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परंपरागत खेती-हिमाचल में फिर लहलहाएंगे कोदा और लाल चावल के खेत

01 दिसंबर 2021 | हिमाचल प्रदेश में परंपरागत फसलों को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। अब प्रदेश में मोटे अनाज कोदा और लाल चावल के खेत फिर से लहलहाएंगे। इस संबंध में मंगलवार को परंपरागत फसलों के उत्पादन को लेकर मंत्रिमंडल ने अहम फैसला लिया है। परंपरागत फसलों के बीजसंवर्धन पर प्रदेश सरकार पहले चरण में पांच करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिससे किसान इन बीजों का इस्तेमाल कर मोटा अनाज सहित लाल चावल का उत्पादन बढ़ा सकें और किसानों की आय बढ़ाई जा सके।

विभिन्न बीमारियों में खासकर मोटे अनाज कोदरा के आटे का इस्तेमाल करना लाभकारी माना जाता है। वर्तमान में मोटे अनाज करने का प्रचलन भी बढ़ा है और उपभोक्ता इसे दैनिक इस्तेमाल करने लगे हैं। प्रदेश के किसानों ने मोटा अनाज उगाना लगभग छोड़ दिया था। लेकिन अब इसकी बाजार मांग तेजी से बढ़ने लगी है। मोटे अनाज की मांग को देखते हुए प्रदेश में किसानों को परंपरागत फसलों का उत्पादन करने के लिए सरकार प्रोत्साहित करने लगीहै।

वर्तमान समय में मोटे अनाज की मांग बढ़ने के साथ किसानों को इन फसलों के मुंह मांगे दाम मिल रहे हैं। राज्य में कोदरा, चीणी, मक्का, धान के उन्नत बीच विकसित करके उपलब्ध कराए जाएंगे। इन फसलों के बीच किसानों की मांग के अनुसार जुटाकर परंपरागत फसलों की खेती के लिए अधिक से अधिक क्षेत्र को लाया जाएगा। 

प्रदेश में परंपरागत मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मंत्रिमंडल ने फैसला लिया है। मोटे अनाज के उन्नत बीज पर 5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके बाद मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाया जाएगा।
-आरके पूर्थी, कृषि निदेशक हिमाचल प्रदेश 

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