• June 26, 2024 5:40 pm

गलती छिपाने फिर मंत्रिमंडल फेरबदल होगा, अगले महीने फाइव स्टार बाड़ेबंदी की तैयारी

14 अप्रैल2022 | देश की सबसे पुरानी पार्टी के बड़े नेताओं का इन दिनों उदयपुर में जमावड़ा है। पार्टी के सबसे बड़े नेता और पूर्व अध्यक्ष कार्यक्रम के लिए ट्रेन से वहां पहुंचे, जो अपने आप में सियासी इनाेवेशन था। अब चूंकि प्रदेश में पार्टी सत्ता में है तो जाहिर था कि बड़े नेता सबसे बड़े नेता का स्वागत करने के लिए दल बल के साथ पहुंचेंगे ही और हुआ भी ऐसा ही। ट्रेन से उतरने के बाद पूर्व अध्यक्ष के स्वागत में नेताओं-कार्यकर्ताओं ने खूब ताकत दिखाई। एक युवा नेता ज्यादा ही जोश में आ गए तो पूर्व अध्यक्ष नाराज हो गए। जोरदार नारे लगा रहे युवा नेता को पास बुलाया और डांटते हुए पूछा- कान में नारे क्यों लगा रहे हो? किसी नेता को अपने ही कार्यकर्ता की जोरदार नारेबाजी से नाराज होते हुए पहली बार सुना। जिस युवा को डांट पड़ी उसे यह जरूरत अहसास हो गया कि कुछ भी करने से पहले बड़े नेता का मूड जरूर भांप लेना चाहिए।

आगे मंत्रिमंडल फेरबदल की संभावनाएं
सत्ताधारी पार्टी में ब्रेन स्टॉर्मिंग का दौर चल रहा है। ब्रेन स्टॉर्म कइयों के लिए सियासी तूफान साबित होने वाला है। जून के बाद प्रदेश में सत्ता-संगठन के स्तर पर बड़े बदलावों का फेज शुरू होना है। इन बदलावों में मंत्रियों का नंबर आने के भी संकेत हैं। जून-जुलाई के आसपास एक बार फिर मंत्रिमंडल फेरबदल के आसार बन रहे हैं। छनकर आ रही सूचनाओं के अनुसार कुछ गलतियों को ठीक करने के लिए मंत्रिमंडल फेरबदल का फाॅर्मूला अपनाने पर विचार किया जा रहा है। इस फेरबदल में नाॅन परफॉर्मर और विवाद पैदा कर लायबिलिटी बनने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाना तय है।

राज्यसभा की दौड़ में नेताजी एक्सपोज
सत्ताधारी पार्टी में राज्यसभा जाने वालों की लंबी कतार है, इसके लिए अपनी-अपनी स्टाइल में दावेदारी की जा रही है। एक नेताजी दावेदारी के स्टाइल में इस्तेमाल हो गए और उनका स्टाइल एक्सपोज हो गया। नेताजी ने लीडरशिप के स्थायित्व को लेकर कुछ ऐसा नरेटिव बनाने का प्रयास किया, जिसका कोई आधार ही नहीं था। पड़ताल के बाद सामने आया कि बड़े नेता से राज्यसभा का प्रलोभन मिलने के बाद नेताजी ने यह सब किया। अब राजनीति में इस तरह की चीजें छिपती नहीं हैं।

राजनीतिक नियुक्तियों वाले पदों पर मंत्री का दर्जा दिया जाने में और असल में मंत्री होने में बहुत फर्क होता है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को यह मामूली अंतर या तो समझ नहीं आता या फिर जानकर अनजान बने हुए हैं। जिलों के दौरे पर जाने वाले बोर्ड निगमों के अध्यक्ष खुद को राज्य मंत्री ही लिखते हैं। स्वागत-सत्कार में पोस्टरों में भी राज्यमंत्री ही लिखवाते हैं। कई जिलों में तो कई बोर्ड-निगमों में अध्यक्ष बन गए हैं। वहां इन राज्यमंत्री लिखवाने वालों की भरमार हो गई। ऐसे ही एक बोर्ड अध्यक्ष को जब राज्यमंत्री लिखवाने पर एक नेता ने टोका तो बोले कि लालबत्ती छिनने के बाद अब रुतबा तो वैसे भी कम हो गया। अब प्रभाव जमाने के लिए कुछ तो चाहिए, इसलिए राज्यमंत्री लिखवाने में क्या हर्ज है? दर्जा तो है ही।

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से हर साल गर्मियों में सत्ताधारी पार्टी की बाड़ेबंदी एक रिवाज सा बन गया है। इस बार फिर बाड़ेबंदी के आसार बनते दिख रहे हैं। राज्यसभा की चार में से तीन सीट पर सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में समीकरण हैं लेकिन ये समीकरण तब तक ही पक्ष में हैं, जब तक क्रॉस वोंटिंग न हो। क्रॉस वोटिंग होने पर तीसरी सीट पार्टी के हाथ से जा सकती है। प्रदेश के मुखिया के पास भी इस तरह के इनपुट मिलने की सूचनाएं हैं, ऐसे में अचूक हथियार बाड़ेबंदी ही एकमात्र सहारा है। अब सत्ता ऐसा करेगी तो विपक्ष भी इसी हथियार का इस्तेमाल करेगा। ऐसे में राज्यसभा चुनाव फाइव स्टार बाड़ेबंदी के बीच ही होंगे।

प्रदेश की विपक्षी पार्टी में तेजी से घटनाक्रम घूम रहा है। नेताओं को चुनावी टास्क मिल चुके हैं। चुनावी टीम के हिसाब से भी कुछ बदलावों की तैयारी की जा रही है। सबसे ज्यादा चर्चा संघ कोटे से भरे जाने वाले एक अहम पद की भी है। बताया जाता है कि मौजूदा पदाधिकारी को लंबा समय हो गया है, उन्हें लेकर कई नेताओं ने शिकायतें सही जगह पहुंचाई हैं। बदलाव के लिए कई फैक्टर काम करेंगे। यूपी में इस पद पर बैठे नेता को भी बदलने की चर्चाएं हैं।

Source;- ‘’दैनिकभास्कर’’

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