उम्मीदवार के भर्ती दिशानिर्देशों पर बदलाव किया था। जिस पर बवाल मच गया। आखिरकार बैंक को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। नए नियमों में तीन माह से अधिक समय की गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) को अस्थाई रूप से अनफिट (Temporarily Unfit) मानने का प्रावधान था। महिला डिलीवरी के चार महीने के अंदर बैंक ज्वाइन कर सकती थीं।
दिल्ली महिला आयोग ने भेजा नोटिस
एसबीआई (SBI) के इस कदम पर विवाद शुरू हो गया था। इससे पहले 2009 में ऐसा प्रस्ताव आया था। हालांकि बैंक को तब वापस लेना पड़ा था। ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एंप्लाईज एसोसिएशन ने इसे लेकर सवाल खड़े किए थे। वहीं दिल्ली महिला आयोग ने स्टेट बैंक को नोटिस भेजकर इस गाइडलाइंस को वापस लेने को कहा था। दिल्ली महिला आयोग (DCW) की प्रमुख स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने इसे भेदभावकारी बताया था।
इस गाइडलाइंस को लेकर विवाद
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने नए कर्मचारियों व प्रमोट होने वाली महिला उम्मीदवारों के लिए मेडिकल फिटनेस गाइडलाइंस में बदलाव किया था। नए नियमों के मुताबिक महिलाओं की प्रेग्रेंसी तीन महीने से अधिक होगी। उन्हें अस्थाई रूप से अनफिट माना जाता है। ऐसी महिलाओं को बच्चे के जन्म के चार महीने के अंदर बैंक ज्वाइन करने की मंजूरी मिलती। एसबीआई की नीति भर्ती के लिए 21 दिसंबर 2021 से प्रभावी होती। वह प्रमोशन के लिए 1 अप्रैल 202 से लागू होगी। यह नियम स्थगित होने पर छह महीने तक की गर्भवती कैंडिडेट को बैंक ज्वाइन करने की मंजूरी है।
बैंक स्टॉफ ने किया विरोध
स्टेट बैंक के नए नियमों का स्टॉफ ने भी विरोध किया था। सीपीआई के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इससे महिलाओं के अधिकारों का हनन बताया था। वह मेडिकल फिटनेस सर्कुलर को वापस लेने की मांग की थीं।
Source;-“नईदुनिया”