पीपलरावां । परंपरागत फसल लेने वाले किसान पिछले कई वर्षों से समस्याओं से जूझ रहे हैं। कभी अधिक बारिश तो कभी सूखा, तो कभी ठंड के अधिक प्रकोप से फसल नष्ट हो रही है। ऐसे में किसान कर्ज के बोझ से दबते जा रहे हैं। इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अब जागरूक किसान फलों की खेती कर अधिक कमाई कर रहे हैं।
ग्राम खेरियाजागीर के किसान विजेंद्रसिंह चौहान ने सोयाबीन, गेहूं, चने के स्थान पर एक बीघा में पपीता की खेती शुरू की है। सिर्फ छह महीने में ही फल आने लगे हैं। पपीता बेचकर करीब दो लाख रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है। चौहान ने बताया कि हर साल कभी अधिक बारिश तो कभी सूखा व अन्य कारणों से सोयाबीन, गेहूं-चने की फसल प्रभावित हो जाती है। प्रभावित फसल का उचित बीमा भी नहीं मिलता। लगातार ऐसा होने से खेती के प्रति मन में निराशा आ गई थी। इसके बाद फलों की खेती पर विचार किया और इसी वर्ष अप्रैल में बड़वानी जिले से पपीते के 300 पौधे खरीदे व एक बीघा में लगाए। अब इनमें फल आ रहे हैं। इनसे लाभ होता देखकर मैंने एक बीघा में और पपीता लगाने का विचार किया है। किसान चौहान ने बताया कि पारंपरिक खेती के साथ फल वाली खेती भी करनी चाहिए। अगर किसी कारण से पारंपरिक खेती में नुकसान हो जाता है तो फलों से किसान को सहारा मिल सकता है। फलों की खेती में कीटनाशक व अन्य दवाइयों के छिड़काव की आवश्यकता भी नहीं रहती।