09-अक्टूबर-2021 | त्योहारों के दौरान बनाई जाने वाली मूर्तियों के विसर्जन के लिए बिहार सरकार ने नियमावली तैयार की है। यह चार अक्टूबर से ही प्रभावी हो गई है। अब मूर्तियों का विसर्जन इसके नियमों के अनुसार ही होगा। इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पिछले वर्ष ही निर्देश दिया था। दूसरी तरफ, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने पूजा पंडाल में देवी दुर्गा की प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई की सीमा निर्धारित कर दी है। पर्षद के निर्देशानुसार प्रदेश में दुर्गा माता की कोई भी प्रतिमा 20 फीट से ऊंची नहीं होगी। पंडाल के लिए अधिकतम ऊंचाई 40 फीट तय की गई है। उससे ज्यादा ऊंचा पंडाल बनाने पर जिला प्रशासन रोक लगा सकता है।
ज्यादा बड़ी प्रतिमाओं से पर्यावरण को अधिक नुकसान का हवाला
डा. अशोक कुमार घोष का कहना है कि ज्यादा ऊंची प्रतिमा निर्माण करने पर ज्यादा सामग्री का उपयोग किया जाता है। सामान्यत: दुर्गा की प्रतिमाएं बांस, पुआल एवं मिट्टी से बनाई जाती हैं। ज्यादा ऊंची प्रतिमा होने पर ज्यादा बांस की कटाई होगी। उसी अनुपात में पुआल एवं मिट्टी का उपयोग किया जाएगा। अगर प्रतिमा छोटी होती है तो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग भी कम होगा। बड़ी प्रतिमा के निर्माण में ज्यादा संसाधनों का उपयोग किया जाता है। उन्हें विसर्जित करने पर ज्यादा प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान होगा।
विसर्जन के लिए बनाए जाएंगे अस्थाई तालाब
मूर्तियों के विसर्जन के लिए राज्य मेें अस्थाई तालाब बनाए जाएंगे। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। किसी भी नदी में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाएगा। निर्देश में गंगा, गंडक, बागमती, सोन, पुनपुन एवं कोसी का खासतौर पर जिक्र है।
प्लास्टर आफ पेरिस की प्रतिमाओं पर रोक
पेरिस की प्रतिमाओं के निर्माण पर रोक लगा रखी है। इसके निर्माण रोकने के लिए पर्षद की ओर से जिला प्रशासन को निर्देश भी दिया गया है। बोर्ड की कोशिश है कि प्रतिमाओं के निर्माण में थर्मोकोल एवं प्लास्टिक का उपयोग कम से कम हो।
जागरूकता से ही प्रदूषण पर नियंत्रण संभव
डा. घोष का कहना है कि लोगों को जागरूक कर ही हम प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं। धीरे-धीरे समाज में प्रदूषण को लेकर जागरूकता आ रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। सरकार अपने स्तर से प्रदूषण नियंत्रण का प्रयास कर रही है। इसमें समाज को बढ़-चढ़कर आगे आने की जरूरत है। खासकर युवा पीढ़ी एवं बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना बहुत जरूरी है। यह पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
Source:-जागरण